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अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के मौके पर, एण्डटीवी के कलाकारों ने उत्तरप्रदेश की बोली के अपने पसंदीदा शब्द बताये

अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के मौके पर, एण्डटीवी के कलाकारों ने उत्तरप्रदेश की बोली के अपने पसंदीदा शब्द बताये
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भाषाई और सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषावाद के बारे में जागरूकता फैलाने के लिये हर साल 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस (इंटरनेशनल मदर लैंग्वेज डे) मनाया जाता है। अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर, एण्डटीवी के कलाकारों सिद्धार्थ अरोड़ा (महादेव, ‘बाल शिव‘), अंबरीश बॉबी (रमेश प्रसाद मिश्रा, ‘और भई क्या चल रहा है?‘), योगेश त्रिपाठी (दरोगा हप्पू सिंह, ‘हप्पू की उलटन पलटन‘), और सलीम अली जैदी (टिल्लू, ‘भाबीजी घर पर हैं‘) ने उत्तर प्रदेश की बोली से अपने पसंदीदा एवं मजेदार शब्दों और कहावतों के बारे में बात की।

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मूल रूप से वाराणसी के रहने वाले सिद्धार्थ अरोड़ा ऊर्फ एण्डटीवी के ‘बाल शिव‘ के महादेव कहते हैं, “ऐसा माना जाता है कि बनारस या वाराणसी के लोग बहुत ही सरल और जमीन से जुड़े होते हैं। वह भी थोड़े ठेठ अंदाज के साथ जो उनकी खूबी है। कुछ शब्द इतने अनूठे और अनोखे हैं कि कोई भी दूसरा शब्द उसकी जगह नहीं ले सकता। वाराणसी में आमतौर पर इस्तेमाल किये जाने वाले कुछ मजेदार शब्द, जो मेरे दिमाग में आते हैं उनमें भौकाल (डर, रुतबा, जलवा), बंपिलाट (आलसी, लापरवाह), चापसांड (विशालकाय), चैचक (आकर्षक), लल्लनटॉप (अद्भुत) शामिल हैं। इसके अलावा, हम अक्सर लोगों को ’गुरु’, ’राजा’ या ’मालिक’ कहकर भी बुलाते हैं। भारत की सुंदरता उसकी संस्कृति, खानपान और भाषा में विविधता में मौजूद है। जब मैं मातृभाषा के बारे में बात करता हूं, तो उसमें ’अपनापन’ या आत्मीयता की भावना होती है, क्योंकि ये हमें पहचान का भाव देती है। यह हमारे व्यक्तित्व का एक अभिन्न अंग हैं। सभी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।“

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लखनऊ के मूल निवासी अंबरीश बॉबी ऊर्फ एण्डटीवी के ‘और भई क्या चल रहा है?‘ के रमेश प्रसाद मिश्रा कहते हैं, “लखनवी अंदाज़ में कुछ तो जादू जरूर है। जब हम भाषा के बारे में बात करते हैं, तो हर शहर का अपना आकर्षण और स्वैग होता है। कुछ शब्द केवल स्थानीय लोग ही जानते हैं और उनका अनुवाद नहीं किया जा सकता, क्योंकि इससे उनका आकर्षण खत्म हो जाता है। जैसे, रंगबाज़ी (अकड़), भौकाल (भव्य), अमां यार! (एक तरह की अभिव्यक्ति), चीकाट“ या “खटिक“ (रोडसाइड रोमियो के संदर्भ में), कंटाप (थप्पड़), तफरी (चिल करना), भैया, टूटे देना (चेंज, छुट्टा) और ऐसे ही कई शब्द। जब कोई ओवर स्मार्ट होने की कोशिश करता है या कुछ बेवकूफी भरा कहता है, तो मैं हमेशा कहता हूं ’पगलैट है पूरा!’। किसी भी मातृभाषा की सुंदरता उसका अनूठापन, उसकी बनावट और गौरव है। हर भाषा पर गर्व होना चाहिये और उनका सम्मान किया जाना चाहिये। सभी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की शुभकामनाएं।“

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कानपुर के रहने वाले योगेश त्रिपाठी ऊर्फ एण्डटीवी के ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ के दरोगा हप्पू सिंह कहते हैं, “हमारी मातृभाषा हमारा गौरव और हमारी पहचान है। जब हम बात करते हैं, तो मातृभाषा हमें हमारी जड़ों और संस्कृति से जोड़ती है। कनपुरिया भाषा में, यूपी भर में बोले गए कुछ शब्दों का ओवरलैप है। लेकिन कुछ शब्द ऐसे हैं जो केवल एक कनपुरिया ही पहचान सकता है। खासकर मेरे शो में, हम इन शब्दों का काफी इस्तेमाल करते हैं और दर्शकों को वे काफी पसंद भी आते हैं! जैसे कि, कंटाप (थप्पड़) , चैकस (अद्भुत), बकैत (बड़बोला), खलीफा (अति आत्मविश्वासी), बकलोली (बकवास), लभेड (परेशानी), पौवा (जुगाड़), चिकाई (मजाक), चिरांद (चिड़चिड़ा) और बौकाल (किसी व्यक्ति के स्वैग या पर्सनालिटी के बारे में बताने के लिये)। हमने शो में कुछ खास तकियाकलाम भी बनाये हैं, जिन्हें दर्शकों ने बहुत पसंद किया, खासकर ’न्यौछार कर दो’ और ’अरे दादा’। यह देखकर बहुत अच्छा लगता है कि लोग अलग-अलग भाषाओं को अपना रहे हैं और उन्हें अपनी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा बना रहे हैं। सबको अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की अनेकानेक बधाइयां।“

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रामपुर जिले के रहने वाले और एण्डटीवी के ‘भाबीजी घर पर हैं‘ में टिल्लू का किरदार निभा रहे हैं, सलीम अली जैदी कहते हैं, “उत्तर प्रदेश की बोली अनूठी और विविधताभरी है। इसमें ठेठपन का एक आकर्षण है और यही इसकी यूएसपी है। इसका ज़ायका और कुछ शब्द इतने अद्भुत हैं कि कोई दूसरा शब्द उसकी जगह नहीं ले सकता। मेरे अपने फेवरेट हैं कंटाप (थप्पड़), लफंटर (गुंडे), बकैती (बकवास), हप्शी (भुक्खड़), रंगबाजी (अकड़ दिखाना), चैधराहट (रॉयल) और ततियाना (अशिष्ट) शामिल हैं। इस लिस्ट का कोई अंत नहीं। इसका अपना अनूठापन है, इसकी ध्वनि ही इसे बेहद मजेदार और आकर्षक बनाती है। लोग जिज्ञासु होते हैं और इसका अर्थ जानना चाहते हैं। यह लोगों से जुड़ने का एक और तरीका है। मुझे अपनी मातृभाषा पर गर्व और अपने देश में भाषा का विविधतापन देखना दिलचस्प है। अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर, मैं चाहता हूं कि हर कोई अपनी भाषा का जश्न मनाये और उस पर गर्व करे।“

देखिये, ‘बाल शिव‘ में सिद्धार्थ अरोड़ा को महादेव के रूप में रात 8ः00 बजे, अंबरीश बॉबी को ‘और भई क्या चल रहा है?‘ में रमेश प्रसाद मिश्रा के रूप में रात 9ः30 बजे, योगेश त्रिपाठी को दरोगा हप्पू सिंह के रूप में ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ में रात 10ः00 बजे और सलीम अली जैदी को टिल्लू के रूप में ‘भाबीजी घर पर हैं‘ में रात 10ः30 बजे, सोमवार से शुक्रवार, सिर्फ एण्डटीवी पर!

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