मशहूर शायर गीतकार इब्राहिम अश्क का इस तरह चले जाना

New Update
मशहूर शायर गीतकार इब्राहिम अश्क का इस तरह चले जाना

-सुलेना मजुमदार अरोरा

जिस दिन कोविड वैक्सिनेशन का एक साल पूरा हुआ उसी दिन  दोपहर ढले, वरिष्ठ तथा जाने माने पत्रकार इंद्रमोहन पन्नू जी ने मुझे यह दुखद खबर दी कि सुप्रसिद्ध  फ़िल्म गीतकार, जाने माने उर्दू शायर, हिंदी कवि , साहित्यकार तथा पत्रकार इब्राहिम अश्क की कोविड कॉम्प्लिकेशन्स के कारण दुखद निधन हो गया।  जाहिर है कि इंद्रमोहन जी का उनके साथ काफी पहचान थी। हमारी पीढ़ी तो इब्राहिम अश्क को इसलिए बहुत अच्छी तरह से पहचानती थी क्योंकि वे मिलिनीयम हिट गाने 'कहो न प्यार है', (जिसने पचास वर्ष का रेकॉर्ड थोड़ा था) 'ना तुम जानो ना हम', 'इधर चला मैं उधर चला',  'कोई मिल गया,  जैसे सुपरहिट गीतों के लेखक थे। मैं उन्हें फ़िल्म 'कहो न प्यार है', ' कोई मिल गया', 'कृष', 'वेलकम', 'ब्लैक एंड व्हाइट', 'आप मुझे अच्छे लगने लगे' 'ये तेरा घर ये मेरा घर' 'धुंध' 'ऐतबार',  'जानशीन, आप मुझे अच्छे लगने लगे,  कोई मेरे दिल से पूछे, के सुपरहिट गीतों के गीतकार के रूप में ही जानती थी।

दरअसल इब्राहिम अश्क, जिनका पूरा नाम इब्राहिम खान गौरी है, मध्यप्रदेश में जन्मे थे और इंदौर, दिल्ली से होते हुए मुंबई में आकर बस गए थे। बॉलीवुड में मशहूर होने से पहले ही वे एक मशहूर शायर, कवि, साहित्यकार के रूप में नाम कमा चुके थे और उनके कई गीत और शायरी के अल्बम्स भी लोकप्रिय हो चुके थे, उन्हें बहुत सारे अवार्ड्स से भी नवाजा जा चुका था। यू पी अकेडमी अवार्ड,  ऑल इंडिया बेनज़ीर अवार्ड, महाराष्ट्र हिंदी पत्रकार संघ अवार्ड,  कालिदास सम्मान, ग़ालिब अवार्ड,  मजरूह अवार्ड,  स्टार डस्ट अवार्ड, फ़िल्म नॉमिनी  फेयर अवार्ड, स्क्रीन अवार्ड तथा ढेर सारे अन्य प्रेस्टीजियस अवार्ड्स।

publive-image

इब्राहिम अश्क का जन्म मंदसौर मध्यप्रदेश के एक गरीब परिवार में हुआ था, पढ़ाई पूरी होने से पहले ही पिता ने पढ़ाई छोड़कर कुछ काम करने को कहा था पर मां ने बेटे की पढ़ाई नहीं छुड़वाई क्योंकि वे चाहती थी कि बेटा पढ़लिखकर बड़ा आदमी बने। इब्राहिम अश्क ने हिंदी साहित्य से एम ए कर लिया और काम की तलाश करने लगे। बहुत जगह धक्के खाए और आखिर उन्हें शमा सुषमा पत्रिका में बतौर लेखक काम मिल गया। उन्होंने सरिता में भी लिखा। बचपन से शेर ओ शायरी करने का शौक रहा था उन्हें, और कई मुशायरों में उन्होंने अपनी शायरी और कविताएं पढ़ी और मशहूर होने लगे थे। अपने फन को आगे बढ़ाने के लिए वे मुंबई शिफ्ट हो गए, यहां उनके एक अच्छे पहचान वाले थे लेकिन उस दोस्त ने उन्हें कोई मदद नहीं कि बल्कि हतोत्साहित ही किया। लेकिन अश्क साहब डटे रहे, मेहनत करते रहे और जब उनका हुनर सर चढ़ कर बोलने लगा तो एच एम वी वालों ने उन्हें गीत लिखने के लिए बुलाया, इस तरह धीरे धीरे फ़िल्म इंडस्ट्री के संगीतकारों ने उनकी हुनर की पहचान दी और उन्हें कई फिल्मों में गीत लिखने के ऑफर्स आने लगे। उनकी सुपरहिट गीतों में है 'जादू जादू', 'कोई मिल गया', 'तुम तो सागर जैसी',  'इट्स मैजिक, दिल ने दिल को पुकारा, कहो न प्यार है,  ना तुम जाओ न हम,  मुझे इतना बोलना है, मर्हबा, धूप खिले जब तुम मुस्कुराओ, कुछ हम में ऐसी बातें हैं,  छोड़ो छोड़ो,  रात भर तन्हा रहा, मैं अलबेली मैं मतवाली, दिलबर मेरे वगैरह बेहद लोकप्रिय है। उन्होंने कई शायरी की किताबें भी लिखी जो हिंदुस्तान और पाकिस्तान में खूब पढ़ी जाती है।

publive-image

बताया गया कि पिछले शनिवार को उन्हें खांसी आने लगी और अचानक खून की उल्टी  होने के कारण तुरन्त मीरा रोड के मल्टी स्पेशलिस्ट अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां कोविड होने का पता चला, उन्हें हार्ट की भी तकलीफ थी। उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया लेकिन शाम चार बजे के करीब उनका निधन हो गया। इतने महान शायर, गीतकार आज हमारे बीच नहीं है। उनका इस तरह चले जाना, बॉलीवुड और शायरी की दुनिया को दर्द से भर गया। ईश्वर उनके आत्मा को शांति प्रदान करे और उनके घर वालों को धीरज बंधाये।

Latest Stories