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डिप्रेशन और जिंदगी को लेकर शमिता शेट्टी ने एक आस का दीपक रौशन किया

डिप्रेशन और जिंदगी को लेकर शमिता शेट्टी ने एक आस का दीपक रौशन किया
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-सुलेना मजुमदार अरोरा

आज कि तनावपूर्ण और प्रेशर से भरी दुनिया में बहुत से लोग डिप्रेशन के शिकार होते है, डिप्रेशन अमीर या गरीब नहीं देखता, आम या खास नहीं देखता, वो किसी को भी, बिना कोई कारण बताए, बिना सचेत किए धर दबोचता है और बाहर से स्वस्थ, सुंदर, सामान्य और खुश दिखने के बावजूद अंदर से डिप्रेशन के दानव के लगातार आपके मन, बुद्धि, दिमाग और आत्मा पर प्रहार करते रहने से आप टूट कर बिखरने लगते है और सबसे दुख कि बात है कि कई बार आपके नियर एंड डियर व्यक्ति भी आपके इस मानसिक परेशानी को समझ नहीं सकता है। दुनिया के बड़े से बड़े सेलिब्रिटी, बुद्धिमान लोगों को भी इस मानसिक बीमारी ने नहीं बख्शा जैसे दीपिका पादुकोण, ड्वेन जॉनसन, केटी पेरी, लेडी गागा, अब्राहिम लिंकन, इलियाना डिक्रूज, करण जौहर, आलिया भट्ट की बहन शाहीन भट्ट, ये लिस्ट अंतहीन है। पिछले दिनों सुप्रसिद्ध अभिनेत्री, होस्ट और बिग बॉस कि धमाकेदार कंटेस्टेंट शमिता शेट्टी जो शिल्पा शेट्टी की बहन भी है, ने अपनी इनसिक्युरिटीज़ और डिप्रेशन से लड़ने को लेकर विस्तृत बात की। वे बोली कि पहले तो उन्हे समझ में ही नहीं आया था कि उसे क्या हुआ है, बस वो  दुखी और खोई खोई महसूस करती थी। लेकिन जब उसे पता चला कि वो डिप्रेशन से भुगत रही है तो इमिडियटली करेक्टिव स्टेप्स लेना शुरू किया। उनके अनुसार सब से पहले तो यह स्वीकार करना, कि हां उसे  यह प्रॉब्लम है, यही स्वीकारोक्ति ही इलाज कि तरफ पहला कदम है।

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शमिता स्वीकार करती है कि भले ही वह अब काफी शांत हो गई हो, लेकिन पहले वो अपनी बाहों को लेकर बेहद अशांत महसूस किया करती थी, कुछ इतना ज्यादा कि स्लीवलेस टॉप पहनने से साफ इंकार किया करती थी। इस तरह की कितनी और इंसेक्योरिटी के कारण वो डिप्रेशन में डूब गई थी, लेकिन अपने प्रयासों से वो उससे उबर कर जब निकली तो अपने को  मजबूत पाया और जिंदगी कि आने वाली बड़ी चुनौतियों का सामना करने कि हिम्मत महसूस की। अब तो वो किसी बात कि परवाह नहीं करती, ना अपने मोटे बांह की, ना ट्रोल करने वालों की। ट्रोलर्स को वो इग्नोर कर देती है और कोई उसके मुंह पर उसे दुखी करने वाली बातें करे तो उसे भगा देती है। शमिता का मानना है कि ऐसे में  पारिवारिक सपोर्ट की जरूरत सबसे ज्यादा होती है जो खुशनसीबी से उसे मिला। इस बदलाव के बाद ही उन्होंने ‘बिग बॉस’ में प्रवेश किया। हालांकि बिग बॉस घर के अंदर भी वे अपने मूड्स के  हाइज़ और लोज़ के दौर से गुजरी थी। शमिता ने कहा कि भले ही वो अपने जीवन के उस दौर से उबर चुकी है लेकिन फिर भी वो लगातार अपने मानसिक और भावनात्मक स्वास्थ्य पर नज़र बनाए रखती है ताकि दोबारा वो डिप्रेशन का शिकार ना हो। वो उन ट्रिगर्स को पास फटकने नहीं देती जो डिप्रेशन पैदा करता है।  शमिता ने अपने फिटनेस रिजीम से लेकर, अपने कई तरह के अन्य फिटनेस मंत्र (जिसपर उन्हे बहुत विश्वास है) को साझा करते हुए,  फिटनेस को लेकर कई ऐसे मिथकों को ख़ारिज किया जो अब तक लोग मानते और फॉलो करते आएं हैं।

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शमिता ने बताया कि किस तरह से पहले वो अपने खाने पीने को लेकर इतनी सचेत नहीं थी, लेकिन अपनी पहली फिल्म 'मुहब्बतें' के दौरान और आज तक वो अपने हेल्थ, फिटनेस को लेकर बहुत सजग हो गई है। शमिता को कोलाइटिस और इरिटेब्ल बॉवाल सिंड्रोम की तकलीफ़ होने के कारण वे ग्लूटेन फ्री खाना खाती है। सुबह उठते ही खाली पेट, दो ग्लास गरम पानी पीती है, बाद में थोड़ी फ्रूट्स खाती है और ब्लैक काफी पीती है। अगर कभी कुछ जंक फूड चीट करके खाती भी है तो अगले दिन लौकी जूस, ब्लैक कॉफी और हल्का भोजन करके डैमेज कंट्रोल कर लेती है। शमिता के अनुसार उम्र के साथ साथ अलग अलग तरह के वर्क आउट की जरूरत होती है। एक ही तरह के वर्क आउट लगातार करते रहने से शरीर उसपर वैसा रिएक्ट करना बंद कर देता है जैसे पहले रिएक्ट किया करता था।

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कुछ समय पहले भी शमिता ने डिप्रेशन को लेकर सोशल मीडिया में अपने फैन्स और फॉलोअर्स को संबोधित करते हुए कहा था, 'आप सबको शांति, सकारात्मकता और सभी को प्यार। हम में से कोई भी डिप्रेशन से गुजर सकता है... इसे पहचानें..इसे स्वीकार करें..और आप जिस भी तरह से मदद के लिए पहुंच सकते हैं, पहुंचिए। डिप्रेशन आपको एक बहुत ही अंधेरी जगह में खींच सकता है, जहां आशा और खुशी मौजूद नहीं है... यह आपको तोड़ने की कोशिश करती है... यह आपकी आत्मा के हर हिस्से को गिरफ्त करती है। आप अपना दुश्मन बन जाते है इस अंधेरी काली दुनिया में। ये अवास्तविक दुनिया, आपकी वास्तविकता बन जाती है। हम जिस दुनिया में रहते हैं, वह आपकी इस डिप्रेशन की यात्रा को समझ नहीं पाता पर आपको नीचे धकेलने के लिए हमेशा  तत्पर रहता है। आप अपने लक्ष्यों और उम्मीदों की नजरों में गिर जाते हैं और खुद को आंकना शुरू कर देते हैं, फिर... आप अपनी वास्तविकता को बहुत अंधकारमय बना देते हैं। लेकिन यह सब  आपके लिए मायने नहीं रखना चाहिए क्योंकि यह आपकी यात्रा है जिसे आपको अकेले ही पार करना है।'

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