एनएसडी करने का मतलब सिर्फ हीरो बनना ही नही है: Firoz Zahid Khan

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By Mayapuri
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Firoz Zahid Khan

अभिनय की पाठशाला नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) से अभिनय की महारत हासिल करने के बाद मुंबई का सफर तय करने और फिर वहां अपने अभिनय से एक मुकाम हासिल करने वाले Firoz Zahid Khan अब अभिनय के माध्यम से देश की नवरत्न कंपनियों में काम करने वाले लोगों की कार्यकुशलता को बढ़ाने के लिए अभिनय , फ़िल्म और सहज योग समेत खुद के द्वारा ईजाद किये गए टेक्निक के सहारे कर्मचारियों को ट्रेंड कर रहे हैं. अबतक देश की कई दर्जन कंपनियों के सैकड़ों कर्मचारियों को ट्रेंड कर चुके Firoz खाड़ी देशों में भी ट्रेनिग दे चुके हैं. 

वर्ष 1999 में एनएसडी से पासआउट होने के बाद Firoz इंडो-जापान कल्चरल एक्सचेंज कार्यक्रम में भी शिरकत कर चुके हैं. उन्होंने लंदन से स्क्रीन एक्टिंग में डिप्लोमा किया है. इसके अलावा उन्होंने फिल्मों के शो मैन के सुभाष घई के एक्टिंग स्कूल से जुड़े रहे हैं. इसके अलावा जानेमाने फ़िल्म निर्देशक राहुल रवैल के साथ भी जुड़े रहे. फ़िल्म 'कॉफी डी' में अपने अभिनय से दर्शकों के ऊपर एक अलग छाप छोड़ी. इसके अलावा दूरदर्शन पर प्रसारित हिंदी के पहले उपन्यास 'परीक्षा गुरु' पर इसी नाम से बने सीरियल में दमदार अभिनय से दर्शकों के चहेते बन गए थे. इसके साथ ही दर्जनों नाटकों में अभिनय करने के बाद अचानक से कॉरपोरेट घरानों के लोगो को उनकी कार्यकुशलता और उनकी पर्सनालिटी डवलप करने के लिए मोटिवेशनल फील्ड में हाथ आजमाया और यहां उनको कॉरपोरेट घरानों ने हाथों हाथ ले लिया. Firoz की बात करने और  समझाने का जो तरीका है वह लोगों को पसंद आया और वह आज एक सफल मोटिवेशनल स्पीकर और ट्रेनर के रूप में देश मे ही नहीं विदेशों में भी पहचाने जाने लगे हैं. 

Firoz कहते हैं कि लोगों में यह एक धारणा बैठ गई है कि एक्टिंग की ट्रेनिंग करने के बाद सिर्फ एक्टिंग के फील्ड में ही जाया जा सकता है और फ़िल्म या सीरियल में ही काम करना होगा. लेकिन ऐसा नहीं है. जिस तरह से अभिनय में नौ रस होते हैं उसी तरह हमारे अंदर भी कई तरह के रस है. सभी को एक ही तरह का रस पसंद नहीं होता है. इसलिए हर किसी को उसकी पसंद के अनुसार एक्टिंग और सहज योग के माध्यम से उसकी पर्सनालिटी को ग्रूम करते हैं. वह बताते हैं कि देश की नामी गिरामी नवरत्न कंपनियों के कर्मचारियों को एक्टिंग के माध्यम से प्रशिक्षित करने के बाद उन लोगों ने बताया कि बेतहाशा बदलाव आया है. कंपनियों के आला अधिकारियों ने कहा कि कर्मचारियों में एक नई तरह का उत्साह देखने को मिल रहा है और कार्यक्षमता में बेतहाशा वृद्धि हुई है. 

फिरोज़ बताते हैं कि पर्सनालिटी डवलप कराने का उनका औरों से बिल्कुल अलग है. वह सिर्फ एक्टिंग का ही सहारा नही लेते हैं बल्कि सहज योग और फिल्मों का भी सहारा लेते हैं. उनके अनुसार सहज योग आपके अंदर धैर्य, एकाग्रता और सोचने की क्षमता को बढ़ाता है. जिससे आप किसी भी गंभीर समस्या का   धैर्यपूर्वक समाधान ढूंढ लेते हैं और, विषम परिस्थितियों में भी घबराते नही है. Firoz साफ करते हैं कि सहज योग को धर्म के नजरिये से नही देखा जाना चाहिए. Firoz एनटीपीसी, गेल,  नेपको, जीएसएफसी, एनएचपीसी, बिम्टेक, शिव नादर, एमिटी जैसी जगहों पर कार्यरत कर्मचारियों को प्रशिक्षित कर चुके हैं. 

कोरोना के बाद बदली हुई परिस्थितियों के बाद लोगों में डिप्रेशन बढ़ा है और ऐसे में लोगों को मोटिवेशन की ज्यादा जरूरत है. इतना ही नहीं जो लोग काम कर भी रहे हैं तो भी उनकी ग्रूमिंग बहुत जरूरी है. मैंने चुकी एक्टिंग  सीखी है तो उसका इस्तेमाल मैं हल्के फुल्के कर इम्प्रेषिव तरीके से लोगों को समझा पाता हूँ और वह उसे एक्सेप्ट भी कर लेते हैं. वह बताते हैं कि बहुत से अभिनेता इस तरह का मोटिवेशनल स्पीच देते हैं लेकिन मेरा तरीका बिल्कुल अलग है और मैं सिर्फ नाटक नही करवाता उनसे उनके लेबल (जिस तरह जिस भाषा मे वह बातों को समझ पाते हैं) में बात करता हूं, इसलिए जल्दी उनके बीच एक्सेप्ट कर लिया जाता हूँ.

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