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अब पर्दे की कंट्रोवर्सी में रामायण के सीता और हनुमान! आनेवाली बंगाली फिल्म में इनके नामों पर सेंसरबोर्ड को आपत्ति

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अब पर्दे की कंट्रोवर्सी में रामायण के सीता और हनुमान! आनेवाली बंगाली फिल्म में इनके नामों पर सेंसरबोर्ड को आपत्ति

-शरद राय

इनदिनों जब पूरे देश मे साम्प्रदायिक विवाद को हवा दिए जाने की खबरें गर्म हैं, सिनेमा का संसार भी इससे दूर नही है। एक बंगाली फिल्म के लिए वहां के सेंसर बोर्ड- सीबीएफसी (सेंट्रल बोर्ड ऑफ फ़िल्म सर्टिफिकेशन) ने फिल्म से 'सीते' और 'हनु' शब्द हटाने का निर्देश दिया है। ये दोनों शब्द रामायण के पात्र सीता और हनुमान के लिए फिल्म में बोले गए हैं। सीता हमारे देश मे देवी हैं और हनुमान संकट मोचक भगवान के रूप में पूजे जाते हैं।

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बंगाली भाषा मे बनी फिल्म 'आश्रय गोप्पो' को लेकर यह विवाद गर्म हो रहा है कि ऐसा क्यों?  हालांकि फिल्म अभी की बनाई गई फिल्म नही है, यह फिल्म लगभग 9 साल पहले शुरुवात पायी थी जो आर्थिक कारणों से अब जाकर पूरी हो पाई है। अब जब फिल्म सेंसर को दिखाई गई है तो सामने यह विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल फिल्म के दो कलाकार इंद्रनील और पायल सरकार इन वर्षों में कलाकार से अब राजनीति का चेहरा बन चुके हैं। पिछले बंगाल चुनाव में दोनो बीजेपी के प्रत्याशी थे।हालांकि वे चुनाव हार चुके कंडीडेट हैं किंतु बताते हैं वहां की सत्तासीन पार्टी उनको प्रतिद्वंदी के रूप में ही देखती है।फिल्म  'आश्रय गोप्पो' में इंद्रनील घोष, पायल सरकार, अबीर चटर्जी की भूमिका है। फिल्म के निर्देशक हैं- अरिंदम चक्रोबर्ती। यह एक हल्की कॉमेडी फिल्म है जिसमे एक प्रसंग रामायण धारावाहिक से जुड़ा है। फिल्म में एक संवाद है- 'आम के माल बोलबें ना, अमी सीते' और एक जगह हनुमान के लिए 'हनु' शब्द का इस्तेमाल किया गया है। बोर्ड ने फिल्म को चार कट करने का निर्देश दिया है जिनमे दो कट रामायण प्रसंग के हैं। निर्देशक अरिंदम ने गुहार किया है कि वह ''अमी सीते''  और 'हनु' को बदलकर सीता और हनुमान करने के लिए तैयार हैं।लेकिन बोर्ड मानने के लिए तैयार नही है। इन शब्दों का उपयोग किया जाना सेंसर की  गाइड लाइन 2(x11) का वायलेशन है, ऐसा सेंसर बोर्ड का मानना है।धर्म, जाति और समुदाय के संदर्भ में इस अनुच्छेद का इस्तेमाल होता है।

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बहरहाल इस पूरे घटना क्रम को धर्म की राजनीति को हवा दिए जाने से जोड़कर देखा जा रहा है। जो भी हो, निर्माता की हालत कोई नहीं समझना चाहेगा जो बड़ी आर्थिक तंगी में फिल्म पूरी कर पाया है और जैसे तैसे फिल्म रिलीज करना चाहता है। इसका दूसरा पहलू भी हो सकता है फिल्म को चर्चा में ले आने के लिए... खैर, आजकल जब पूरे देश मे , हर छोटी बड़ी  घटना में धर्म की राजनीति को खखाला जा रहा है, पर्दे पर भी वही शुरू किए जाने से रोका जाना चाहिए।

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