निर्देशक सुमित मिश्रा की तारा अलीशा बेरी और राहुल बग्गा अभिनीत फिल्म आगम सिनेमाघरों में रिलीज हुई

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निर्देशक सुमित मिश्रा की तारा अलीशा बेरी और राहुल बग्गा अभिनीत फिल्म आगम सिनेमाघरों में रिलीज हुई

उद्योग के प्रख्यात कला निर्देशक, चित्रकार, लेखक, कवि सुमित मिश्रा, जिन्होंने पहले सबसे प्रशंसित पुरस्कार विजेता लघु फिल्म 'खिड़की' का निर्देशन किया था और अब तारा अलीशा बेरी, राहुल बग्गा और अश्मिथ कुंदर अभिनीत उनकी पहली फीचर फिल्म 'अगम' सिनेमाघरों में रिलीज हुई। फिल्म की पृष्ठभूमि वाराणसी में आधारित है और वहां बड़े पैमाने पर शूटिंग की गई है।

तारा अलीशा बेरी और राहुल बग्गा के साथ अपने काम के अनुभव को साझा करते हुए वे कहते हैं,'किसी भी कहानी के पात्र को जीने के बाद उसके लिए सटीक अभिनेता और अभिनेत्री का चयन कठिन तो होता है लेकिन जब आपके साथ राहुल बग्गा जैसा परिपक़्वा अभिनेता और तारा अलीशा बेरी जैसी सहज और सुलझी हुयी अभिनेत्री हो तब कहानी को स्क्रीन पर उतारना सरल हो जाता है।बतौर निर्देशक ये मेरी पहली फीचर फिल्म थी, लेकिन राहुल और तारा के सहयोग और जल्द ही पात्र में ढल जाने की प्रतिभा के वजह से अगम का फिल्मांकन मेरे लिए सुगम हो गया।'

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फिल्म के बारे में बात करते हुए वे कहते हैं,'बनारस - अध्यात्म, शिव, शव और तंत्र का शहर है, जीवन में मृत्यु और मृत्यु में जीवन के रहस्य का शहर, महाश्मशान की भूमि, शिव से स्त्री शक्ति विलुप्त होने पर शव और शव में शक्ति के मिलन से शिव के उत्पत्ति के दर्शन का केंद्र बनारस। चूँकि बनारस में मेरी पढ़ाई हुई है और सदैव मेरा पसंदीदा शहर रहा है इसलिए बनारस का दृश्य और बनारस का रहस्य हमेशा मुझे रचना के लिए आकर्षित किया है। विश्वविद्यालय के दिनों में ही यहाँ घाट और गलियों में बिखरे हुए चरित्र और विषय मन में उलझते-सुलझते रहता था और वह ताना-बाना बाद में अगम के कथानक का रूप ले लिया| वस्तुतः 'अगम' बनारस के पृष्ठभूमि में अलग-अलग मिज़ाज, अलग रंग और अलग राग की जीवन यात्रा, आध्यात्मिक यात्रा और तंत्र यात्रा के सहयात्री की कहानी है।'

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अगम के अर्थ के बारे में बताते हुए वे कहते हैं,'अगम का अर्थ ही होता है कठिन राह और ये सच है कि फिल्म अगम बनारस के गलियों रहस्य तलाशने की यात्रा है। शमशान के लपटों में जीवन की आकृति ढूंढने की यात्रा है मेरी अगम यात्रा है, नदी में प्रवाह के विरुद्ध बहने की यात्रा है। और ये यात्रा मेरी कई दशक की है। अपने उसी अगम यात्रा को मैंने इस फिल्म में साझा किया है।'

वाराणसी में अपने शूटिंग अनुभव को व्यक्त करते हुए वे कहते हैं,'मैं खुद से चिर परिचित हूँ इसलिए बनारस में शूट करना मेरे लिए बहुत सहज है। एक छोटी यूनिट के साथ हमने शूट किया लेकिन सेट पर माहौल बहुत रचनात्मक और एक दूसरे को सहयोग करने वाला था। बहुत ही स्वस्थ और सकारात्मक माहौल में बिना किसी तनाव के हमारी फिल्म की शूटिंग पूरी हो गयी।'

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महामारी की स्थिति में फिल्म की सिनेमाघरों में रिलीज के विकल्प पर अपने विचार साझा करते हुए वे कहते हैं,'फिल्म के उत्पादन के बाद  के बाद मैंने और मेरे निर्माता ने निर्णय लिया की पहले इसे दुनिया भर के फिल्म फेस्टिवल  में भेजा जाए और फिर अगम का फिल्म फेस्टिवल  का सफर शुरू हो गया। कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह में फिल्म का चयन हुआ और सराहना भी मिली जिसमें सबसे महत्वपूर्ण था Cairo International Film Festival.फिल्म समारोह की यात्रा समाप्त होते होते हम covid के महामारी से जूझने लगे, जिसका सिनेमा हॉल पर बहुत बुरा असर पड़ा। अब जब स्थिति थोड़ी सामान्य होती दिख रही है तब हमें लगा की बिना देर किये अपने दायरे में जितना भी सिनेमा हॉल उपलब्ध हो वहाँ फिल्म प्रदर्शित कर देनी चाहिए।'

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