सब वीडियो बनाने वाले बॉलीवुड से नही होते! शुरू हो गया फेक खबरों पर शिकंजा लगाया जाना। By Mayapuri Desk 11 Jan 2022 in गपशप New Update Follow Us शेयर ससपेंड हुए 73 ट्वीटर हैंडल, 4 यू ट्यूब चैनल्स और 1 इंस्टाग्राम -शरद राय जैसा कि हमने पहले ही बताया था कि देश के 5 राज्यों में विधायिकी- चुनाव की घोषणा होते ही 'वर्चुअल' (virtual) युद्ध शुरू हो जाएगा। चुनाव आयोग ने कोरोना को देखते हुए प्रचार को पूरी तरह से वर्चुअल घोषित कर दिया है। वर्चुअल यानी-इंटरनेट के ज़रिए सिर्फ सोशल मीडिया पर प्रचार होगा। लीजिए साहब प्रचार शुरू नहीं हुआ कि अफरा तफरी शुरू हो गई। यूनियन मिनिस्टर फ़ॉर इलेक्ट्रॉनिक्स एंड आईटी को शिकायतें मिलनी शुरू हो गई हैं। एक शिकायत के आधार पर मंत्रालय द्वारा 73 ट्वीटर हैंडल, 4 यू ट्यूब चैनल्स और 1 इंस्टाग्राम गेम को ससपेंड कर दिया गया है। ऐसा समझा जा रहा है कि सोशल मीडिया की इनकी खबरों के 'क्रियेटर' विदेश से या पाकिस्तान के बाहर से हैं। ऐसा समझा जा सकता है कि अब चुनाव के दौरान हेट स्पीच और फेक खबरों का बनाया जाना बहुत बढ़ जाएगा। जिस खबर को लेकर आईटी मंत्रालय ने एक्शन लिया है उसकी रपट एक व्यूअर ने मंत्रालय को ट्वीटर हैंडल पर ही शेयर किया है। इस वीडियो में प्रधान मंत्री को संसद भवन में बहुत वॉयलेंट हुआ दिखाया गया है। हालांकि बताया जा रहा है कि यह वीडियो 2020 से ही स्ट्रीम हो रहा है। लोगों ने मांग किया है कि ऐसे क्रिएटोरों का तत्काल पता लगाकर उनको सजा दिया जाना चाहिए। ताप्तर्य यह कि यह अवधारणा अब बहुत पीछे छूट चुकी है कि फिल्म या वीडियो सिर्फ बॉलीवुड के लोग ही बनाना जानते हैं। उनको शख्त सेंसर किए जाने की जरूरत है। दरअसल ऐसा समझने वालों को अब यह समझने की जरूरत है कि 'क्रियेटर' कहीं से भी हो सकते हैं, कोई भी हो सकता है और ये विदेश की धरती से भी ''मेड इन इंडिया' का जामा पहना कर आ सकते हैं।प्रचार की ये सामग्री किस रूप में रहेगी, यह भी विविधता देखने जैसी होगी। वर्चुअल वोट युद्ध, वर्चुअल सभाएं, डिजिटल युद्ध संग्राम, 3d तकनीक का इस्तेमाल होगा अब जबकि देश के 5 राज्यों में चुनाव की भेरी बज चुकी है जिनमें दो राज्य बहुत संवेदनशील हैं उत्तर प्रदेश और पंजाब। बाकी के तीन दूसरे राज्यों// के चुनाव हैं ।देश मे कोविड की तीसरी लहर और संक्रमण का ख़ौफ़ हर जगह एक जैसा है। यूपी में जातीय और धार्मिक उनमांदता का जोर सोशल मीडिया पर छा जाएगा, इस बात का डर है। वहां (वाराणसी) प्रधान मंत्री का संसदीय खेत्र भी है तो उन्माद और बढ़ चढ़ कर रहता है और रहेगा।पंजाब की अपनी हवा और राजनैतिक लड़ाई है। वहां किसान आंदोलन का भी असर है। अब जब चुनावी मैदान सुनसान रहेंगे तो जाहिर है प्रचार का पूरा प्रसार सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्मों पर जहर उगलता हुआ दिखलाई देगा। ये प्लेट फॉर्म होंगे-फेसबुक, व्हाट्सअप, ट्वीटर हैंडल, इंस्टा ग्राम आदि। सोशल मीडिया के इन प्लेटफॉर्मों पर जो सामग्री(कंटेंट) दी जाएगी उसका रूप रहेगा - वर्चुअल वोट युद्ध, वर्चुअल सभाएं, डिजिटल युद्ध तकनीक और 3d तकनीक। धर्म के नाम पर, लाभ देने के नाम पर और आरक्षण के नाम पर जो जो वादे आप सुनेंगे, हैरान हो सकते हैं। इतना बड़ा फरेब कभी बॉलीवुड या किसी भी वुड की फिल्मों ने नही दिखाया होगा।इतनी तकनीक के साथ ये जायकेदार सामग्री हमारे सामने पेश की जाएगी जो कभी नही आयी होगी। सो, होशियार खबरदार हो जाइये क्योंकि कारोना महामारी की छत्र छाया में कोरोना वेरिएंट से खतरनाक वेरिएंट चुनाव सामग्री के रूप में सोशल मीडिया पर दिख सकते हैं।आईटी मंत्रालय ने ट्विटर, यूट्यूब और इंस्टा ग्राम के चैनलों को सस्पेंड करने की जो पहल किया है उसे बसदस्तूर जारी रखा जाना चाहिए। हम भी चुनाव आयोग और सरकार के इलेक्ट्रॉनिक और आइटी मंत्रालय से यही दरख्वास्त करेंगे कि सोशल मीडिया के संक्रमण को रोकने वाली वैक्सीन (नियमावली) का भी प्रचार खूब किया जाए। #Social Media #social media political campaign #social media political parchar हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article