"होली आयी, होली आयी, देखो होली आयी रे...!"- 3 सालों बाद...!

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"होली आयी, होली आयी, देखो होली आयी रे...!"- 3 सालों बाद...!

-शरद राय

साल 2019..2020...2021 की मुरझाई सोचों को पार करती, बदलाव की लहरों पर थिरकती, साल 2022 की होली एकबार फिर हमारे सामने है। कोरोना से घिरे मन के कसैलेपन को फेंक, अंधेरे कोहरे को चीरती, फिर एकबार उन्मुक्त रोशनी की झिलमिलाहट नजर आयी है! आओ, इस साल की होली की रंगीनियों को हम तहे दिल से अकवार दें! होली खुशियों का त्योहार है ! इस साल की खुशी बड़ी मन्नतों के बाद नसीब हुई है तो क्यों न हम इसे वैसे ही मनाएं जैसे होली सिनेमा के पर्दे पर हुआ करती हैं, खूब नाचें, झूमें गायें- 'होली आयी, होली आयी, देखो होली आयी रे...!'

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होली का इतिहास पुरातन है लेकिन होली- गीतों से पॉपुलर हुई होली की उम्र कोई साठ- सत्तर साल पुरानी है।पर्दे की होली के गीत हमारे जीवन की होली का हिस्सा बन चुके हैं। साल 1950 में पर्दे पर आयी फिल्म 'मदर इंडिया' का होली गीत- 'होली आयी रे कन्हाई...' और फिल्म 'नवरंग' का होली गीत-'अरे जा रे हट नटखट...' आज भी हमारे मानस पटल पर छाया हुआ है।

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ये और ऐसे ही तमाम गीत हमारे असली जीवन की होली का हिस्सा बन गए हैं। ऐसे ही गीत हैं- 'आयी होली आयी'( गाइड), 'आज न छोड़ेंगे बस हमजोली'(कटी पतंग),'दिल मे होली जल रही है'(जख्मी), 'मल दे गुलाल मोहें'( कामचोर),' रंग बरसे भींगे चुनरवाली' (सिलसिला), 'पिया संग खेलूं होली' (फागुन), 'मेरी पहले ही तंग थी चोली'(सौतन), 'मोहे छेड़ो ना' (लमहे), 'देखो आयी होली'(मंगल पांडे), 'होली खेले रघुवीरा' (बागवान), 'अंग से अंग लगा रे सजन'(डर), 'होली के दिन दिल खिल जाते हैं'(शोले), और 'बलम पिचकारी जो तूने मुझे मारी तो सीधी सादी छोरी शराबी हो गई' (गोलियों की लीला रामलीला)... जैसे गीत होली के दिन नहीं बजें तो कल्पना कीजिए होली कितनी बेरंगी हो जाएगी?

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राज कपूर की 'आरके स्टूडियो' की होली ने देश भर में होली का महत्व बढ़ाया था। स्टूडियो के बाहर सड़कें जाम हो जाती थी। आरके बंद हुआ तो अमिताभ के घर की होली, शाहरुख खान के घर की होली, यश चोपड़ा, सुभाष घई और अभिनेता चंद्र शेखर के घर पर आयोजित होने वाली होली देखने की भीड़ भी देखने लायक होती रही है।सितारों की होली का हुड़दंग देखने के लिए लोग देश भर से मुम्बई आया करते थे। भांग, अबीर, गुलाल और पानी से भरे टब में बीयर पीते हुए सितारों का फेंका जाना एक विहंगम पल होता रहा है।

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आपकी प्रिय पत्रिका 'मायापुरी' का होली का विशेष अंक तो तमाम लोग आज भी अपने संकलन में सम्भाल कर रखे हुए हैं।उसी मदमस्त होली की चमक विगत दो तीन सालों से फीकी पड़ी हुई है। हमारी शुभ कामना है- यह होली सभी के लिए मंगल दायिनी हो! होली खेलो, दिल खोलकर खेलो लेकिन यह भी याद रखो- 'बुरा न मानो होली है!'

HAPPY HOLI

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