जॉनी लीवर की छाप से बाहर निकलने में एक वक्त लग गया मुझे- निर्मल गुनेरिया

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जॉनी लीवर की छाप से बाहर निकलने में एक वक्त लग गया मुझे- निर्मल गुनेरिया

-शरद राय

जिस तरह सभी बड़े सितारों के हमशक्ल (लुक अ लाइक) होते हैं , एक समय था जब हास्य कलाकार जॉनी लीवर के कई 'लुक अ लाइक' हुआ करते थे। इनमे एक ऐसा भी हमशक्ल था जॉनी का, जो हूबहू जॉनी लीवर ही लगता था और वह कई फिल्मों में जॉनी लीवर की पूरी- पूरी फिल्म कम्प्लीट करा दिया था और दर्शक समझ भी नही पाए। यह हमशक्ल था 'जॉनी निर्मल' ! जो आज अपनी स्वयं की पहचान रखने वाले कलाकार हैं निर्मल गुनेरिया !पिछले दिनों निर्मल गुनेरिया को मुम्बई में 'वसई गौरव अवार्ड' से सम्मानित किया गया। अवार्ड के बाद वह अपनी संघर्ष भरी कहानी शेयर किए-

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'वो दौर था जब जॉनी भाई बहुत बिजी हुआ करते थे। सभी निर्माता उनको अपनी फिल्म में रखना चाहते थे और वह अपने सरल स्वभाव के चलते किसी को ना नहीं कह पाते थे।' याद करते हैं निर्मल गुनेरिया।' तब हमसब यानी- उनके कई डुप्लीकेटों की चांदी हो गई थी। सबसे ज्यादा उनके जैसा दिखने वाला मैं था। मेरे लिए तो वह स्वयं कई फिल्मों में काम दिलाने की सिफारिश किये थे। है ना हैरानी की बात! एक असली ने एक नकली को प्रमोट किया था। मैंने जॉनी भाई की कई फिल्मों में उनकी अनुपस्थिति में जॉनी लीवर बनकर ही काम किया था।जैसे-एक फिल्म थी- अनिल कपूर की एक दिन का मुख्य मंत्री बनने वाली 'नायक' और ऐसी कई फिल्मों में जॉनी लीवर के काम को मैंने पूरी कराया था... पर्दे पर मुझे देखकर दर्शक कभी भांप नही पाए कि मैं असली नही हूं।' कहते हैं निर्मल गुनेरिया। ' अपने डुप्लीकेट रूप में देखकर मुझे 'जॉनी निर्मल' नाम भी वही दिए थे और एक दिन मुझे सलाह भी वही दिए थे- 'दूसरे की  छाप बनकर कबतक काम करोगे, अपनी पहचान खुद बनाओ।' और, उसके बाद ही मैं अपने असली नाम निर्मल गुनेरिया के रूप में काम करना शुरू किया।जॉनी लीवर की छाप से बाहर निकलने में एक वक्त लगा मुझे, लेकिन आज मैं जो फिल्में कर रहा हूं अपनी पहचान के साथ कर रहा हूं।'

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नागपुर (तिरोडा-भंडारा) में बचपना और पढ़ाई करने के दौरान ही निर्मल गुनेरिया को स्टेज पर गाने और एक्टिंग करने का शौक लग गया था। उनकी मां ने अपने बेटे की भावना को जाना, समझा और प्रोत्साहित किया- 'तू जरूर एक दिन कामयाब होगा।' मां हमेशा कहा करती थी। और मां के इसी सपने को साकार करने के लिए नागपुर का स्टेज कलाकार जेब मे सिर्फ 82 रुपया लिए मुम्बई आ गया था। बॉलीवुड नगरी में आकर यहां जो रहने- खाने का स्ट्रगल होता है निर्मल को भी वो सब देखना पड़ा। ' उस समय एक फिल्म बन रही थी अजित देवानी की 'राम गढ़ के शोले'। इस फ़िल्म में तमाम डुप्लीकेटों ने काम किया था। जूनियर देवानंद(किशोर भानुशाली), जूनियर अमिताभ बच्चन(विजय सक्सेना), जूनियर अनिल कपूर( नयन राठौर), जूनियर गोविंदा ( (आनंद) ने काम किया था। लुक अ लाइक चेहरों के लिए एक नया रास्ता निकल गया था। वे सब आज फिल्मों, टीवी आदि में काम कर रहे हैं। मुझे भी मौका मिल गया। फिर डुप्लीकेटों (लुक आ लाइक) को लेकर कई फिल्में बनी थी और मैं उन सब मे जूनियर जॉनी लीवर बनाया जाने लगा था।''

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'अपने खुद के नाम निर्मल गुनेरिया के रूप में पहली फिल्म किया 'हफ्ता बंद' जिसके हीरो जैकी श्रॉफ थे। जैकी ने मुझे फिर कई फिल्मों में काम पाने में मदत किया। वह यारों के यार हैं। फिर तो निर्मल गुनेरिया अपनी खुद की पहचान के साथ कई फिल्मों में काम करते गए। ये फिल्में थी- 'हफ्ता वसूली', 'भारत इंडिया हिंदुस्तान', 'धड़क', 'तीसरी कब्र', 'शिकारी' आदि। सीरियल किया- 'खून रंग लाएगा'(sony), 'टॉप चेयर गेम शो'(star plus) 'सदा बहार अंताक्षरी'(sony) आदि। मेरी उन फिल्मों में चाहे वो बी- सी ग्रेड की रही हैं या बड़े बैनर की, मेरा काम छोटा था या बड़ा था, मेरे काम की तारीफ होती रही है। एक फ़िल्म में तो मेरा काम पूरी फिल्म में हीरो के समांतर था जैसे जॉनी लीवर या दूसरे बड़े कॉमेडियन पहले की फिल्मों में हुआ करते थे, मेरे रोल को हीरो ने कटवा दिया। यह मद्रास की मुम्बई के हीरो के साथ बनी फिल्म थी...।' निर्मल कान पर हाथ लगाते हैं- 'हीरो का नाम नहीं लूंगा क्योंकि  यहां कैंची चलाने का काम बहुत तेज चलता है।'

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जॉनी निर्मल मुम्बई में न्यू इंडिया इंसयूरेन्स कम्पनी में सर्विस करते हैं। वह कहते हैं- 'नए कलाकार जो बॉलीवुड में काम करने आते हैं उनके लिए जरूरी है कि यहां उनके पास रहने और खाने की व्यवस्था हो तभी स्ट्रगल करने के लिए आएं।यहां का फार्मूला है टिकोगे तो काम पाओगे।'

'फिल्मों में काम अबतक कॉमेडी ही करते आ रहे हो, आगे किस तरह का काम करना चाहते हो-भूमिका के हिसाब से?'

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'कॉमेडी से मेरी शुरुवात हुई है। मैं स्टेज पर स्टैंडअप कॉमेडी करता हूँ।स्टेज पर लोग मुझसे वैसे ही काम करवाते हैं। वैसे, मैंने जिन फिल्म, धारावाहिक या स्टेज शो में कॉमेडी से हटकर काम किया है लोग उसको भी पसंद करते हैं। एक फ़िल्म में मैंने विलेन का काम किया है। एक वेब सीरीज कर रहा हूं जिसमे कॉमेडी के अलावा काम है। मुम्बई में परिवार के साथ रहता हूं, जॉब में हूं, मेरी पत्नी मुझे बहुत सपोर्ट करती हैं इसलिए कर पा रहा हूँ। मेरी कम्पनी के लोग भी बहुत सपोर्टिव हैं।सब चाहते हैं मैं कुछ बड़ा कर जाऊं। बहुत जल्द कल का 'जॉनी निर्मल' जो आज आपका 'निर्मल गुनेरिया' है...कुछ बड़ा करने वाला है। दर्शकों का प्यार चाहिए।'

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