फ़िल्म पत्रकार-नवीन जैन
स्व.लता मंगेशकर के कुछ राज़ ऐसे , जो बहुत कम लोगों को मालूम होंगे। फ़िल्म सत्यम:,शिव:सुंदरम: में उन्होनें ही गाने गाए थे। राजकपूर भी राजकपूर ही थे। कह दिया कि लता इज अगली गर्ल ।यानी , लता मंगेशकर बदसूरत युवती हैं। अपने स्वाभिमान को कायम रखने के लिए लताजी बड़ी से बड़ी कीमत चुका सकती थीं। उन्होंने उक्त पंक्ति से प्रारंभ होने वाले गीत, जो अजर अमर हो गया, को कम्पोज़ करने से साफ मना कर दिया। नतीजतन, हाहाकार मच गया। लक्ष्मी-प्यारे की जोड़ी ने भी लताजी के अलावा किसी अन्य गायिका से गंवाने से मना कर दिया ।फ़िल्म अधूरी रह जाती। समझाने, और बुझाने के लिए कुछ बड़े लोग बीच में पड़े। बेहद खफ़ा लताजी ने एक बार में ही उक्त गीत कम्पोज़ करवा दिया, लेकिन राजकपूर से बात तक नहीं की। हालांकि, जब राजकपूर के यहाँ चर्चित रोमांटिक हीरो स्व. ऋषि कपूर ने जन्म लिया, तो उन्हें लताजी द्वारा गोद में ली गई तस्वीर बहुत चर्चित हुई थी।
बहुत कम लोग ही यह जानते होंगे कि लाइव प्रोग्राम के पहले लताजी लगभग हर वाद्य को स्वयं चैक करती थी ।एक बार बड़ी बुरी बला टल गई। हुआ यूं था कि उनके ही रसोइये के मार्फ़त उन्हें धीमा जहर देने की कोशिश की गई। जब तबीयत खराब होने लगी, और खासकर गले में खराश होने आई, तो मेडिकल चैक अप में पता लगा कि मामला स्लो फूड पॉइजनिंग का है। साजिश रची गई थी कोई बड़ी, लताजी ने उस मामले को आगे नहीं बढ़ने दिया, लेकिन उनके समकालीन गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी, जिन्होंने उनके लिए ढ़ेरों हिट गीत लिखे , लताजी को बहन मानते थे। उक्त घटना के बाद मजरूह सुल्तानपुरी लताजी के घर नियमित जाते। पहले खुद खाना चखते। फ़िर लताजी खातीं।गायिकी में सक्रिय लोग सामान्यतः अपने गले को लय में रखने के लिए खान पान में बड़े परहेज से काम लेते हैं। जैसे मिर्च मसालों से बचते हैं, लेकिन उक्त स्वर कोकिला दिन में चार पाँच हरी मिर्च खा जाया करती थीं। इन्दौर के विश्व प्रसिद्ध नमकीन उनके लिए ख़ास तौर पर इन्दौर से ही भेजे जाते थे। वे, और आशा भौसले जी इन्दौर से मिलने वालों के लिए आराम से उपलब्ध हो जाया करती थीं , और ख़ासकर यहाँ के पोहे की दुकानों, चाट के अड्डों की जानकारी लेती रहतीं।वे यहाँ की यात्रा के दौरान खजराना के विश्व प्रसिद्ध गणेश मंदिर के दर्शन के लिए, तो जाती हीं। उन्हें पास स्थिति पर्यटन स्थल माण्डू जाना बेहद पसंद था, जो रानी रूप मति, एवं बाज बहादुर की अमर प्रेम कहानी के लिए आज भी दुनिया भर के आकर्षण का केन्द्र है। जब उनकी पाकिस्तान की यात्रा की चर्चा चली, तो मज़ेदार किस्सा हुआ। पाकिस्तान की तत्कालीन सरकार ने यह कहकर माफ़ी माँग ली कि अरे साहब! भीड़ को सम्हालने के लिए हमारे पास फोर्स, या पुलिस , और दूसरे संसाधन ही नहीं है, लेकिन उनकी लंदन के प्रसिद्ध अल्बर्ट हॉल में लाइव कंसर्ट देने की इच्छा पूरी करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने अपने नियमों में परिवर्तन तक किया। उसके पहले तक कोई परदेसी उक्त हॉल में कार्यक्रम नहीं कर सकता था।
उसूलों की इतनी पक्की थीं वे कि आवाज़ में तिनका भर दरार भी आ जाए, रेकॉर्डेड गाने को खुद रद्द कर देती थीं।छह साल की जब थीं, तब ही पिता के एक शिष्य की ही ग़लती पकड़ ली थी। पिता एक शिष्य को गाना सीखा रहे थे। शिष्य राग पुरिया श्री धनाश्री में कुछ गया रहे थे। पिता कुछ इधर उधर हुए तो लताजी ने गलती पकड़ ली, और सही सीखने बैठ गई। उन्हें सीआईडी सीरियल बेहद पसंद था। अचानक बंद हो गया, तो उन्होंने ही सबसे ज़्यादा हंगामा मचाया। उसके पात्र दया के कपड़े वे ही अक्सर तय करतीं थीं।