दिलीप कुमार के लिए सायरा बानो ने जो लिखा, वो पढ़ आंखें नम हो जाएंगी!

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By Asna Zaidi
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दिलीप कुमार के लिए सायरा बानो ने जो लिखा, वो पढ़ आंखें नम हो जाएंगी!

बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर दिलीप कुमार (Dilip Kumar) आज हमारे बीच नहीं रहे. बीते साल 2021 में वे लंबी बीमारी के बाद इस दुनिया से चले गए. दिलीप कुमार ने 'मुगल-ए-आजम', 'क्रांति', 'सौदागर' और 'कर्मा' जैसी तमाम बेमिसाल फिल्में दी हैं. अपनी शानदार अदाकारी के चलते दिलीप कुमार हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेंगे. उनकी पहली डेथ एनिवर्सरी पर उन्हें याद करते हुए दिलीप कुमार की पत्नी सायरा बानो (Saira Banu) ने इमोशनल कर देने वाला नोट लिखा है. 

सायरा बानो ने ईटाइम्स के साथ अपना इमोशनल नोट शेयर किया जिसमें लिखा है- "मैं अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमाती हूं और तकिए से अपना चेहरा दबाती हूं और फिर सोने की कोशिश करती हूं. मुझे लगता है कि जब मैं ऐसा करके अपनी आंखें खोलूंगी, तो मैं उन्हें अपने पास देखूंगी. उनके गुलाबी गाल सुबह के सूरज की किरणों से चमकते हैं".

दिलीप कुमार के साथ बिताए 56 साल

नोट में आगे लिखा था- "मुझे इस बात को स्वीकार करना होगा कि मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि मैंने युसुफ के साथ 56 साल से अधिक समय बिताया. पूरी दुनिया जानती है कि मैं उनसे 12 साल की उम्र से प्यार करती थी. मैं उनके ही सपने देखते हुए बड़ी हुई हूं. कई लड़कियां मिसेज दिलीप कुमार बनना चाहती थीं और मैं खुद उन्हें पीछे छोड़कर आगे आई". सायरा बानो ने नोट में ये भी लिखा कि "जब भी मैं दिलीप कुमार की कोई भी पिक्चर देखती हूं या कोई उनके बारे में जिक्र भी करता है तो वह अपने आंसू नहीं रोक पाती हूं".

याद करते ही सायरा की आंखें हो जाती हैं नम

नोट में सायरा बानो आगे लिखती हैं कि - "मेरी जिंदगी में ऐसा कोई पल नहीं आया जब वो मेरी आंखों के सामने न रहे हों. अगर कोई टीवी ऑन करता है और उस समय उनकी कोई भी फिल्म आ रही होती है तो मेरा पूरा स्टाफ उसे देखने लगता है. लेकिन मैं उस समय उन्हें जॉइन नहीं कर पाती हूं क्योंकि मैं उस दौरान काफी ज्यादा इमोशनल  हो जाती हूं. उनकी कोई भी फोटो देखकर मैं अपने आंसू नहीं रोक पाती हूं".

पद्म विभूषण से किए गए थे सम्मानित

बता दें, 2000 से 2006 तक दिलीप कुमार राज्यसभा के सदस्य रहे. साल 1991 में भारत सरकार ने उन्हें तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म भूषण और 2015 में दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया था. उन्हें साल 1995 में दादा साहब फाल्के अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था. साल 1998 में उन्हें पाकिस्तान के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार निशान-ए-इम्तियाज से सम्मानित किया गया था.

असना ज़ैदी

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