सोनू निगम (पद्मश्री), चंद्रप्रकाश द्विवेदी (पद्मश्री) और विक्टर बनर्जी (पद्मभूषण) को पद्म अवार्ड मिलने पर नहीं दिखा बॉलीवुड में कहीं कोई उत्साह...क्यों?

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सोनू निगम (पद्मश्री), चंद्रप्रकाश द्विवेदी (पद्मश्री) और विक्टर बनर्जी (पद्मभूषण) को पद्म अवार्ड मिलने पर नहीं दिखा बॉलीवुड में कहीं कोई उत्साह...क्यों?

-शरद राय

कहते हैं अवार्ड तो प्रसाद की तरह बंटता है फिल्म वालों को!

और सचमुच यह प्रतिक्रिया हर फिल्मवाले से सुनने को मिल रही है! देश के चौथे सर्वश्रेष्ठ सम्मान 'पद्मश्री' अवार्ड को जितना सरल अंदाज़ में फिल्मवाले स्वीकार करते हैं, शायद ही किसी दूसरे फिल्ड का आदमी करता हो। आज अवार्डों को लेकर धारणा यह है कि दूसरे फिल्ड के लोग पदम् अवार्डों (पद्म श्री, पद्म भूषण, पद्म विभूषण) को अपने अथक श्रम का फल मानते हैं तो फिल्मी दुनिया के लोगों के लिए यह अवार्ड प्रसाद बंटने जैसा है। किसी को अवार्ड मिला तो यहां के लोग चर्चा करना तक मुनासिब नहीं समझते और गाहे बगाहे इसको वापस करने की धमकी भी देते रहते हैं।इस साल 25जनवरी 2022 को घोषित हुए जिन तीन लोगों को यह सम्मान दिया गया है(सोनू निगम और चंद्रप्रकाश द्विवेदी को ''पद्म श्री' तथा विक्टर बनर्जी को ''पद्म भूषण') उनको लेकर कहीं कोई चर्चा नही।सिर्फ चंद्रप्रकाश द्विवेदी ( धारावाहिक 'चाणक्य' और फिल्म 'पिंजर') को ध्यान में रखकर अक्षय कुमार ने सोशल मीडिया पर कुछ लिखा है क्योंकि वह अक्षय की फिल्म 'पृथ्वीराज' के निर्देशक हैं।पिछले साल यह सम्मान जब अभिनेत्री कंगना रनौत के अलावा कर्ण जोहर, एकता कपूर, सरिता जोशी को दिया गया था, तब भी लोग चर्चा नहीं किए थे। चर्चा ना होने की वजह शायद यह भी रहा है कि गत एक साल में एक सौ से अधिक अवार्ड सम्मान समारोह आयोजित हुए हैं और हज़ारों लोगों को प्रसाद की तरह अवार्ड बंटा है।

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पूरी फिल्म इंडस्ट्री की बात ना करके अगर केवल बॉलीवुड की ही बात करें और सिर्फ अभिनेता और अभिनेत्री के नाम गिनाएं तब भी लिस्ट बड़ी लम्बी बन जाती है। नरगिस पहली अभिनेत्री थी जिनको पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया था।पद्म सम्मान पानेवाले नाम हैं- देविका रानी, अशोक कुमार, सुनील दत्त, दुर्गा खोटे, वैजयंतीमाला, राजेन्द्र कुमार, बलराज साहनी, वहीदा रहमान, सुचित्रा सेन, गिरीश कर्नाड, श्रीराम लागू, नूतन, अमिताभ बच्चन, बेन किंग्सले, नसीरुद्दीन शाह, शबाना आज़मी, मोहन अगासे, कमल हासन, ओमपुरी, जाया बच्चन, मनोज कुमार, आशा पारेख, जोहरा सहगल, हेमा मालिनी,  मनोरमा, डैनी डेनजोगप्पा, राखी, आमिर खान, अनुपम खेर, शशि कपूर, टॉम आल्टर,  माधुरी दीक्षित, ऐश्वर्या राय बच्चन, अक्षय कुमार, विवेक, सैफ अली खान, रेखा, काजोल, इरफान खान, तब्बू,  मधु , सुधा मल्होत्रा, नाना पाटेकर, श्री देवी, विद्या बालन, परेश रावल, अजय देवगन, साधु मेहर, कादर खान आदि आदि।गायकों और गीतकारों के नाम भी कई हैं। सोनू निगम से पहले उदित नारायण, सानू, सुरेश वाडेकर, अदनान सामी, जावेद अख्तर, और उनसे पहले रफी, किशोर, लाता, आशा, उषा... न जाने कितने नाम हैं जो सचमुच डिजर्व करनेवाले नाम रहे हैं। अमिताभ बच्चन के घर मे 5 पदम् अवार्ड गए हैं। अमिताभ को अकेले 3 पदम् अवार्ड (पद्म श्री 1984 में, पद्म भूषण  2001 में और पदम् विभूषण 2015 में) से सम्मानित किया गया है और जया बच्चन तथा ऐश्वर्या बच्चन को यह सम्मान मिला है जो सब के सब डिजर्व करते हैं। बेशक अमिताभ बच्चन को देश का सबसे बड़ा प्रथम सम्मान 'भारत रत्न' भी दिया जाना चाहिए।

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आर्ट, स्पोर्ट, सोशल वर्क, ट्रेड, पब्लिक अफेयर, शिक्षा, मेडिसिन, सिविल सर्विसेस आदि में विशिष्ट कार्य करने के लिए 'पदम्अवार्ड कमेटी' के चुनाव के बाद, देश के ये सर्वोच्च चार सम्मान योग्यजनों को प्रदान किया जाता है। सिनेमा के लिए भी यह सम्मान दिया जाता है।इसके अलावा दादा साहब फाल्के सम्मान का अलग से भी एक मनोनयन होता है।  सरकार द्वारा दिए जाने वाले ये सम्मान हमेशा काबिलियत पर दिए जाते रहे हैं, जिसका बड़ा मान और गुमान रहा है।लेकिन, कुछ सालों से अवार्डों का महत्व कम करके आंका जाने लगा है खासकर के सिनेमा के फिल्ड में तो इधर दो सालों में सम्मान का सम्मान ही नहीं रह गया है। बॉलीवुड में अवार्डों की बाढ़ आगई देखी जा रही है।हर तीसरे दिन किसी न किसी अवार्ड का आयोजन रहता है।गत दो सालों में फाल्के, अम्बेडकर, शहीदों के नाम पर सैकड़ों अवार्ड बांटे गए हैं। किसी को नही पड़ी है कि जानें यह सरकारी अवार्ड हैं या गैर सरकारी। देनेवाला व्यापार करता है और लेनेवाला खुश होता है, बाकी किसी को कुछ नहीं पड़ी। लिहाजा अब बॉलीवुड में अवार्ड/सम्मान के नाम पर कोई उत्साह नहीं बचा है।

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