फिल्मी मॉडल ने ललकारा हेमा मालिनी, रवि किशन और मनोज तिवारी को यूपी के चुनाव में! कहा "मैं द्रोपदी का श्राप मिटाने आयी हूं!"

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फिल्मी मॉडल ने ललकारा हेमा मालिनी, रवि किशन और मनोज तिवारी को यूपी के चुनाव में! कहा "मैं द्रोपदी का श्राप मिटाने आयी हूं!"

-शरद राय

सचमुच फिल्म इंडस्ट्री ही वह जगह है जहां कोई भेद भाव, ऊंच  नीच और जाति पाति नही है!' यह उदगार है उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव लड़ रही एक महिला प्रत्यासी अर्चना गौतम का। अर्चना ने ये कहा है जब दूसरी पार्टी के प्रचारक उसकी ग्लैमरस और बिकनी पहनी तस्वीरें ट्रोल कर रहे हैं।

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उसके लिए 'द्रौपदी' शब्द का इस्तेमाल किया जा रहा है। हस्तिनापुर से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रही अर्चना रिजर्व सीट की प्रत्यासी हैं और पिछड़ी जाति की लड़कियों को आगे आने का आवाहन कर रही हैं। अर्चना गौतम का कहना है (खुद के लिए द्रौपदी कहे जाने पर) की इस 'महाभारत' की धरती को द्रौपदी का श्राप रहा है कि यहां की औरतें  तरक्की नहीं करेंगी, उस श्राप से इस जगह को एक औरत ही मुक्त कराएगी।

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ज्ञातव्य है किअर्चना ने मुम्बई के म्हाडा(चार बंगला, अंधेरी) में रहकर अपने फिल्मी कैरियर की शुरुवात किया था। वह कई सौंदर्य प्रतियोगिताओं में (मिस उत्तरप्रदेश-2024, मिस बिकिनी इंडीज़-2018, मिस कॉस्मॉस वर्ड इंडिया-2018 और मिस टेलेंट-2018) आदि में भाग ले चुकी हैं। मॉडलिंग की हैं और छोटे रोल भी फिल्मों में किया है। वह कांग्रेस की महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी से प्रभावित रही हैं और बसपा में न होकर भी बसपा पार्टी की सुप्रीमो मायावती को बड़ी बहन कहती हैं।

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अर्चना गौतम के चुनाव क्षेत्र हस्तिनापुर के पास में ही मथुरा है जहां की सांसद हेमा मालिनी हैं। अर्चना कहती हैं कि मालिनी भी तो फिल्मों से हैं, वे भी ग्लैमरस कपड़े पहनी हैं क्योंकि वह हमारा काम है।किसी व्यवसाय की अपनी जरूरतें होती हैं, काम का अपना तरीका होता है। मेरा दुष्प्रचार करने वालों को यह समझना चाहिए।जो लोग मेरे  बिकनी पोस्टर लगाकर मुझे 'द्रौपदी' कहते हैं, मैं उनसे कहूंगी की ''मै द्रौपदी का श्राप मिटाने आयी हूं।'

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फिल इंडस्ट्री के दूसरे अभिनेताओं को जो राजनीति में हैं, के लिए वह कहती हैं कि वे लोग भी तो कपडा उतारते हैं। शर्टलेस होते हैं, उनके लिए कोई कुछ क्यों नही कहता? रवि किशन और मनोज तिवारी भाजपा में हैं वे भी फिल्मों से ही आये हैं।क्या ये लोग कपड़ा उतारकर काम नही किये हैं। स्त्री और पुरुष के लिए अलग अलग सोच क्यों है? पुरुष के लिए ही हर बात की छूट क्यों है? दलित समाज के लिए अर्चना काम करना चाहती हैं और पिछड़ी- दलित लड़कियों को ऊपर उठने का आवाहन करती हैं।समाज का उत्थान तब होगा जब औरतें दबकर न रहें, बाहर निकलें, तरक्की करें।फिलहाल अर्चना गौतम को सुनने के लिए और उनको देखने के लिए लोगों में उत्साह है और अच्छी बात यह है कि वह निःसंकोच फिल्मों की बात भी करती हैं।

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