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राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर, एण्डटीवी के कलाकारों ने सरोजनी नायडू को याद किया

राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर, एण्डटीवी के कलाकारों ने सरोजनी नायडू को याद किया
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हर साल सरोजिनी नायडू की जयंती पर राष्ट्रीय महिला दिवस (National Women’s Day) मनाया जाता है। उन्होंने अपने काम और उपलब्ध्यिों के माध्यम से कई लोगों को इस बात के लिये प्रेरित किया है कि हमारे लिए असीम संभावनायें हैं तथा हम अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और कड़ी मेहनत से कुछ भी संभव कर सकते हैं।

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राष्ट्रीय महिला दिवस पर, एण्डटीवी के कलाकारों, मौली गांगुली (महासती अनुसुइया, ‘बाल शिव’), अकांशा शर्मा (सकीना मिर्जा, ‘और भई क्या चल रहा है?’), कामना पाठक (राजेश, ‘हप्पू की उलटन पलटन’), शुभांगी अत्रे (अंगूरी भाबी, ‘भाबीजी घर पर हैं’) ने इस लीडर के उत्कृष्ट कामों और उनके योगदान को याद किया

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मौली गांगुली, ऊर्फ एण्डटीवी के ‘बाल शिव’ की महासती अनुसुइया, कहती हैं, “सरोजिनी नायडू अपने समय की एक नारीवादी थीं, जिन्होंने भारत में महिलाओं के लिये अवसरों के कई दरवाजे खोले। वह भारत की राज्यपाल के रूप में सेवा करने वाली पहली महिला थीं। उनकी जयंती भारत में महिला शक्ति के विकास के उत्सव का प्रतीक है। उन्होंने मुझे खुद पर विश्वास करने के लिये प्रेरित किया। अपने काम और शिक्षा के माध्यम से उन्होंने दुनिया को जीतने का मार्ग दिखाने में मदद की।”

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अकांशा शर्मा ऊर्फ एण्डटीवी के ‘और भई क्या चल रहा है?’ की सकीना मिर्जा कहती हैं, “सरोजनी नायडू अपनी बात की पक्की महिला थीं। उनकी कविताएं बहुत अच्छी हैं और वो जो कहती थीं वही उनके कामों में भी झलकता था। उन्होंने यह साबित करके दिखाया कि कुछ हासिल करना जेंडर विशेष से तय नहीं होता। सफल होने के लिये लगन और सही दिशा में मेहनत करने की जरूरत होती है।”

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कामना पाठक, ऊर्फ एण्डटीवी के ‘हप्पू की उलटन’ की राजेश कहती हैं, “सरोजनी नायडू ने भारतीय महिला संघ की स्थापना में अहम भूमिका निभायी थी। उन्होंने देश की आजादी के लिये भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। सरोजनी एक विलक्षण प्रतिभा, स्वतंत्रता सेनानी, लीडर, कुशल वक्ता और अनुकरणीय एडमिनिस्ट्रेटर थीं। उन्होंने हम जैसी कई महिलाओं के लिये खुद को अभिव्यक्त करने और स्वतंत्र जीवन जीने की राह दिखलाई।”

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शुभांगी अत्रे, ऊर्फ ‘भाबीजी घर पर हैं’ की अंगूरी भाबी कहती हैं, “बचपन में मेरे पापा सरोजनी नायडू की किताब ‘द गोल्डन थ्रेशहोल्ड’ और उनकी ‘साॅन्ग आॅफ ड्रीम’ से मेरे लिये कविताएं पढ़कर सुनाया करते थे। उन कविताओं ने मुझे काफी प्रेरित किया। उनसे मैंने जो सबसे बड़ा सबक सीखा वो है, जहां चाह वहां राह।”

देखिये, ‘बाल शिव’ रात 8ः00 बजे, ‘और भई क्या चल रहा है?’ रात 9ः30 बजे, ‘हप्पू की उलटन पलटन’ रात 10ः00 बजे और ‘भाबीजी घर पर हैं’ रात 10ः30 बजे, हर सोमवार से शुक्रवार, सिर्फ एण्डटीवी पर

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