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बर्थडे स्पेशल: कभी शशि ने बचाई थी अमिताभ की जान, फिर भी आखिरी समय पर अमिताभ ने छोड़ दिया शशि कपूर का साथ

बर्थडे स्पेशल: कभी शशि ने बचाई थी अमिताभ की जान, फिर भी आखिरी समय पर अमिताभ ने छोड़ दिया शशि कपूर का साथ
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‘मेरे पास माँ है’ जब भी हम यह डायलॉग सुनते है तो हमारे सामने एक ही तस्वीर आती है और वह तस्वीर है शशि कपूर की. जी हाँ आज शशि कपूर की जन्मतिथि है। शशि का जन्म 18 मार्च 1938  में हुआ था। शशि कपूर का पूरा नाम बलबीर राज मालूम हो पृथ्वी थियेटर को बनाने में इनका बड़ा योगदान रहा है। 1944 में अपना करियर पृथ्वी थिएटर के 'शकुंतला' नाटक से शुरु किया था। राज कपूर की पहली फिल्म 'आग' और तीसरी फिल्म 'आवारा' में उनके बचपन की भूमिकाएं निभाई।

फिल्म 'धर्म पुत्र' से की करियर की शुरुआत

शशि कपूर ने ऐक्‍टर के रूप में करियर की शुरुआत फिल्म 'धर्म पुत्र' से की। यश चोपड़ा की यह फ‍िल्‍म साल 1961 में आई थी। इसके बाद विमल राय की फिल्म 'प्रेम पत्र' में शश‍ि ने काम क‍िया लेकिन दोनों ही फिल्में कुछ खास कमाल नहीं कर सकीं। इसके बाद उन्‍होंने 'मेंहदी लगी मेरे हाथ', 'हॉल‍िडे इन बॉम्‍बे' और 'बेनजीर' जैसी फिल्में कीं लेकिन यह फिल्में भी नहीं चल सकीं।

हॉलीवुड फिल्मों में ऐेट्री लेने वाले पहले एक्टर

शशि कपूर को फिल्मों में ब्रैक मिला फिल्म 'धर्मपुत्र' से जिसे यशराज ने डायरेक्ट किया था। इसके बाद उन्होंने कई फिल्में की लेकिन सभी बॉक्स-ऑफिस पर फ्लाप साबित हुई।आज के दौर में किसी अभिनेता को हॉलीवुड़ ऑफर मिलता है तो उसके लिए वह बड़ी उपलब्धि मानी जाती है, लेकिन बहुत ही कम लोग जानते हैं कि हॉलीवुड में कदम रखने वाले पहले एक्टर और कोई नहीं बल्कि शशि कपूर थे। ब्रिटिश और अमेरिकी फिल्मों में भी काम किया। इनमें 'द हाउसहोल्डर', 'शेक्सपियरवाला', 'बॉम्बे टॉकीज' तथा 'हिट एंड डस्ट' जैसी फिल्में शामिल हैं। 'द हाउसहोल्डर', 'शेक्सपियरवाला', 'बॉम्बे टॉकीज' तथा 'हिट एंड डस्ट' आदि ऐसी फिल्में हैं, जो विदेशों के साथ भारत में भी सराही गई।

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मां को थी असली नाम से चिढ़, इसलिए कहने लगी थीं शशि

शशि का असली नाम बलबीर राज कपूर था, लेकिन उन्हें पहचान मिली शशि नाम से। दरअसल शशि नाम फिल्म इंडस्ट्री ने नहीं बल्कि उनकी मां ने दिया था। उन्हें बलबीर राज नाम से चिढ़ थी। शशि की सौतली दादी ने बलबीर राज कपूर नाम दिया था। उन्होंने यह नाम पंडितों के कहने पर रखा था। शशि की मां को इस नाम से चिढ़ थी, इसलिए वे उन्हें बलबीर की जगह शशि नाम से पुकारने लगीं।

फिल्म के सेट पर शशि कपूर ने बचाई थी अमिताभ की जान...

फिल्म का एक सीन मुंबई के सी रॉक होटल में फिल्माया जाना था। उस वक्त अमिताभ अस्थमा से जूझ रहे थे। शूटिंग के दौरान अचानक अमिताभ को अस्थमा का अटैक आया, जिसे वे सहन नहीं कर पा रहे थे। कहा जाता है कि उस वक्त अगर शशि कपूर मदद के लिए आगे न आते तो कुछ भी हो सकता था। इस घटना के बाद अमिताभ बच्चन ने यह तय कर लिया कि हर दो हीरो वाली फिल्म में उनके साथ शशि कपूर होंगे। खास बात यह है कि मेकर्स ने भी उनकी इस डिमांड को माना। कथिततौर पर अमिताभ इसके लिए एक लेटर फिल्ममेकर्स से साइन कराया करते थे। 'दो और दो पांच' के बाद अमिताभ और शशि ने 'शान' (1980), 'सिलसिला' (1981) और 'नमक हलाल' (1982) जैसी फिल्मों में साथ काम किया। शशि कपूर अमिताभ बच्चन से 4 साल बड़े थे। लेकिन उनकी कद काठी की वजह से डायरेक्टर्स उन्हें शशि के बड़े भाई का रोल देते थे।

आखिरी वक्त में शशि कपूर से मिलने नहीं जाते थे अमिताभ

अमिताभ शशि कपूर के बहुत अच्छे दोस्त थे। लेकिन उनके आखिरी वक्त में वे उनसे मिलने नहीं जाते थे। इस बात का खुलासा खुद अमिताभ ने अपने ब्लॉग में शशि कपूर के निधन के बाद किया था। बिग बी के ब्लॉग की मानें तो जब शशि का निधन (दिसंबर 2017 में) हुआ, तो उससे 6 साल पहले बिग बी की उनसे मुलाकात हुई थी। इसके बाद वे उन्हें एक बार अस्पताल में देखने गए थे। लेकिन फिर कभी उन्होंने शशि कपूर के यहां विजिट नहीं की।

इस तरह हुई थी जेनेफर से पहली मुलाकात

शशि कपूर ने खुद ही बताया था कि उनकी मुलाकात जेनेफर से कैसे हुई थी। पृथ्वी थियेटर में करियर के शुरुआती दौर में शशि कपूर स्टेज शो किया करते थे। एक दिन वो स्टेज पर प्ले कर रहे थे और उस दौरान उनकी नजर पड़ी सामने बैठी एक खूबसूरत विदेशी महिला पर जो जेनेफर थीं। शशि देखते ही उनसे प्यार कर बैठे थे।

कैंसर होने की वजह से दुनिया छोड़ गईं

वहीं जेनेफर को जब खुद को कैंसर होने की बात पता चली तो शशि ने उनका बहुत ध्यान रखना शुरु कर दिया और चिंता में रहने लगे। फिर भी वो 1984 में चल बसी थीं। उनके न रहने पर शशि की जिंदगी जैसे उन्हें काटने को दौड़ रही थी। वो उदास रहने लगे।

मिला दादा साहेब फाल्के अवाॅर्ड

हालांकि शशि कपूर ने कई बाॅलीवुड फिल्मों में अभिनय किया है जिसमें 'दीवार', 'सत्यम', 'सुहाग', 'काला पत्थर', 'शान', 'त्रिशूल', 'शर्मीली', 'जूनून' और 'आ गले लग जा' जैसी फिल्में शामिल हैं। इन्होंने एक्टिंग के अलवा बतौर फिल्ममेकर भी काम किया है। एक्टर को निधन के कुछ साल पहले दादा साहब फाल्के अवाॅर्ड से नवाजा गया था। ये अवाॅर्ड उसे उसे दिया जाता है जिसने अपने क्षेत्र में योगदान देकर उसे बढ़ावा दिया हो।

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इस वजह से हुआ था निधन

शशि कपूर का निधन 4 दिसंबर, 2017 को हुआ था। मालूम हो एक्टर का निधन लिवर से जुड़ी किसी बिमारी की वजह से हुआ था। शशि ने भले ही दुनिया छोड़ दी हो पर आज भी फिल्मों में उनकी बेहतरीन अदाएगी से लोग उन्हें याद रखते हैं।

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