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बाक्स आफिस कलैक्शन की रकम में से निर्माता की जेब में कितना जाता है

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बाक्स आफिस कलैक्शन की रकम में से निर्माता की जेब में कितना जाता है

-शान्तिस्वरुप त्रिपाठी

हम सभी सिनेमाघर जाकर टिकट खरीदकर फिल्में देखते हैं। उसके बाद जब हमें पता चलता है कि इस फिल्म ने इतनी कलैक्शन की, तो हम सभी सोचते हैं कि निर्माता की जेब में मेरे द्वारा टिकट के दाम के रूप में चुकायी गई रकम पूरी की पूरी निर्माता की जेब मंे गयी। पर हकीकत में ऐसा नहीं होता..हमारे द्वारा खरीदी गयी टिकट के लिए चुकाए गए रकम में जीएसटी (पहले इंटरटेनमेंट टैक्स होता था) भी जुड़ा होता है। इसके अलावा इसमें मल्टीप्लैक्स / सिनेमाघर मालिक का भी हिस्सा होता है। आइए आज हम मोटा मोटा समझते हंै कि बाॅक्स आफिस कलैक्षन मंे से कितनी रकम निर्माता को मिलती है।

पहले सिनेमा टिकट पर इंटरटेनमेंट टैक्स लगता था, जो कि हर राज्य सरकार अलग अलग लगाती थी। लेकिन जब से जीएसटी षुरू हुई है, तब से इंटरटेनमेंट टैक्स की जगह पर जीएसटी लगने लगी है और यह पूरे देष में एक समान है। सौ रूपए तक सिनेमा टिकट पर 18 प्रतिषत जीएसटी लगता है, जबकि 100 रूपए से अधिक की टिकट पर 28 प्रतिषत जीएसटी लगता है। यह जीएसटी की रकम सरकार के पास जाती है। इसके बाद सिनेमाघर /मल्टीप्लैक्स मालिक  अमूूमन अपलोडिंग, बैनर व अन्य खर्च के रूप में दस प्रतिषत काटता है। इसके बाद की बची हुई रकम में निर्माता की हैसियत से बंटवारा होता है। बहुत बड़ा व सफल निर्माता हो तो सिनेमाघर के मालिक को चालिस प्रतिषत और फिल्म निर्माता को साठ प्रतिषित मिलता है। अन्यथा पचास पचास प्रतिषत पर बंटवारा होता है। यह हिसाब पहले सप्ताह का होता है। दूसरे सप्ताह से सिनेमा मालिक का हिस्सा बढ़ता जाता है।

इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए हम फिल्म ‘‘आरआरआर’’ के बाक्स आफिस कलैक्षन का उदाहरण लेते हैं।

निर्माता का दावा है कि ‘आर आर आर’ ने बाक्स आफिस पर हजार करोड़ रूपए की कलैक्शन की। इसकी टिकट दर सौ रूपए से अधिक है। इसलिए 28 प्रतिषत जीएसटी लगा।

तो हजार करोड़ रूपए मेें से 28 प्रतिषत जीएसटी की रकम घटेगी। यानी कि हजार करोड़ में से 280 करोड़ सरकार के पास चले गए। फिर दस प्रतिषत अर्थात सौ करोड़ रूपए अपलोडिंग व अन्य खर्च के कटे। अब बची रकम का सिनेमा मालिक व निर्माता के बीच बंटवारा हुआ। ‘आरआरआर’ के निर्माता बड़े हैं, तो चालिस व साठ प्रतिषत के हिसाब से बंटवारा हुआ होगा...

- 1000

- 280 - जीएसटी

- 100 - अपलोडिंग व अन्य

620 करोड़ मंे से साठ प्रतिषत निर्माता का यानी कि निर्माता की जेब में 372 करोड़ व मल्टीप्लैक्स को मिले होंगे 248 करोड़।

अमूूमन इसी तरह के बंटवारे की बातें फिल्मकार बताते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि जीएसटी,मल्टी प्लैकस आदि का खर्च निकालकर निर्माता की जेब में सिर्फ तीस प्रतिषत ही जाता है। बाॅलीवुड से जुड़े सूत्र का दावा है कि ‘आर आर आर’ के निर्माता को सिर्फ तीस प्रतिशत ही मिल रहा है।

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