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राजकाज: क्या राजनीति की बिसात पर राज बब्बर एक बार फिर जीरो से हीरो बनने की कोशिश करना चाहेंगे?

राजकाज: क्या राजनीति की बिसात पर राज बब्बर एक बार फिर जीरो से हीरो बनने की कोशिश करना चाहेंगे?
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-शरद राय

जबसे कांग्रेस के वरिष्ठ नेता  गुलाम नबी आज़ाद को  केंद्र की बीजेपी सरकार ने 'पद्मभूषण' का सम्मान देने की घोषणा किया है, राजनैतिक हल्के में गुलाम नबी के साथ साथ राजबब्बर का नाम भी खबरों में आया है। नबी के सम्मान स्वीकार  करने को लेकर कांग्रेस पार्टी में जब  विरोध का स्वर उठा, तो राज बब्बर उनके समर्थन में खड़े हो गए।तभी से राजनैतिक खेमों में चर्चा है कि बासी कढ़ी में उबाल आने की संभावना है। यानी- राजनीति की विसात पर ज़ीरो बन चुके राज बब्बर एक और छलांग लगाने की कोशिश कर सकते हैं।

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पाठकों को  बता दें कि इस समय जब अन्य राज्यों समेत देश के सबसे बड़े विधायिकी प्रदेश उत्तर प्रदेश में चुनाव की विसात बिछी है, राज बब्बर मौन साधे हुए हैं।वो राज बब्बर जो प्रियंका गांधी के सक्रिय होने से पूर्व उत्तर प्रदेश कांग्रेस पार्टी के प्रमुख रहकर पार्टी की कमान संभाले हुए थे, इस समय पूरी तरह हासिये पर हैं। न चुनाव प्रत्याशियों के चयन में उनको पूछा गया और न ही प्रचार के लिए उनको कहा गया है और न ही वह आगे आए हैं। वो राज बब्बर जो राजनीति के कारण फिल्म के पर्दे पर मेहनत से बनाई गई अपनी स्टार  की हैशियत को छोड़ दिया था। वह  हीरो और खलनायक दोनो रूपों में अपनी फिल्मों (इंसा का तराजू, निकाह, वारिस, भींगी पलकें, तेवर, बुलेट राजा, साहेब बीबी और गैंगस्टर... आदिआदि) से पर्दे पर अभिनय की छाप छोड़े थे। और- वो राज बब्बर- जो तीन बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा सदस्य रहे...राजनीति के गलियारे में कई समितियों के सदस्य के पद पर रहे, आज कहां हैं? फिल्म और राजनीति दोनो में रुचि रखनेवाले उनके प्रसंशक जानते हैं कि वह ज़ीरो हो चुके हैं। अंदर की खबरें बताती हैं कि वो राज बब्बर फिर एक उछाल लेने की तैयारी में हैं। बहुत सम्भव है इसी चुनाव की खबरों के बीच खबर आए की राज बब्बर कांग्रेस छोड़कर सपा (समाजवादी पार्टी) में चले गए।

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राजबब्बर कांग्रेस पार्टी के उन G 23 लोगों में हैं जो पार्टी से असहमत हैं और जिन्होंने सोनिया गांधी को पत्र लिखा है कि पार्टी के ढांचे में बदलाव किया जाए। जब पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने गुलाम नबीआज़ाद को 'पद्म विभूषण' स्वीकार करने पर विरोध जताया तब राज बब्बर ने गुलाम नबी का साथ दिया पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर, कहा- 'जब सम्मान विरोधी पार्टी द्वारा किया जाए तब सम्मान होता है। अपनी सत्ता में सम्मानित होना तो कोई महत्व नही होता।'' यही वो बातें हैं जिनसे लग रहा है कि राज बब्बर पार्टी लाइन के खिलाफ जाने का मन बनाते लग रहे हैं। वैसे भी, इनदिनों नेताओं के पार्टी बदलने का सीजन चल रहा है। कांग्रेस के पॉपुलर नेता //सीआरपी सिंह के समाजवादी पार्टी में जाने पर सपा के महा सचिव का बयान आया है कि कांग्रेस के एक और नेता समाजवादी पार्टी में आनेवाले हैं जो एक प्रदेश पार्टी प्रमुख थे और कभी समाजवादी के सदस्य थे। यह इशारा बिना नाम लिए राज बब्बर का संकेत करता है। राज बब्बर यूपी कांग्रेस प्रमुख थे और कभी वे समाजवादी पार्टी में भी थे।वह पहली बार 2004 में लोक सभा मे समाजवादी पार्टी से ही गए थे।

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राज बब्बर का राजनैतिक कैरियर बदलाव का है।वह छलांग लगाने में एक्सपर्ट हैं। टीनएज में अपने घर टूंडला से जब वह एक्टर बनने एनएसडी गए थे, तब कहते थे-नाटक ही उनकी मंजिल है।लेकिन वह दिल्ली के नाटकों मको छोड़कर बॉलीवुड में आए हीरो बने।राजनीति में वीपी सिंह की हवा बही तो वह राजनैतिक सोच लिए जनतादल से जुड़ गए।फिर उसे छोड़कर मुलायम सिंह की समाजवादी पार्टी में चले गए और राज्य सभा से सांसद बने। 2006 में सपा से अलग हुए, वीपी सिंह के साथ नई पार्टी जन मोर्चा के गठन में धमिल हुए। फिर 2008 में वह कांग्रेस से जुड़ गए।बीजेपी की लहर में वह 2014 में जनरल वी के सिंह से लोक सभा का चुनाव हारे हैं तबसे उनके गर्दिश के दौर शुरू हैं।और, एक बार फिर छलांग लेने के हालात बनते दिखाई दे रहे हैं।राजनीति की फुटेज पर तैराकी करने वाला यह कलाकर फिर एकबार 'बब्बर' बनकर सुर्खियां बन सकता है। एकबार फिर वह ज़ीरो से हीरो बनने की छलांग लगा सकते हैं ऐसा सोचा जा सकता है।

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