-यश कुमार
रेटिंग- 2 star
अपनी पहली फिल्म हीरोपंती के ज़बरदस्त हिट के बाद और एक काफी लम्बे अरसे के बाद टाइगर श्रॉफ अब लेकर आए हैं फिल्म 'हीरोपंती 2'। टाइगर श्रॉफ के साथ हीरोपंती 2 में हमे नज़र आये हैं नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी और तारा सुतरिया, ये एक एक्शन ड्रामा फिल्म है जिसमे जनता को फीके एक्शन के साथ हद्द से ज़्यादा ड्रामा देखने को मिलेगा। एक्शन स्टार टाइगर श्रॉफ फिर एक बार वही एक्शन करते हुए दिखे हैं जो की वो अबतक करते हुए आये हैं, वहीँ दूसरी तरफ तारा सुतरिया के पास इस फिल्म में कुछ ख़ास करने को नहीं था और उनका काम इस फिल्म में सिर्फ और सिर्फ अपने ग्लैमर से लोगों को लुभाना था, इकलौती चीज़ जो इस 2 घंटे 22 मिनट लम्बी फिल्म को झेलने कि हिम्मत देती है वो है इस फिल्म के विलन नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी जो की जितनी बार भी बड़े पर्दे पर आएंगे लोगों के दिलों को ज़रूर छू लेंगे।
हीरोपंती 2 की कहानी बब्बलू (टाइगर श्रॉफ) के इर्द गिर्द घुमती हैं। बब्बलू लंदन में अपनी माँ (अमृता सिंह) के साथ रहते हैं और अपनी रोज़ी रोटी चलाने के लिए छोटे मोठे कामों का सहारा लेते हैं। माँ की नज़रों में बब्बलू एक काफी ईमानदार शरीफ और लड़ाई झगडे से दूर रहने वाला लड़का है जिसके लिए उसकी माँ काफी मन्नतें मांगती है। लेकिन जो बब्बलू की माँ नहीं जानती वो ये की बब्बलू असल में कंप्यूटर का मास्टरमाइंड होता है और एक कमाल का हैकर जिसका दिमाग कंप्यूटर में काफी तेज़ तो शरीर से उतना ही फुर्तीला है। ईमानदार और लड़ाई झगडे से दूर रहने वाला बब्बलू असल में RAW के लिए काम करता है। RAW इस वक़्त देश के सबसे बड़े दुश्मन 'लैला' (नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी) के पीछे पड़ी हुई है।
लैला बहुत ही जल्द ऐसा कुछ करने वाला है जिससे वो भारत के हर इंसान के बैंक अकाउंट को हैक कर लेगा और इससे देश को काफी बड़ा नुक्सान भी हो सकता है और लैला को रोकने के लिए RAW लेके आती है बब्बलू को जो की लैला को पकड़ने में मदद कर सकता है, लेकिन लैला की शातिर नज़रों से कोई भी नहीं बच सकता और इसी बीच लैला और बब्बलू के बीच एक पुराना नाता भी निकल के आता है जिसके चलते वो दोनों आपस में दुश्मन हो जाते हैं। तो अब क्या है वो इतिहास जिसके चलते लैला और बब्बलू आपस में दुश्मन हुए और कैसे बब्बलू अब लैला को रोकेंगा ये आपको पता लगेगा इस फिल्म को देखने के बाद ही।
फिल्म की कहानी यक़ीनन नई ज़रूर है और पिछली हीरोपंती से इस फिल्म का दूर दूर तक कोई नाता नहीं है सिवाए टाइगर श्रॉफ और उनके नाम बब्बलू के। लेकिन जिस तरीके से फिल्म के निर्देशक अहमद खान ने इस फिल्म को जनता के सामने पेश किया है उसको देखने में बिलकुल भी मज़ा नहीं आने वाला है। हीरोपंती 2 अपनी कहानी को बुनने में काफी समय लेती है और उस बीच फिल्म काफी भटकती हुई नज़र आयी।
फिल्म के कुछ सीन काफी अच्छे हैं और नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी जब जब लैला के रूप में स्क्रीन पर आएंगे लोगों को तब तब काफी मज़ा आने वाला है। रही बात एक्शन की तो फिल्म का एक्शन भी कुछ ख़ास नहीं है, टाइगर श्रॉफ अपनी बाकी फिल्मों में इससे बेहतर एक्शन करते हुए नज़र आये हैं लेकिन हीरोपंती 2 में टाइगर श्रॉफ एक्शन के नाम पर सिर्फ इधर से उधर बेमतलब में कूदते और छलांग मारते रहे है।
ए.आर.रहमान जैसे कंपोजर होने के बावजूद हीरोपंती 2 का एक भी गाना सुनने लायक नहीं है और ऐसा लगता है मनो फिल्म में ज़बरदस्ती हर गाने को डाला गया हो। लड़खड़ाती हुई हीरोपंती 2 फिल्म के अंत में काफी संभालती है जब बब्बलू और लैला की जुंग देखने को मिलती है लेकिन उसके लिए आपको शुरुवात से इस फिल्म को झेलना पड़ेगा। टाइगर श्रॉफ के ज़बरदस्त फैन हैं तो इस फिल्म को हॉल पर ज़रूर देख सकते हैं, यदि नहीं तो इस फिल्म के OTT रिलीज़ का भी इंतज़ार ना करें और इसे एक बुरे सपने की तरह भुला दें।