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-शरद राय
इनदिनों फिल्मों की नगरी मुम्बई में संसद सदस्या (एमपी) नवनीत राणा और उनके पति विधायक (एमएलए) रवि राणा 'हनुमान चालीसा' पढ़ने की वजह से जेल भेजे जाने को लेकर चर्चा में हैं।बतादें की अमरावती की सांसद नवनीत राणा (नवनीत कौर) भी फिल्मों की ग्लैमरस इंडस्ट्री से ही हैं।इनदिनों पूरे देश में जब हनुमान चालीसा की गूंज है।गोस्वामी तुलसी दास रचित 'हनुमान चालीसा'- जिसकी चौपाइयां 16वीं शताब्दी के अपने रचना काल के समय से ही 'कष्ट निवारक' मानी जाती रही हैं, आजकल विवाद का विषय बनाई जा रही हैं। हनुमान जयंती के दिन से शुरू हुआ हनुमान चालीसा पढ़ने का विवाद अब ग्लैमर की नगरी मुम्बई में भी आ धमका है।
स्वर्गीय बाला साहब ठाकरे के बंगले 'मातोश्री' में जाकर हनुमान चालीसा पढ़ने की बात कहकर अमरावती (महाराष्ट्र) की लोकसभा सांसद नवनीत राणा और उनके विधायक पति रवि राणा मुश्किलों में आगए हैं। उनपर कई दफाओं (124(A), 153(A), 353 ) के तहत केस दर्ज किया गया है। उनपर राजद्रोह तक का मामला बनाए जाने की खबरें उड़ रही हैं। हनुमान चालीसा पढ़ने की बात कहकर जेल जाने की सुर्खियां बटोर रही नवनीत का राजनैतिक कैरियर फिल्मी दरवाजे से शुरू हुआ है। वह 30 से अधिक फिल्मों में काम कर चुकी हैं।
पंजबी परिवार में पैदा हुई, मुम्बई में पली बढ़ी और 12वीं तक पढ़ाई की नवनीत कौर (शादी के बाद नवनीत राणा हुई हैं) अपनी पढ़ाई कार्तिका हाइस्कूल में करने के दौरान ही स्टेज व डांस के प्रोग्रामों में हिस्सा लेने लगी थी। इसलिए फिल्मों के आकर्षण से दूर नही रह सकी। नवनीत ने 6 वीडियो अलबमों में काम किया, कुछ मॉडलिंग किया। इसी दौरान उनको एक कन्नड़ फिल्म 'दर्शन' में काम करने का मौका मिला। वहां से लौटकर बॉलीवुड की एक फिल्म 'चेतना' में काम किया। दो पंजाबी फिल्में ('लड़ गेया पीछे' और छेवन दरिया') भी किया। हिंदी में उनकी फिल्म ने अच्छा बिजनेस नही किया तो वह वापस फिर साउथ की फिल्मों का रुख की। अपने खूबसूरत व्यक्तित्व, अभिनय और आवाज के चलते नवनीत जल्द ही दक्षिण के सिनेमा पर छा गयी। तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम भाषा की वह पसंदीदा हीरोइन बन गयी। सबसे ज्यादा तेलुगु में 15 फिल्में की। साल 2003 से 2020 के दौरान वह 30 फिल्मों में काम कर चुकी हैं। उनकी की गई कुछ फिल्में हैं- 'सीनू वासंती', 'लक्ष्मी', 'जगपती', 'भूमा', 'काल चक्रम', 'टेरर', 'फ्लैशन्यूज','जबिलम्मा', 'लव इन सिंगापुर' आदि। जेमिनी टीवी के शो 'हुम्मा हुम्मा' की वह पार्टिसिपेंट भी रही हैं। जब उनका हीरोइन का कैरियर ऊंचाइयों पर था उसी दौरान बाबा रामदेव के एक योगा सेशन में वह रवि राणा से मिली। युवा रवि से नवनीत का प्रेम प्रसंग चल पड़ा। एक सामूहिक विवाह आयोजन में दोनो ने विवाह कर लिया। इस विवाह समारोह में बाबा रामदेव उपस्थित थे।तबसे दोनो पति पत्नी राजनीति में हैं। बीवी नवनीत एमपी और पति रवि कईबार के एमएलए हैं। निर्दलीय चुनाव जीतकर यह दंपति अपने क्षेत्र में इतने पॉपुलर हैं कि दूसरी पोलटिकल पार्टियां इनसे ईर्ष्या करती हैं।
संसद के सदन में जोरदार बहस करने वाली और अपने क्षेत्र की समस्याओं पर खुलकर बेवाक बोलनेवाली नवनीत कौर राणा इनदिनों पोलटिकल राइवलरी के चलते मुम्बई में हनुमान चालीसा के मुद्दे पर उलझ गयी हैं। बॉलीवुड में उनके बहुत दोस्त हैं। अनिल कपूर, गोविंदा, अक्षय कुमार जैसे सितारे उनके बुलाने पर उनके चुनाव क्षेत्र में जाते रहते हैं। बॉलीवुड के लोग चुप हैं कोई उनके समर्थन में नही बोल रहा है क्योंकि मुद्दा धर्म से जुड़ा है। और, नवनीत भी उलझी वहां हैं जहां से उनकी शुरुवात हुई थी!
हनुमान चालीसा कब लिखा गया क्या आप जानते हैं। नहीं तो जानिये, शायद कुछ ही लोगों को यह पता होगा?
पवनपुत्र हनुमान जी की आराधना तो सभी लोग करते हैं और हनुमान चालीसा का पाठ भी करते हैं, पर यह कब लिखा गया, इसकी उत्पत्ति कहाँ और कैसे हुई यह जानकारी बहुत ही कम लोगों को होगी। बात 1600 ईस्वी की है यह काल अकबर और तुलसीदास जी के समय का काल था। एक बार तुलसीदास जी मथुरा जा रहे थे, रात होने से पहले उन्होंने अपना पड़ाव आगरा में डाला, लोगों को पता लगा कि तुलसीदास जी आगरा में पधारे हैं। यह सुन कर उनके दर्शनों के लिए लोगों का ताँता लग गया। जब यह बात बादशाह अकबर को पता लगी तो उन्होंने बीरबल से पूछा कि यह तुलसीदास कौन हैं। तब बीरबल ने बताया, इन्होंने ही रामचरित मानस का अनुवाद किया है, यह रामभक्त तुलसीदास जी है, मैं भी इनके दर्शन करके आया हूँ। अकबर ने भी उनके दर्शन की इच्छा व्यक्त की और कहा मैं भी उनके दर्शन करना चाहता हूँ।
बादशाह अकबर ने अपने सिपाहियों की एक टुकड़ी को तुलसीदास जी के पास भेजा और तुलसीदास जी को बादशाह का पैगाम सुनाया कि आप लालकिले में हाजिर हों। यह पैगाम सुन कर तुलसीदास जी ने कहा कि मैं भगवान श्रीराम का भक्त हूँ, मुझे बादशाह और लालकिले से मुझे क्या लेना-देना और लालकिले जाने के लिए साफ मना कर दिया। जब यह बात बादशाह अकबर तक पहुँची तो बहुत बुरी लगी और बादशाह अकबर गुस्से में लालताल हो गया, और उन्होंने तुलसीदास जी को जंज़ीरों से जकड़बा कर लाल किला लाने का आदेश दिया। जब तुलसीदास जी जंजीरों से जकड़े लाल किला पहुंचे तो अकबर ने कहा की आप कोई करिश्माई व्यक्ति लगते हो, कोई करिश्मा करके दिखाओ। तुलसी दास ने कहा मैं तो सिर्फ भगवान श्रीराम जी का भक्त हूँ कोई जादूगर नही हूँ जो आपको कोई करिश्मा दिखा सकूँ। अकबर यह सुन कर आगबबूला हो गया और आदेश दिया की इनको जंजीरों से जकड़ कर काल कोठरी में डाल दिया जाये।
दूसरे दिन इसी आगरा के लालकिले पर लाखों बंदरों ने एक साथ हमला बोल दिया, पूरा किला तहस नहस कर डाला। लालकिले में त्राहि-त्राहि मच गई, तब अकबर ने बीरबल को बुला कर पूछा कि बीरबल यह क्या हो रहा है, तब बीरबल ने कहा हुज़ूर आप करिश्मा देखना चाहते थे तो देखिये। अकबर ने तुरंत तुलसीदास जी को कल कोठरी से निकलवाया। और जंजीरे खोल दी गई। तुलसीदास जी ने बीरबल से कहा मुझे बिना अपराध के सजा मिली है। मैंने काल कोठरी में भगवान श्रीराम और हनुमान जी का स्मरण किया, मैं रोता जा रहा था। और रोते-रोते मेरे हाथ अपने आप कुछ लिख रहे थे। यह 40 चौपाई, हनुमान जी की प्रेरणा से लिखी गई हैं। कारागार से छूटने के बाद तुलसीदास जी ने कहा जैसे हनुमान जी ने मुझे कारागार के कष्टों से छुड़वाकर मेरी सहायता की है उसी तरह जो भी व्यक्ति कष्ट में या संकट में होगा और इसका पाठ करेगा, उसके कष्ट और सारे संकट दूर होंगे। इसको हनुमान चालीसा के नाम से जाना जायेगा।
अकबर बहुत लज्जित हुए और तुलसीदास जी से माफ़ी मांगी और पूरी इज़्ज़त और पूरी हिफाजत, लाव-लश्कर से मथुरा भिजवाया। आज हनुमान चालीसा का पाठ सभी लोग कर रहे हैं। और हनुमान जी की कृपा उन सभी पर हो रही है। और सभी के संकट दूर हो रहे हैं। हनुमान जी को इसीलिए 'संकट मोचन' भी कहा जाता है।
यहाँ देखे उज्जैन में स्थित महाकाल के मंदिर से श्री हनुमान जी कि कुछ तस्वीरें:
आपको बतादे इस बार हनुमान जयंती उज्जैन के महाकाल मंदिर में बड़े धूम-धाम से मनाई गई, यू तो यह पर्व हर बार ही उज्जैन के मंदिरों में खूब धूम-धाम से मनाया जाता हैं, लेकिन कोरोना के चलते पिछले कुछ सालों से इसे अधिक उत्साह से साथ नहीं मनाया गया था, उज्जैन में स्थित महाकाल मंदिर के आदरणिय पुजारी श्री रमन त्रिवेदी जी ने कुछ तस्वीरें हमारे साथ शेयर कि,