बॉलीवुड के बजाय दक्षिण का सिनेमा हमेशा बेहतर रहा है! By Mayapuri Desk 21 Apr 2022 in गपशप New Update Follow Us शेयर शरद राय दक्षिण भारत की हालिया रिलीज डब फिल्म 'KGF पार्ट 2' साउथ की डब फिल्मों की कामयाबी की हैट्रिक मना रही है। 2022 में पहले आई 'पुष्पा-पार्ट 1', फिर आयी 'RRR' और अब 'KGF पार्ट 2' ने बिजनेस का नया परचम लहराया है।साल के इन बीते आरंभिक महीनों में जिस तरह कामयाबी का हल्ला दक्षिण की फिल्मों ने मचाया है, उसे देखकर जिससे सुनिए यही राग अलाप रहा है कि साउथ की डब फिल्मों ने बॉलीवुड के माथे पर पसीने ला दिए हैं। और, सचमुच बॉक्स ऑफिस के कलेक्शन पर नज़र दौड़ाएं तो बात सच ही प्रतीत होती है। दक्षिण की डब फिल्मों की श्रृंखला में 'बाहुबली 2' (जो 500 करोड़ क्लब की पहली फिल्म है) के बाद... सिर्फ इन तीन फिल्मों का व्यपार देखें तो 'पुष्पा पार्ट-1' ने 100 करोड़ क्लब में कबका अपना नाम दर्ज करा रखा है और अभी भी चल रही है। 'RRR' ने सिर्फ दो हफ्ते (13 दिन) में 1000 करोड़ कलेक्शन तक पहुचने की हंगामेदार पार्टी मुम्बई में किया है। अभी 'RRR' की चर्चा थमी भी नहीं कि दक्षिण भरत की एक और फिल्म 'KGF चैप्टर 2' ने सिर्फ 6 दिन में 1300 करोड़ से अधिक कमाई करने का आंकड़ा पेश कर सबको हैरानी में डाल दिया है। इन तीनो फिल्मों की खासियत यह है कि ये हिंदी में डब की गई फिल्में हैं जिनके पोस्टरों पर फिल्म का नाम तक 'हिंदी में लिखा हुआ नही' मिलता। लेकिन हिंदी के दर्शकों ने उन्हें सिर आंखों पर लिया है। अब आइए, एक नज़र बॉलीवुड की बनी फिल्मों पर भी डालें देखें उनकी कमाई क्या है। कोविड की तीसरी लहर से भयमुक्त सिनेमा घरों में आई फिल्में रही हैं- 'सूर्यवंशी', '83', 'गंगुबाई काठियावाडी', 'झुंड', 'द कश्मीर फाइल्स', 'बच्चन पांडे', 'राधे श्याम' आदि। इनमे से सिर्फ 'द कश्मीर फाइल्स' ही एक मात्र बॉलीवुड की फिल्म रही है जो दो हफ्ते में 'RRR' के हिंदी वर्सन के मुकाबले 200 करोड़ + के क्लब में बराबरी के पास पहुंची है। जबकि महानायक अमिताभ की 'झुंड' का कलेक्शन मात्र 13 करोड़ और आजकी सुपर हीरोइन आलिया भट्ट की 'गंगुबाई काठियावाडी' का कलेक्शन 117 करोड़ ही रहा है। ऐसा नही है कि बॉलीवुड फिल्मों पर दक्षिण की फिल्मों के आधिपत्य का कोई कुचक्र रचा जारहा है क्योंकि फिल्मों का व्यापार दर्शको की अदालत में तय होता है - वे जिसे पसंद कर लें। इससे पहले भी दक्षिण की डब फिल्में- 'रोज़ा' और 'बॉम्बे' ने हंगामा किया था। सिनेमा के आरंभिक दौर में वहां के मेकर हिंदी में हिट फिल्में दिए हैं।प्रसाद प्रोडक्शन की फिल्में इस बात की उदाहरण हैं। रीमेक के दौर में जो फिल्में दक्षिण की कॉपी हुई जैसे- 'भूल भुलैया', 'सिंघम', 'चेन्नई एक्सप्रेस', 'वांटेड' या सलमान खान की ज्यादातर फिल्में- सभी कामयाब रही हैं। साउथ की डब फिल्में टीवी चैनलों पर और टॉकीजों में चलाए जाने की बड़ी लम्बी फेहरिस्त है। इतनी डबिंग की गयी फिल्में पूरे भारत मे चलती हैं कि हम यहाँ उनका नाम नहीं गिना सकते। दक्षिण की फिल्में कन्टेंट बेस होती हैं और वहां फिल्म का नायक कहानी होती है। यह बात अब सलमान, शाहरुख, करन जौहर सबकी समझ मे आरहा है। सारांश यह है कि अब दक्षिण का सिनेमा अपनी बाउंड्री लाइन से बाहर निकल कर पूरे देश मे फैलने के लिए तैयार हो चुका है। उनके कन्टेंट और हीरोइज्म सबको पसंद आ रहे हैं। वक्त आगया है जब बॉलीवुड उनसे कुछ सीखे। वैसे भी हमें कहने में संकोच नहीं कि बॉलीवुड की बजाय दक्षिण का सिनेमा हमेशा बेहतर रहा है! #Bollywood VS south film industry #Bollywood VS south cinema हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article