'तृणमूल' की सवारी पर विजयी होकर लौटे शत्रुघ्न सिन्हा की 'रामायण' में एकबार फिर से लौटी खुशियां! By Mayapuri Desk 18 Apr 2022 in गपशप New Update Follow Us शेयर बाबुल सुप्रियो ने हराया नसीरुद्दीन शाह की भतीजी को! शरद राय जो लोग समझते थे शत्रुघ्न सिन्हा खलास, उन्हें एकबार फिर 'शॉटगन' सिंहा ने 'खामोश' कर दिया है! शत्रुघ्न सिन्हा ने कोलकाता के बाइ इलेक्शन में आसनसोल की लोकसभा सीट जीतकर अपने माथे से हार की झेंप तो हटाया ही है वह ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस की झोली में दीदी के लिए न जीत सकने वाली सीट जीतकर उनको भेंट किया है। तृणमूल की यह सीट पाना ममता बनर्जी के लिए असंभव जैसी थी, उसे 3 लाख वोटों से जीतकर शत्रुजी ने दीदी की पार्टी का मनोबल ऊंचा कर दिया है।साथ ही अपनी पिछली हार और दो राजनैतिक दलों (बीजेपी, कांग्रेस) की उपेक्षा को न सहने के कारण राजनैतिक हाशिए पर चले गए शत्रुघ्न सिन्हा के घर जिसे वह 'रामायन' नाम दिए हैं, खुशियां लौट आयी हैं।परिवार और उनके चाहने वालों के बीच जश्न का माहौल है। आसनसोल की लोकसभा सीट पश्चिम बंगाल की राजनीति में अत्यधिक महत्वपूर्ण सीट है। कोलकाता के बाद यह दूसरी सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण सीट मानी जाती है जिसपर सभी राजनैतिक पार्टियों की नज़र रहती है।राजनीति में नए नए उतरे फिल्मों के गायक बाबुल सुप्रियो 2014 और 2017 में आसनसोल की सीट ही बीजेपी के लिए जीते थे- जिसके पुरस्कार स्वरूप उनको केंद्र में मंत्री मंडल में जगह दिया गया था।वही बाबुल (एमपी और केंद्र में मंत्री रहते हुए) 2021 मे बंगाल की विधान सभा चुनाव हार गए। हार के बाद वह किनारे फेंक दिए गए वैसे ही जैसे शत्रुघ्न सिंहा के साथ हुआ था। नाराज़ बाबुल बीजेपी छोड़कर दीदी की अंगुली पकड़ लिए। बाबुल के इस्तीफे के बाद आसनसोल की लोक सभा सीट खाली हो गयी थी। जिसपर शत्रु जी को ममता दीदी चुनाव लड़वाया। बाबुल भी इसी बाइ इलेक्शन में बॉलीगंज से खाली हुई विधान- सभा सीट से निर्वाचित हुए हैं। बाबुल के सामने उम्मीदवार थी सी पी आई कि प्रत्यासी सायरा हलीम शाह। मजे की बात है कि सायरा भी फिल्मी परिवार से हैं। वह अभनेता नादिरूद्दीन शाह की भतीजी हैं जिनको बाबुल सुप्रियो ने 20,000 वोटों से हराया है। बहुत सम्भव है कि दीदी अब बाबुल को प्रदेश की राजनीति में बड़ी जिम्मेदारी सौंपें। बहरहाल राजनीति से निष्कासित स्थिति को जी रहे शत्रुघ्न सिन्हा को अपनी तृणमूल पार्टी में शामिल करके ममता बनर्जी ने उसी आसनसोल की सीट पर दांव खेला था जो उनके लिए जीत की सोच से दूर थी और दीदी का निशाना सटीक बैठा है। शत्रुजी ने ममता दीदी की झोली में मशहूर फैशन डिजाइनर अग्नि मित्रा पॉल को 3 लाख वोटों से हराकर वह सीट तृणमूल को दिया है। यहां एक बात और बताने वाली है कि इस लोकसभाई क्षेत्र में शत्रुघ्न सिंहा के चाहने वाले बहुत हैं। '79 में बनी फिल्म 'काला पत्थर' की बहुतायत शूटिंग इसी क्षेत्र में हुई थी जिस फिल्म में शत्रुघ्न सिन्हा का करेक्टर मंगल सिंह सबको भा गया था। बड़बोले समझे जाने वाले शत्रुघ्न सिन्हा काफी समय से खामोश हैं। जैसे वह सिनेमा के पर्दे पर अपना पॉपुलर डायलॉग 'खामोश' बोलकर प्रभाव छोड़ते थे वैसा ही प्रभाव वह कुछ समय से खामोश रहकर बनाये रखे थे। तृणमूल की चुनावी सवारी करने तक किसी को पता नही चला कि वह क्या करने की सोच रहे हैं। लोगों ने मानलिया था कि यह वरिष्ठ एक्टर अब फिल्म और राजनीति दोनो जगह से रिटायर हो चुका है। शत्रुजी एक समय भजपा के स्टार नेताओं में थे।पार्टी ने उनको दो बार राज्य सभा से संसद में पहुंचाया था। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय भी वह केंद्रीय मंत्री थे। दो बार केंद्र में मंत्री (स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री तथा जहाजरानी मंत्री) रह चुका व्यक्ति पार्टी की अंदरूनी राजनीति का शिकार हुआ, ऐसा कहा जाता है। जो शत्रुघ्न सिन्हा बिहार के पटना साहिब से 2009 में और 2014 में लोकसभा चुनाव जीते थे, अपनी उपेक्षा चलते वही शत्रु 2019 के लोक सभा चुनाव से कुछ समय पहले बीजेपी से अलग हो जाते हैं और कांग्रेस से जुड़ जाते हैं।वह कांग्रेस के टिकट पर उसी पटना साहिब सीट से बीजेपी के पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद के सामने चुनाव लड़ते हैं और हार जाते हैं। हारे हुए कंडीडेट को कोई भाव नही देता। शत्रु की उपेक्षा कांग्रेस में भी शुरू हो जाती है।वही शत्रु जो स्टार प्रचारक कहे जाते रहे हैं, 2022 के चुनाव में कहीं कांग्रेस की कमपेनिंग करने नही गए। कांग्रेस से जुड़कर कोशिश तो उन्होंने किया था, पर सफलता उनका साथ छोड़ती गयी। वह अपनी पत्नी पूनम सिन्हा को पिछले लोकसभा चुनाव में लखनऊ से राजनाथ सिंह के सामने चुनाव लड़वा दिए।जमानत जप्त होना ही था। इसी तरह बेटे लव सिन्हा को बिहार में विधान सभा चुनाव में कांग्रेस का टिकट दिलाकर बीजेपी के नितिन नवीन से चुनाव लड़वाया, वो भी हार गए।यानी- उनकी हर कोशिश नाकाम होती जा रही थी। फिलहाल विजयश्री के फिर एकबार शत्रुजी का साथ दिया है। देखना होगा तृणमूल के सहारे राजनीति में तीसरी पारी खेलने वाले पर्दे के 'छेनू' क्या कुछ नया करतब दिख पाते हैं। #Shatrughan Sinha हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article