बॉलीवुड की वो फ़िल्में जिसमे मुंबई के अलग अलग रूप को दिखाया गया है

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By Mayapuri Desk
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बॉलीवुड की वो फ़िल्में जिसमे मुंबई के अलग अलग रूप को दिखाया गया है

मुंबई को पहले बॉम्बे के नाम से जाना जाता था,  हमेशा से मुंबई बॉलीवुड का घर रहा है और भारत में फिल्मों की शुरुआत के बाद से सभी चीजें चमकदार हैं। कहने की जरूरत नहीं है, मुंबई पर और उसके आस-पास कई फिल्में आधारित हैं और मुंबई शहर ने कई फिल्म निर्माताओं के लिए संगीत बनाया है। आईये देखते है बॉलीवुड की वो फ़िल्में जिसमे मुंबई के अलग अलग रूप को दिखाया गया है।

बॉम्बे: 1995

1995 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘बॉम्बे’ एक ऐसे जोड़े की वास्तविक जीवन की कहानी पर आधारित थी जिनकी इंटरकास्ट मैरिज हुई थी जो मुंबई में हुए राम जन्माभूमि-बाबरी मस्जिद दंगों के दौरान संघर्ष करते दिखाए गए थे थे। मणिरत्नम निर्देशक ने फिल्म में अरविंद स्वामी और मनीषा कोइराला को लीड रोल के कास्ट किया था और एआर रहमान ने इस फिल्म के फेमस सॉन्ग 'हम्मा हममा', 'कहना ही क्या' और 'तु ही रे' जैसे चार्टबस्टर्स में अपना संगीत दिया। आलोचकों और दर्शकों ने फिल्म 'बॉम्बे' की काफी सराहना की साथ ही इसे दो राष्ट्रीय पुरस्कार और कई फिल्मफेयर पुरस्कार प्राप्त हुए।publive-image

ब्लफमास्टर: 2005

अभिषेक बच्चन की अब तक की सबसे हिट फिल्म ब्लफमास्टर भी मुंबई के एक कॉनमैन पर आधारित फिल्म थी जिसमे वो बड़ी बड़ी चोरियों को अंजाम देता है. लेकिन प्यार में वो हार जाता है जब उसकी प्रेमिका यानी प्रियंका चोपड़ा उसकी सच्चाई जानने के बाद उसे छोड़ देती है. साथ ही जब उसे पता चलता है की उसे एक गंभीर बीमारी है तो वो सच्चाई के रस्ते पर चल कर अच्छे काम करने लग जाता है. फिल्म के एक गाने ‘राईट हियर राईट नाउ’ में अभिषेक बच्चन ने रैप भी किया है  publive-image

टैक्सी नं. 9211: 2006

मिलान लूथ्रिया की 'टैक्सी नं. 9211' ने एक ड्रामा फिल्म है जिसमें जॉन अब्राहम और नाना पाटेकर की विलक्षण जोड़ी को एक साथ लाया गया था। यह फिल्म एक कैब ड्राईवर (नाना पाटेकर) और व्यवसायी (जॉन अब्राहम) को एक साथ लाती है, जिन्हें दो घंटे के साहसिक कार्य में भाग लेने के लिए बड़े धन की आवश्यकता होती है।publive-image

एक चालीस की लास्ट लोकल: 2007

अभय देओल और नेहा धुपिया की फिल्म 'एक चालीस की लास्ट लोकल' 2007 में रिलीज हुई और इस फिल्म को काफी पोजिटिव रिस्पोंस मिला और सालों से क्लासिक फिल्म बनने में कामयाब रही। यह फ़िल्म एक कॉमिक थ्रिलर थी जिसमे दो लोगों कि 1:40 बजे की लोकल ट्रेन छूट जाती है और कैसे एक ट्रेन छूटने से उनकी ज़िन्दगी हमेशा के लिए बदल जाती है। इस फिल्म में कॉल बैंड का गाना 'लारी छूटी' चार्टबस्टर में से एक था।publive-image

लाइफ इन ए मेट्रो: 2007

अनुराग बसु की 'लाइफ इन ए मेट्रो'  धर्मेंद्र, नफीसा अली, शिल्पा शेट्टी, के के मेनन, शाईनी अहुजा, इरफान खान, कोंकणा सेन शर्मा, कंगना रणावत और शर्मन जोशी के साथ एक स्टार कास्ट फिल्म है। मूल रूप से मुंबई शहर के नौ लोगों के आस पास घुमती है। जिसमे वो एक्स्ट्रा मैरीटियल अफेयर, प्रेम, अकेलापन और निराशा की भावनाओं के विषयों से निपटते हैं।publive-image

मुंबई मेरी जान: 2008

निशिकांत कामथ 'मुंबई मेरी जान' द्वारा निर्देशित, एक स्टार कास्ट फिल्म थी जिसमें सोहा अली खान, आर माधवन, के के मेनन और इरफान खान शामिल थे। यह फिल्म 11 जुलाई, 2006 को हुई मुंबई ट्रेन विस्फोटों पर आधारित थी। यह फिल्म 5 लोगों के आस पास घुमती है जिनकी जिंदगी विस्फोट के बाद पूरी तरह से बदल जाती है। लेकिन फिल्म अपना कमाल नहीं दिखा पाई और फ्लॉप हो गयी।publive-image

कमीने: 2009

कमीने विशाल भारद्वाज द्वारा निर्देशित एवं शाहिद कपूर, प्रियंका चोपड़ा और अमोल गुप्ते अभिनीत एक कॉमिक थ्रिलर फ़िल्म है। गुड्डू और चार्ली (शाहिद कपूर) एक समान जुड़वा भाई हैं और मुम्बई की गलियों में पले बढ़े हैं। दोनों वाक बाधा से ग्रस्त हैं जिनमें चार्ली तुतलाकर बोलता है जबकि गुड्डू बोलते हुए हकलाता है। सबरीना धवन, अभिषेक चौबे और सुप्रतिक सेन ने इस फिल्म की पटकथा लिखी। उन्होंने केन्या के लेखक कैजेटन बॉय से 4,000 अमेरिकी डॉलर में स्क्रिप्ट को ख़रीदा। 55 वें फिल्मफेयर अवॉर्ड्स में, इसे सर्वश्रेष्ठ फिल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, सर्वश्रेष्ठ अभिनेता, सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री और सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता समेत दस नॉमिनेशन मिले। इस फिल्म ने सर्वश्रेष्ठ विशेष प्रभाव के लिए पुरस्कार जीता। ‘कमीने’ ने दो राष्ट्रीय पुरस्कार भी जीते, जबकि शाहिद कपूर के प्रदर्शन, प्रियंका चोपड़ा और अमोले गुप्ते की सराहना की गई।publive-image

द लंचबॉक्स: 2013

रितेश बत्रा 'द लंचबॉक्स' (2013) द्वारा निर्देशित, प्रमुख भूमिकाओं में इरफान खान, निम्रत कौर और नवाजुद्दीन सिद्दीकी को दिखाया गया। यह फिल्म मुंबई शहर के प्रसिद्ध डब्बावालों की प्रमुखता को चित्रित करने में कामयाब रही, जो सभी परिस्थितियों में कार्यालयों में दोपहर का भोजन भेजतें है। कहानी मुख्य रूप से एक गृहिणी के बारे में बात करती है जो खाना पकाने से प्यार करती है और अपने पति के लिए प्यारा व्यंजन बनाती है लेकिन डब्बावालों के माध्यम से अपने पति तक पहुंचने के बजाय भोजन दूसरे व्यक्ति तक पहुंच जाती है। जिसके बाद उन दोनों की प्रेम कहानी शुरू होती हैpublive-image

सिटी लाइट्स: 2014

हंसल मेहता की 'सिटी लाइट्स' ने एक ऐसे परिवार की दुर्दशा को दिखाया था जो नए रूप से मुंबई में बसने के लिए आया है लेकिन यहाँ उन्हें किन किन समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यह कहानी राजस्थान एक गरीब किसान के बारे में थी जिसे राजकुमार राव ने निभाया था। 2014 में रिलीज हुई फिल्म केवल 350 स्क्रीनों में रिलीज की गयी थी लेकिन इसके बावजूद, 'सिटीलाइट्स' ने बॉक्स ऑफिस पर काफी शानदार कमाई की थी।publive-image

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