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REVIEW Badhaai Do: इसमें कुछ भी ऐसा नया नहीं है जो की इससे पहले लोगों ने न देखा हो

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REVIEW Badhaai Do: इसमें कुछ भी ऐसा नया नहीं है जो की इससे पहले लोगों ने न देखा हो

-यश कुमार

रेटिंग- 3 /5 

बॉलीवुड में कई बार समलैंगिक रिश्तों पर फिल्में बनी है जिसको दर्शकों से काफी प्यार मिला था और इन्होने काफी अच्छी कमाई भी की थी और अब एक बार फिर ऐसे ही रिश्तों पर एक्टर राजकुमार राव अपनी नयी फिल्म लेके आएं है जिसका नाम है “बधाई दो”

बधाई दो साल 2018 में रिलीज़ हुई फिल्म 'बधाई हो' का दूसरा भाग है और इस फिल्म की मुखिया भूमिका में हमे नज़र आएं है राजकुमार राव और भूमि पेडनेकर और इस फिल्म के निर्देशक हैं हर्षवर्धन कुलकर्णी।

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बधाई दो फिल्म की कहानी दर्शाती है शार्दुल ठाकुर और सुमि सिंह के जीवन को। शार्दुल जिसका रोल निभाया है राजकुमार राव ने पेशे से एक पुलिस अफसर हैं वहीँ सुमि एक टीचर है, शार्दुल और सुमि की उम्र बढ़ती जा रही है और बढ़ती उम्र के साथ उनके परिवार के लोग उनके लिए रिश्ता ढूंढ रहे होते हैं इस बात से अनजान की शार्दुल और सुमि दोनों ही समलैंगिक होते है। शार्दुल की मुलाकात सुमि से एक केस के ज़रिये होती हैं और शार्दुल को पता लग जाता है की सुमि भी उनकी तरह ही समलैंगिक है, जिसके बाद शार्दुल सुमि के आगे शादी का प्रस्ताव रखते है ताकि उन दोनों के परिवार के लोग उनसे शादी की ज़िद्द न करें और शादी के बाद शार्दुल और सुमि दोनों ही अपने समलैंगिक साथियों के साथ रह सकते हैं, लेकिन शार्दुल और सुमि की दिक्कतें तब शुरू होती हैं जब उनकी शादी के 1 साल बाद उनके परिवार के लोग उनसे बच्चा करने की ज़िद्द करने लगते हैं, तो अब इस मुसीबत से शार्दुल और सुमि कैसे बाहर निकलते हैं और क्या ऊके परिवार के लोगों को उनके समलैंगिक होने की सच्चाई पता लग पाएगी या नहीं ये आपको इस फिल्म को देखने के बाद ही पता लगेगा

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बधाई दो की कहानी अच्छी है लेकिन इसमें कुछ भी ऐसा नया नहीं है जो की इससे पहले लोगों ने न देखा हो।  फिल्म में कुछ सीन ऐसे है जिसको देख के लोगों को ज़रूर हसी आएगी लेकिन ये फिल्म लोगों को 2 घंटे बाँधने में बिलकुल असफल रही है बीच में ये फिल्म कहीं न कहीं अपनी मज़बूती खोती हुई नज़र आयी। फिल्म के मुखिया कलाकार राजकुमार राव ने पहली बार एक गे आदमी का रोल निभाया है वहीँ भूमि पडनेकर भी पहली बार ही एक लेस्बियन लड़की बनी है लेकिन दोनों की कलाकारी में इस बार कुछ भी नया या अनोखा देखने को नहीं मिल सका जिस वजह से लोग इनके किरदारों खुदको ठीक तरह से जोड़ नहीं सके। फिल्म के गाने भी ठीक है और कानो को चुभते नहीं हैं और मनोरंजन के साथ ही साथ ये फिल्म समलैंगिक रिश्तों का एक सन्देश देती है जो की आज कल काफी ज़रूरी है।

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सिनेमा हॉल्स अब देश भर में खुल चुके हैं और खुलते ही रिलीज़ हुई बधाई दो एक ठीक ठाक फिल्म है जिसे एक बार पूरे परिवार के साथ ज़रूर देखा जा सकता है लेकिन सिनेमा हॉल में पैसा खर्चा करने से बेहतर है की लोग इस फिल्म के OTT  प्लेटफार्म पर आने का इंतज़ार करें और फिर इसे अपने परिवार के साथ देखें।

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