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अब 5 राज्यों की पूरी चुनावी- लड़ाई सोशल मीडिया पर! फिल्मी तरकश के वाणो से निशाने बाजी!!

अब 5 राज्यों की पूरी चुनावी- लड़ाई सोशल मीडिया पर! फिल्मी तरकश के वाणो से निशाने बाजी!!
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-शरद राय

और, अब सोशल मीडिया पूरे फॉर्म में है। ना भूतो ना भविष्यति! किसी मीडिया के विस्तार का यह परचम है। 5 राज्यों में चुनावी घोषणा के साथ चुनाव आयोग ने आदेश दिया है कि प्रचार खुली भीड़ में, मैदान में नही किए जाएंगे बल्कि 'वर्चुअल' ही किए जा सकते हैं। याद कीजिए जिस सोशल मीडिया को बंद कराए जाने को लेकर तरह तरह की दलीलें दी जाती थी, जिसके पूर्णतः प्रतिबंध किए जाने को लेकर चुनावी महीनों में चुनाव आयोग की भर्त्सना की जाती थी कि सोशल मीडिया का वहिष्कार किया जाए, उसी मीडिया को सर आंखों पर बैठाया गया है।

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बतर्ज नाना पाटेकर की एक फिल्म के संवाद: 'एक मच्छर आदमी को हिजड़ा बना देता है', एक वायरस (कोरोना) ने चुनावी मैदान के शेरों और प्रचारकों को मैदान में जाने देने से... बना दिया है। चुनाव आयोग ने जैसे कोरोना की दवाई पेश किया है- 'वर्चुअल हो जाओ।'' और इस काम के लिए सोशल मीडिया को कोरेन टाइन सेंटर की तरह पेश किया गया है। वाह रे सोशल मीडिया का प्रभाव! अब तो चारोतरफ तुम्हारी ही होनेवाली है जय जयकार!

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सोशल मीडिया के सभी अंग ( फेसबुक, व्हाट्सअप, ट्वीट, इंस्टा, यू ट्यूब... और नो डाउट- टीवी चैनल्स) अपनी तरकश को चुनावी-प्रचार सामाग्री से लैस करने में जुट गए हैं। कौन कितना रेट देने के लिए तैयार है। किस पार्टी और किस नेता के लिए कैसे प्रोग्राम-क्लिपिंग, स्पीच, कार्टून, व्यंग आलेख तैयार करके उछाले जाएं। इसके लिए हिंदी फिल्मों के दृश्य भी ढूढे जा रहे हैं। सितारों से, म्यूजिक कम्पोजरों से, जिंगल बनाने वालों से, मीटिंग-  सिटिंग शुरू है। उत्तर प्रदेश, पंजाब के चुनाव के लिए फिल्मी तरकश के वाणो को साधा जाना और उनसे निशाना लगाया जाना लाजिमी है क्योंकि यहां के लोग बॉलीवुड में ज्यादा एक्टिव हैं और यहां के वोटर भी कमोवेश फिल्मी तर्ज को ज्यादा तरजीह देते हैं।

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यानी- टाइम आगया है सोशल मीडिया के उफान का! आपके कम्प्यूटर, लैपटॉप,मोबाइल फोन जाम रहेंगे। आप सोचते होंगे कम्प्लेन दे देंगे सायबर विभाग को, पोलिस को, चुनाव आयोग को। करिएगा, लेकिन अपने इंस्ट्रूमेंट मत फेंकना! क्योंकि यह मौशमी बुखार है। जब विरोध हो रहा था सोशल मीडिया पर अनाप शनाप अपलोडिंग का, तब तो इसके 'मिसेयूज' को रोका नही जा पा रहा था। अबतो परमीशन है भारत के सबसे बड़े संरक्षण तंत्र इलेक्शन कमीशन का। चुनाव का प्रचार मैदान में, गलियों और नुक्कड़ों पर नही होगा, सोशल मीडिया पर होगा...सो, आप भी जरा सम्भल कर!

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