REVIEW: कैंसर के प्रति जागरूक करती है शुभेंदु राज घोष की फिल्म “बिफोर यू डाई”

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REVIEW: कैंसर के प्रति जागरूक करती है शुभेंदु राज घोष की फिल्म “बिफोर यू डाई”

निर्माता/लेखक- प्रदीप चोपड़ा
निर्देशक- शुभेंदु राज घोष
कलाकार- काव्या कश्यप, जरीना बहाव, प्रदीप चोपड़ा, पुनीत राज शर्मा और अन्य।

बॉलीवुड में हमेशा से ही फिल्मों के जरिये सामाजिक जागरूकता फैलाने का काम किया जाता रहा है। फिर चाहे बात सचिन पिलगांवकर और रंजीता की सुपरहिट फिल्म 'अंखियों के झरोखे से' की हो, अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना की फिल्म 'आनंद' की बात की जाए, रणबीर कपूर, अनुष्का शर्मा और ऐश्वर्या राय की फिल्म 'ऐ दिल है मुश्क़िल' हो, सुशांत सिंह राजपूत और संजना संघी की फिल्म 'दिल बेचारा' हो, इन फिल्मों ने कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अब इसी सूची में डायरेक्टर शुभेंदु राज घोष भी शामिल हो गए हैं, जिनके द्वारा निर्देशित फिल्म 'बिफोर यू डाई...' कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए तैयार है। यह फिल्म इसी साल 'वर्ल्ड कैंसर डे' के मौके पर 18 फरवरी को रिलीज होगी। दिल्ली के पीवीआर वसंत कुंज में इस फिल्म का रेड कारपेट प्रीमियर हुआ जिसमें प्रोड्यूसर एंड राइटर प्रदीप चोपड़ा, डायरेक्टर शुभेंदु राज घोष एवं पुनीत राज शर्मा शामिल हुए थे।

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कई फिल्म फेस्टिवल में तारीफें बटोर चुकी इस फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे कैंसर का एक मरीज और उसका पूरा परिवार इस मुश्किल घड़ी का बेहतरीन ढंग से मुकाबला करता है और इसके जरिये एक‌ अनूठी मिसाल पेश करता है। दरअसल, 'बिफोर यू डाई' एक रोमांस ड्रामा हिंदी फिल्म है, जिसका निर्देशन शुभेंदु राज घोष ने किया है। फिल्म में एक ऐसी लड़की की कहानी दिखाई गई है, जिसे कैंसर हो गया है और उसके पास जिंदगी जीने के लिए ज्यादा से ज्यादा छह महीने है। मौत करीब होने के बावजूद उसके ये छह महीने कैसे बीतते हैं, यही इस कहानी में दिखाया गया है। कह सकते हैं कि 'बिफोर यू डाई' आम बालीवुडिया फिल्मों से बिल्कुल अलग है।

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'बिफोर यू डाई' की कहानी के केंद्र में एक लड़की है जिसकी भूमिका काव्य कश्यप ने निभाया है। वह कैंसर से पीड़ित है और उसे पता है कि एक निश्चित समय के बाद उसकी मौत होने वाली है। इसलिए वह बाकी जिंदगी बेहतर तरीके से जीना चाहती है और अपनी सारी इच्छाएं पूरी करने की ख्वाहिश रखती है। उनके पिता की भूमिका प्रदीप चोपड़ा निभा रहे हैं और वह भी अपनी बेटी की तमामा इच्छाएं पूरी करने में पूरी सहायता करते हैं। खास बात यह कि प्रदीप चोपड़ा की यह पहली फिल्म है, लेकिन एक कैंसी पीड़ित बेटी के बेबस पिता भी भूमिका में मानो उन्होंने जान डाल दी है। उन्होंने काबिले तारीफ काम किया है। शाट—दर—शाट उनकी भूमिका में निखार आता है। फिल्म में दिल्ली के पुनीत राज शर्मा ने लीड भूमिका निभाई।

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उनकी भी यह पहली फिल्म है, इसलिए थोड़े से कच्चे नजर आते हैं, लेकिन चूंकि उन्होंने थिएटर में किया है, इसलिए काफी हद तक किरदार को खींच ले जाते हैं। अभी आगे बढ़ने के लिए उन्हें काफी मेहनत करने की जरूरत है। सबसे अहम किरदार है कैंसर पीड़ित चुलबुली लड़की की, जिसे पर्दे पर काव्या कश्यप ने साकार किया है। उन्होंने अपनी भूमिका के साथ पूरा न्याय किया है। खासकर, धीरे-धीरे जब वह अपनी मौत की ओर बढ़ती हैं, तो दर्शकों की सहानुभूति स्वत: उसके साथ जुड़ती चली जाती है। निर्देशक शुभेंदु राज घोष की यह दूसरी फिल्म है। फिल्म वाकई बहु ही अच्छी बनी है। फिल्म का विषय भी बहुत अच्छा है। कमी है तो बस यही कि इसकी रफ्तार थोड़ी सुस्त है।

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