बॉलीऊड़ के रिदम किंग: स्वर्गिय ओ पी नय्यर का जन्म दिन सप्ताह By Mayapuri Desk 22 Jan 2022 in गपशप New Update Follow Us शेयर -के.रवि (दादा) हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के सेकडों अजरामर सुरीले सुमधुर गानों की रसिली धून बनानेवालें 'ह्रिदम किंग' महान संगीतकार ओंकार प्रसाद नय्यर जी (जन्म 16 जनवरी 1926 - मृत्यू 27 जनवरी 2007) 16 जनवरी 2020 कों ओ.पी. नय्यर जी के 93 वें जयंती दिन के ऊपलक्ष में हिंदी फिल्म संगीत के क्षेत्र में 'ह्रिदम किंग' ओ.पी.नय्यर जी के अतुलनीय योगदान के लिए हम सारे मीडिया संगीत प्रेमी एवम ओ.पी.नय्यर जी के करोंडों चाहनेवालों की ओर से कोटि कोटि सादर प्रणाम करते है। ओ॰पी॰नय्यर ने अपना फिल्मी सफर शुरू किया १९४९ में कनीज फिल्म में पार्श्व संगीत के साथ। इसके बाद उन्होंने आसमान (१९५२) को संगीत दिया। गुरुदत्त की आरपार (१९५४) उनकी पहली हिट फिल्म थी। इसके बाद गुरुदत्त के साथ इनकी बनी जोड़ी ने मिस्टर एंड मिसेज़ 55 तथा सी आई डी जैसी फिल्में दीं। नय्यर ने 'मेरे सनम' में अपने संगीत को एक नयी ऊंचाईयों पर ले गए जब उन्होंने 'जाईये आप कहाँ जायेंगे' तथा 'पुकारता चला हूं मैं' जैसे गाने दिये। उन्होंने गीता दत्त, आशा भोंसले तथा मोहम्मद रफी के साथ काम करते हुए उनके कैरियर को नयी ऊंचाईयों पर पहुंचाया। संगीत के तीन हिस्से होते हैं सुर लय और ताल। हिंदी सिनेमा के संगीत में इन तीन हिस्सों को तमाम संगीतकारों ने अलग-अलग तरीके से इस्तेमाल किया है। मगर एक संगीतकार ऐसा भी है जिसके संगीत को बेहतरीन सुर और लय के साथ-साथ ताल के अद्भुत इस्तेमाल के कारण याद किया जाता है। सुर-लय-ताल। सुर अगर अच्छे से लगे तो आंख भर आती है, वहीं ताल अच्छी हो तो कदम अपने आप थिरकने लगते हैं। ओ.पी. के संगीत का सबसे खास पहलू उनकी ह्रिदम पर पकड़ है। पंजाब के ढोल पर बजने वाले लोक गीतों को उन्होंने बड़ी खूबसूरती से इस्तेमाल किया। ‘उड़े जब-जब ज़ुल्फें तेरी’ ; ‘रेशमी सलवार कुर्ता जाली दा’; ‘कजरा मोहब्बतवाला’। अंग्रेज़ी की मार्च (हॉर्स बीट) को उन्होंने 50 और 60 के दशक के संगीत की पहचान बना दिया। चलते हुए तांगे की फील देने वाली ये ह्रिदम आपने ‘दीवाना हुआ बादल’ और ‘जिसने तुम्हें बनाया’ में सुनी होगी। जिस लता मंगेशकर जी की आवाज का मुरीद हर संगीत प्रेमी है,और जिस लता मंगेशकर जी की आवाज बाकी दुनिया के लिए सबसे ज्यादा सुरीली थी, वो ही आवाज नैयर साहब को कभी न भायी। यही वजह है कि, 73 फिल्मों में संगीत देने के बावजूद उन्होंने कभी लता जी से एक भी गाना नहीं गवाया। हालांकि यही वो कंपोजर थे, जिन्होंने आशा भोसले की आवाज की वेरिएशन का बखूबी इस्तेमाल करते हुए उन्हें सिंगिंग स्टार बनाया। एक इंटरव्यू में ओपी नैयर ने कहा था कि, लता जी की आवाज में ‘पाकीजगी’ थी, जबकि अपने गानों के लिए उन्हें ‘शोखी’ की जरूरत थी,ये शोखी उन्हें आशा भोसले, गीता दत्त या शमशाद बेगम की आवाज में नजर आती थी। इसी वजह से उन्होंने लता जी के साथ कभी भी काम नहीं किया। 'ये देश है वीर जवानों का, अलबेलों का मस्तानों का..' आपने शायद ही ऐसी कोई बारात देखी होगी, जिसमें ये वाला गाना न बजा हो. यही है हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज म्यूजिक कंपोजर ओ.पी. नय्यर के सम्मोहक संगीत और उनके ‘क्लासिक’ गानों का जादू,जो आज की पीढ़ी को भी थिरकने के लिए मजबूर करता है। #O.P nayyar #OP Nayyar Birthday Week #Rhythm King OP Nayyar हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article