-शरद राय
सिर्फ छ दिन में सवा छ सौ करोड़ की कमाई कर दिखाने वाली करिश्माई फिल्म 'KGF चैप्टर 2' को उसी धरती के लोग नहीं देखने जा पा रहे हैं जहां की यह कहानी है, यह एक आश्चर्य की खबर है! पर खबर सच भी है। कर्नाटक के कोलार जिले में जहां इस फिल्म की अधिकांश शूटिंग भी हुई है, के थियएटरों में फिल्म नही चलाई जा रही है। वहां फिल्म को ना दिखाए जाने के पीछे बताया जा रहा है कि राजनीति के चलते ऐसा हो रहा है। वहां के गरीब सीधे सादे मजदूर अपनी रहस्यमयी धरती और जादुई कारनामें करने वाले हीरो रॉकी भाई के करिश्मों को देख पाने से वंचित हैं।
पहले हम अपने पाठकों को बता दें कि KGF ('केजीएफ') है क्या? दरअसल फिल्म 5 भाषाओं में प्रदर्शित हुई है- कन्नड़, तेलुगु, तमिल, मलयालम और हिंदी भाषा मे। जो फिल्म रोज की एवरेज कमाई एक करोड़ दे रही हो, उसके दर्शक जो दूर के प्रदेशों के हैं जान नही पाते कि KGF क्या है। कर्नाटक प्रदेश में एक कोलार जिला है जहाँ सोने की खदानें हुआ करती थी। इस क्षेत्र को 'कोलार गोल्ड फील्ड्स' यानी- 'केजीएफ' के नाम से जाना जाता है। फिल्म 'KGF चैप्टर 2' की आधे से अधिक शूटिंग इसी जगह पर हुई है। गोल्ड फील्ड्स के एरिया में ज्यादातर गरीब और मजदूर तबके के लोग रहते हैं। जिनके मनोरंजन के लिए एक सिनेमा हाल है- 'ओलंपिया'।
मजे की बात है कि लगभग दस हज़ार थियेटरों में चलाई जाने वाली फिल्म को 'ओलंपिया' में नही प्रदर्शित किया गया है। इस क्षेत्र से दूर के गांव बंगरपेट के एक सिनेमा घर 'बालाचंदर' मे फिल्म लगी है जो वहां से 15 किलोमीटर दूर है। गरीब मजदूर बिना साधन के, पैसा खर्च करके इतनी दूर फिल्म देखने नही जा सकते। यहां के लोगों ने निर्माता विजय किरगंदुर और हीरो यश गौड़ा (नवीन कुमार गौड़ा) को लिखा है कि फिल्म वहां रिलीज कि जाए।
दरअसल मामला फिल्मी- पॉलिटिक्स और थियएटर मालिकों के पैसे की राजनीति का है। जिस कारण गोल्ड फ़ील्ड्स एरिया कोलार के कयनिदे गुड्डा-जहां फिल्म की 50 प्रतिशत शूटिंग की गई है, के लोग अपने नजदीक के सिनेमा घर मे फिल्म नही देख पा रहे हैं। यहां के ओलंपिया टाकीज में तमिल भाषा की फिल्म 'beast' (बीस्ट) दिखाई जा रही है। 2018 में जब 'KGF चैप्टर 1' रिलीज हुई थी तब ओलंपिया टाकीज में फिल्म ने लगातार हाउसफुल दिया था। और भरपूर कमाई हुई थी। अपनी फिल्म है, कहकर यहां का हर आदमी फिल्म देख रहा था।
उस कामयाबी को ध्यान में रखकर ही बताया जा रहा है कि दूर के बंगरपेट के सिनेमाघर बालाचंदर के ओनर ने इसबार फिल्म के डिस्ट्रीब्यूटर को भारी एडवांस पेमेंट करके फिल्म को अपने टाकीज के लिए बुक करा रखा है। और, इस शर्त पर बुक करके रखा है कि 'KGF चैप्टर 2' आसपास के किसी और थियएटर में नही चलेगी। इस कारण 'ओलंपिया टाकीज' के दर्शक अपनी धरती की, अपनी ही फिल्म देखने से वंचित हैं। आर्थिक मजबूरी में दूर जाकर फिल्म देख नही सकते और ओटीटी पर भी फिल्म रिलीज नही हुई है।
दरअसल थियेटरों का एक अलग गेम है जो पैसे की राजनीति से बंधा है। बड़े स्टार और बड़े बजट के निर्माता की फिल्म के लिए थियएटर बार बार विवादों में आते हैं। इसबार इस राजनीति की शिकार एक ऐसी फिल्म हुई है जो कनड भाषा की मूल फिल्म होकर भी कई भाषाओं में डब होकर कामयाबी के झंडे गाड़ रही है।लेकिन, अफसोस अपनी ही जमीन पर फिल्म दिखाई नही जा रही है!