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उन बारीकियों को पकड़ना ज़रा कठिन था, कहती हैं ज़ी थिएटर कृत म्युज़िकल 'पिया बहरूपिया' फेम गीतांजलि कुलकर्णी

उन बारीकियों को पकड़ना ज़रा कठिन था, कहती हैं ज़ी थिएटर कृत म्युज़िकल 'पिया बहरूपिया' फेम गीतांजलि कुलकर्णी
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-सुलेना मजुमदार अरोरा 

गीतांजलि कुलकर्णी का 'पिया बेहरुपिया' के साथ एक लंबा रिश्ता रहा है। 'पिया बहुरूपिया दरअसल विलियम शेक्सपियर की, हड्डियाँ गुदगुदाने वाली कॉमेडी' 'ट्वेंल्थ नाइट' की, बहुचर्चित अडप्शन है जिसे अडॉप्ट किया है अमितोश नागपाल ने और निर्देशित की है अतुल कुमार ने। 'पिया बहुरूपिया' अब टाटा प्ले थिएटर में सप्ताह भर स्क्रीन हो रही है। इसमें फुट टैपिंग फोक फ्यूज़न है और य़ह कहानी है एकतरफ़ा प्यार की जो ड्यूक ओरसीनों का ओलिविया के प्रति था और ओलिविया का सेसारियो के प्रति और सेसारियो का, (जो कि वास्तव में वियोला है परन्तु मर्द के भेष में रहती है) ड्यूक के प्रति प्यार की कहानी है।

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प्ले में पुरस्कार विजेता अभिनेत्री गीतांजलि कुलकर्णी को वियोला और सेसारियो के रूप में दिखाया गया है और उन्हें इन जुड़वाँ पहचानों को निभाना चुनौतीपूर्ण लगा। गीतांजलि कहती हैं, 'वियोला और सिजेरियो को एकसाथ अभिनीत करने का सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा यह था कि मुझे एक पुरुष को चित्रित करना था लेकिन प्रतिक्रियाएं एक महिला के समान देना था, साथ ही, वायोला के अंदर जो कुछ भी हो रहा था, उसे भी चित्रित करना था। उन सूक्ष्म विवरण और बारीकियों को पकड़ना थोड़ा कठिन था और मुझे वहां तक पहुंचने में कुछ समय लगा।”

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गीतांजलि का 'पिया बेहरुपिया' के साथ काफी समय से असोसिएशन रहा है और उनकी पसंदीदा यादों में से एक, लंदन में शेक्सपियर के ग्लोब में, प्रदर्शन करना था, जो टेम्स नदी के तट पर स्थित प्रतिष्ठित थिएटर है।  उसे याद करते हुए गीतांजली कहती हैं,  'उस दिन प्ले का प्रीमियर शो था और एक ऐसा क्षण आया जब वियोला एक गाना गाने के लिए नीचे आती है। बहुत ठंड थी, और जैसे ही मैंने गाना शुरू किया, बारिश होने लगी। चूंकि ग्लोब एक अर्ध-खुला थिएटर है, हम सभी ने बूंदा बांदी महसूस की और फिर उसी क्षण सूरज भी निकल आया। यह पूरा माहौल इतना जादुई और सुंदर हो गया था मानो किसी ने सिर्फ गाने के लिए वीएफएक्स इफेक्ट चालू कर दिया हो। मैं उस क्षण और विशेष रूप से ग्लोब में प्रदर्शन करने के लिए बहुत धन्य और भाग्यशाली महसूस कर रही थी, जो सभी कलाकारों के लिए एक पवित्र स्थान है।”

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गीतांजलि कहती हैं, 'मुझे थिएटर पसंद है क्योंकि मुझे लगता है कि यह एक सच्चे एक्टर का माध्यम है। मैं अपने अभिनय कला के बारे में बहुत कुछ सीखती हूं, जब मैं एक थिएटर प्रदर्शन की तैयारी कर रही होती हूँ। और फिर जब मैं परफॉर्म करती हूं, तो मैं महसूस कर सकती हूं कि मैं अच्छा कर रही हूं या नहीं तथा दर्शकों ने मुझे वहां कैसे प्रतिक्रिया दी है, वगैरह। मैं पिछले 25 सालों से प्ले कर रही हूं और जब मैं फोकस पर होती हूं तो घर जैसा महसूस करती हूं। मुझे इस जादू की बहुत आदत है और मुझे यह अनुभव पसंद है क्योंकि यह मुझे एक व्यक्ति के रूप में बहुत शांति देती है।”

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नाटकों के डिजिटलीकरण के बारे में गीतांजलि कहती हैं, 'लॉकडाउन के दौरान, यह प्रक्रिया विशेष रूप से सहायक थी क्योंकि थिएटर कलाकारों के पास अपना काम साझा करने का कोई दूसरा तरीका नहीं था। डिजिटलीकरण ने चीजों को चालू रखा और इसने दुनिया भर के बहुत से लोगों के लिए न केवल रचनात्मक रूप से तालमेल बिठाना, बल्कि कन्टेन्ट तक पहुंच बनाना भी संभव बना दिया। महामारी के दौरान, एक अलग प्रारूप में थिएटर को जीवित रखने में टेक्नॉलजी ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। थिएटर एक जीवंत ऊर्जा के बारे में है लेकिन यह उसका एक और पहलू है और यह एक विशाल अंतर को पाट रहा है। यह थिएटर न होने से बहुत बेहतर है।'

पिया बेहरुपिया के फिल्मांकन निर्देशक स्वप्ना वाघमारे जोशी हैं और इसमें अमितोष नागपाल, सागर देशमुख, मानसी मुल्तानी, मंत्र मुग्ध, गगन रियार, नेहा सराफ, तृप्ति खामकर और सौरभ नायर भी हैं।

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