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थियेटरों पर फिल्मों की रिलीज का भूचाल, निर्माताओं की लम्बी कतार, किस किस का होगा बेड़ा पार

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थियेटरों पर फिल्मों की रिलीज का भूचाल, निर्माताओं की लम्बी कतार, किस किस का होगा बेड़ा पार

-शरद राय

एक पुरानी फिल्म का गीत है- 'नदिया चले चले रे धारा, तुझको चलना होगा...तुझको चलना होगा।'इस गीत का फिल्म की कहानी से कोई सीधा सम्बन्ध नही था, लेकिन फिल्म को इसी गीत ने चलाया था यह भी एक सच है। वैसा ही सच इनदिनों सिनेमा की नगरी बॉलीवुड के सामने आ गया है। फिल्में तो बहुत हैं, उनको रिलीज करने के लिए टाकीज नही मिल पा रहा है। निर्माता सिनेमा घरों में अपनी फिल्म रिलीज करने की कतार में हैं, पर कोई यह नही सोच रहा है कि दर्शक? दर्शक तो उतने ही हैं! फिल्म दर्शकों तक पहुंचा दी जाए फिर देखा जाएगा। तबतक तो यही है- 'तुझको चलना होगा तुझको चलना होगा!'

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अब आइए देखें सिनेमा घरों में चलने की कतार में कितनी फिल्में हैं जिनको चलना है या चलाया जाना है।रिलीज के लिए  जिनकी तारीखें बुक हो चुकी हैं, वे फिल्में हैं- इस हफ्ते की दो बड़ी फिल्में हैं  अजय देवगन की 'रनवे 34' और टाइगर श्रॉफ की 'हीरोपंती 2'। इनदोनो फिल्मों की तरफ सबकी नजरें हैं।हालांकि फिल्मी पंडितों का मानना है कि चलेगी कोई एक ही, क्योंकि दर्शक तो वही हैं।

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आने वाले दिनों में भी प्रतियोगिता ऐसी ही रहेगी और टॉकीजों में चलाने के लिए इनके पास लम्बी बुकिंग नही है। 6 मई को प्रदर्शित होने वाली फिल्में हैं-' मेरे देश की धरती', 'द कन्वर्जन', 'रॉकेट गैंग', 'थार' जो डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रिलीज होगी। 13 मई को 'जयेश भाई जोरदार' और 'आंख मिचौली' है। 27 मई को कम्पटीशन रहेगा 'धाकड़' और 'भूल भुलैया2' में।

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इसी दिन रिलीज होनेवाली दूसरी फिल्में हैं - 'हिट- द फर्स्ट केस' और 'मिसेज चटर्जी vs नॉर्वे'। 27 मई और 3 जून को आपस मे टकराएंगी- 'अनेक', 'मैदान', 'पृथ्वीराज'और 'मेजर'। 10 जून की रिलीज पर हैं- 'जनहित में जारी', 'मिशन मजनू', 'गोविंदा नाम मेरा'। 17 जून को 'निकम्मा', 'डॉक्टर जी', 'खुदा हाफिज चैप्टर2 अग्नि परीक्षा' दर्शकों के सामने आरही है।आगे आनेवाली फिल्मों की बुकिंग कुछ इसतरह है- 'नो मिन्स नो'(17 जून), 'जुग जुग जीयो' (24 जून) को आएगी। 'रॉकेटरी-द नम्बी इफेक्ट', 'ओम-द बैटल वीथिन' को 1 जुलाई को प्रदर्शन की तारीख प्राप्त है तो 8 जुलाई को फिर इन फिल्मों को 'एक विलेन रिटर्न' का सामना करना होगा। इसके बाद 15 जून को 'फोनबूथ', 22 जून को 'शमशेरा' , 28 जून को 'विक्रांत' है। 29 जून को 'लालसिंह चड्ढा' और 'थैंक गॉड' आपस मे टकराएंगी।अगस्त महीने की फिल्में हैं- 'रक्षा बंधन' (11 अगस्त), 'गरुड़' (15 अगस्त), 'टाइगर' (25 अगस्त)। चर्चित नव विवाहित जोड़ी आलिया भट्ट और रणबीर कपूर की फिल्म 'ब्रह्मास्त्र' 9 सितंबर को और 'विक्रम वेधा- रीमेक' 30 सितंबर की तारीखें पायी हैं।आनेवाली छोटी बड़ी कई और भी फिल्में हैं जो इन्ही तारीखों के साथ थियेटरों में जगह पानेवाली हैं। 24ऑक्टोबर को 'रामसेतु', 23 दिसम्बर को 'गणपथ' और 30 दिसम्बर को 'कभी ईद कभी दीवाली' रिलीज के लिए तैयार है। साल 2022 की तरह ही 2023 में भी सिनेमाघरों पर फिल्मो के रिलीज का भूचाल कायम रहनेवाला है। 'पठान' को नए वर्ष में 25 जनवरी 2023 को समय मिल पाया है। शाहरुख खान की 'पठान' को करन जौहर की फिल्म 'रॉकी और रानी की प्रेम कहानी' (10 फरवरी '23) को पिछिया लेगी। 'डंकी' और 'बड़े मियां छोटे मियां' भी कतार में खड़ी फिल्में हैं जो किससे टकराएंगी, जल्द ही पता चल जाएगा।

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टकराव की स्थिति बहुधा बड़े सितारों की फिल्मों के साथ ही बनता है। दो साल से रिलिज की तैयारी किये  बैठे बड़े स्टार अब नुकसान नही चाहते इसलिए सब एक दूसरे को एडजस्ट करने के लिए तैयार हैं। शाहरुख खान अपनी पिछली फिल्म 'जीरो' के बाद से हिट के इंतज़ार में हैं,इसलिए नही चाहते कि उनकी फिल्म 'पठान' किसी दूसरी फिल्म से टकराए। 'रॉकेटरी', 'ब्रह्मास्त्र' और 'सरकस' के अपने निर्माताओं को वह यही समझा रहे हैं। सलमान खान 'कभी ईद कभी दीवाली' पर ही ध्यान केंद्रीत किये बैठे हैं।उनकी 'टाइगर 3' अगले साल जाएगी। आमिर खान  की फिल्म 'लाल सिंह चड्ढा' बार बार  रिलीज की तारीखें बदल कर थक चुकी है।वे भी भीड़ से बचना चाहते हैं। अक्षय कुमार अपनी पिछली फिल्में 'बच्चन पांडे' और 'अतरंगी रे' से धोखा खा चुके हैं इसलिए अपनी आनेवाली फिल्मों 'पृथवीराज', 'शमशेरा', 'रक्षा बंधन', 'रामसेतु', 'गोरखा', 'OMG 2', 'बड़े मियां छोटे मियां' 'मुगल' और ' क्रेक' की रिलीज की तारीखों को लेकर बेहद चौकन्ने हैं।

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अंततः यही कहना होगा कि फिल्मों की रिलीज की तारीखों का धमाल जितना निर्माताओंऔर सितारों के सामने है, ऐसा पहले कभी नही हुआ था। दो साल से तैयार होकर बंद पड़ी फिल्में, पूर्णता के करीब पहुंची फिल्में, सेंसर में लटकी फिल्में... सभी को रिलीज चाहिए। जिनके पैसे फंसे हैं वो क्या करें ? दर्शक तो चुनाव करके फिल्में देखने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन मजबूर तो निर्माता है। थियेटरों को पाने की कतार में खड़ा निर्माता पार होगा या नहीं, यह जाने बिना सिर्फ यही सोच सकता है- 'तुझको चलना होगा, तुझको चलना होगा...!'

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