-शरद राय
बप्पी दा बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वह अपने संगीत कैरियर में तमाम पड़ाव से गुजरे थे। वह गायक थे, कम्पोज़र थे, स्टेज कलाकार थे, सामाजिक सोच के व्यक्ति थे, राजनीति में भी चुनाव लड़कर हिस्सा लिए थे। लेकिन, कमलोगों को पता होगा कि उनको अपनी संस्कृति से भी बड़ा लगाव व प्यार था।
बॉलीवुड में डिस्को संस्कृति के इस सृजनकार की आखिरी रिलीज फिल्म भी संस्कृति भाषा मे बनी फिल्म 'अहं ब्रह्मास्मि' थी। और, इस फिल्म को करने के बाद बप्पी दा ने कहा था- 'अब पूरा हो गया सपना!'
बप्पी लहरी को याद कर यह संस्मरण सुनाते हैं महर्षि आज़ाद। बॉम्बे टाकीज जैसे प्रेस्टीजियस बैनर को पुनर्गठित करनेवाले अभिनेता-लेखक-निर्देशक व संगीतकार महर्षि आज़ाद संस्कृत भाषा की फिल्म 'अहं ब्रह्मास्मि'' को लेकर कुछ समय पहले काफी चर्चा में थे।
वह बताते हैं- ''इस संस्कृत भाषा की फिल्म में बप्पी दा ने दो गाने किये हैं। फिल्म का पूरा संगीत हमने लगभग कर लिया था, बप्पी दा को मालुम पड़ा कि ऐसी कोई फिल्म बन रही है जो संस्कृत भाषा मे है, वह इस फिल्म से जुड़ने की इच्छा जाहिर किये और सामने से रुचि जताकर फिल्म के लिए दो गाने तैयार किये थे। दो गाने वह किए थे और दो गाने मैंने किए। संयोग देखिए यही उनकी आखिरी रिलीज हुई फिल्म भी है।'
आज़ाद बताते हैं कि बप्पी लहरी से उनका जुड़ाव पहले से है। वह उनके प्रोडक्शन की सभी फिल्म के लिए म्यूजिक किये हैं। ''राष्ट्रपुत्रा'' और 'अहं ब्रह्मास्मि' के अलावा अगली फिल्म 'द बुद्धिस्ट' का संगीत भी बप्पी ही करने वाले थे। गाना वह तैयार कर लिए थे जिसे आगे फिल्म में रखा जाने वाला है।
''हमारे बीच एक आत्मीयता का रिश्ता था। जब वह अपनी फिल्म 'लव स्टोरी '98' बना रहे थे, हीरो मुझे ही लिए थे। फिल्म बन नही पायी...।' याद करते हैं आज़ाद। 'काम मे तो निपुण थे ही बप्पी दा वह व्यक्ति के रूप में और भी फैंटास्टिक थे। ऐसी क्वालिटी कम ही लोगों में मिलती है।'
बॉम्बे टाकीज बैनर द्वारा आयोजित एक कर्यक्रम में बप्पी लहरी ने गाना गाकर शमां बांध दिया था... दे दे प्यार दे, दे दे प्यार दे, प्यार दे प्यार दे प्यार दे... बॉम्बे टाकीज को प्यार दे!!' और वह 'बॉम्बे टॉकीज को प्यार दे' को बड़े अंदाज़ से गाए थे। ऐसा कई मौका आया जब वह बड़ी आत्मीयता से हमारे साथ होते थे।'