'द स्काई इज़ द लिमिट' और आलिया भट्ट की प्रतिभा है लिमिटलेस। By Mayapuri Desk 11 Mar 2022 in गपशप New Update Follow Us शेयर -सुलेना मजुमदार अरोरा बॉलीवुड में आलिया को बबली बेब के रूप में तब से देखा जाता रहा है जब से उसने फ़िल्मों में बस कदम ही रखा था। खूबसूरत अधखिली कली की तरह इस नवयौवना को देखकर किसी ने यह सोचा तक नहीं था कि जब आहिस्ता आहिस्ता ये कली अपनी पंखुड़ियां खोलेगी तो अपनी प्रतिभा की इन्द्रधनुषी छटा से सबको चकाचौंध कर देगी। अपनी पहली ही फिल्म से आलिया ने उन लोगों की बोलती बंद कर दी थी जिन लोगों ने आलिया को दो दिन की चाँदनी कहकर उसे परिवारवाद का एक अदद नमुना बताया था। कमसिन और मासूम आलिया की भोली भाली बातों पर हँसी उड़ाते हुए उनके आई क्यू पर सवाल उठाए गए थे, उसपर जोक्स बनाए गए थे जो डिजिटल दुनिया में काफी वायरल भी हुआ था लेकिन आलिया ने किसी बात का बुरा नहीं माना और अपने ही जोक्स पर खिलखिलाती हुई वो अर्जुन की तरह अपने लक्ष्य पर आगे बढ़ती रही और फिर देखिए क्या हुआ? एक के बाद एक हिट फ़िल्मों की बाढ से उसने सिर्फ बॉलीवुड की दुनिया को ही चकाचौंध नहीं किया बल्कि दुनिया भर के सिनेमा प्रेमियों को अपने हुनर से चमत्कृत कर दिया। 'स्टूडेंट ऑफ द ईयर, राज़ी, उड़ता पंजाब, हाईवे, डिअर जिंदगी, गली बॉयज़, टू स्टेट्स, कपूर एंड सन्स, बद्रीनाथ की दुल्हनिया, हम्पटी शर्मा की दुल्हनिया जैसी कठिन लेकिन सुपरहिट फ़िल्मों ने बॉलीवुड के गंभीर से गंभीर निर्देशकों को भी ठहर कर इस बच्ची के हुनर को ठगा सा देखने पर विवश किया। जिस संजय लीला भंसाली के बारे में कहा जाता रहा कि वे ऐश्वर्या राय, प्रियंका चोपड़ा, माधुरी दीक्षित और दीपिका पादुकोण जैसी मंझी हुई नायिकाओं के अलावा किसी और की तरफ नजर उठा कर भी नहीं देखते हैं वो भी आखिर आलिया के स्तब्ध कर देने वाले अभिनय पटुता से कुछ इस तरह कायल या घायल हुए कि 'गंगूबाई काठीयावाडी' में उन्होंने दाएं बायें देखे बिना स्ट्रेटअवे आलिया को ही चुन लिया जबकि सबको उम्मीद थी कि ये भूमिका दीपिका के आँचल में ही जाने वाली है और फिर आलिया ने भी क्या खूब निभाया इस कठिन रोल को कि आलिया से जलने कुढ़ने वालों को भी आखिर मानना पड़ा कि आलिया है तो मुमकिन है। गंगूबाई किरदार के विषय में आलिया ने कहा था कि उस फिल्म में डायलॉग्स सशक्त और दमदार जरूर थे लेकिन सर (निर्देशक संजय लीला भंसाली) चाहते थे कि गंगूबाई के रूप में उनके जुबान से भले ही डायलॉग्स सख्त और तल्ख निकले लेकिन आँखों में सहज रूप से आहत हो जाने की नमी भी जरूर हो। हाव भाव में एक अदा हो, सख्ती हो, तंज हो लेकिन चेहरे में दर्द भी भरपूर हो। यानी एक ही इंसान में, एक ही समय में दो भिन्नता हो, और यही कठिन काम था।' और इसी कठिन काम को आलिया ने अंजाम दे कर दिखाया, इसलिए आज वो बॉलीवुड की सबसे झिलमिलाती और आलोचकों की पसन्दीदा स्टार अभिनेत्री है जिसके दामन में इतनी कम उम्र में ही इतने सारे प्रेस्टीजियस अवार्ड्स है। दरअसल शुरू से ही आलिया ने हिंदी सिनेमा की पारम्परिक रास्ते में ना चलते हुए लीक से हटकर फ़िल्में की है। तरह तरह के जॉनर वाली फ़िल्मों के किरदारों में वो निर्भीकता से हेड-ऑन भिड़ती गई, चाहे वह मानसिक स्वास्थ्य के विषय में हो या देश प्रेम की कहानी हो, या कोठे वाली हो, शायद इसलिए वो आज की युवा पीढ़ी की पल पल बदलते पसंद की फेवरेट है क्योंकि खुद युवा होने की वजह से वो युवाओं के हर टेस्ट को जानती है। यही कारण है कि आज बॉलीवुड आलिया के चरित्र की ताकत और लचीलेपन को सलाम करती है। किसे खबर थी कि 1999 में थ्रिलर फिल्म 'संघर्ष' में एक नन्ही बाल कलाकार के रूप में काम करने वाली आलिया महज़ तेरह साल के बाद ही एक धमाके के रूप में बॉलीवुड में उदय होगी ? आलिया ज्यादा बोलती नहीं, किसी पचड़े में पड़ती नहीं, किसी विवाद में घिरती नहीं, जब जब किसी ने आलिया को यूँ ही आड़े हाथों लेने की कोशिश की, उनके बारे में उल्टा सीधा बोला, उनकी फ़िल्मों के लिए बद्दुआएं दी, आलिया ने कभी कोई जोरदार पलटवार नहीं किया, आलिया ने बस अपने खूबसूरत कँधों को बेपरवाही से झटक दिया और अपने दुश्मनों को सबक सिखाने के लिए अधिक मेहनत से काम करने लगी और हर बार आलिया कुछ नहीं बोली, पर उनका काम बोल गया। बोला नहीं बल्कि गूंजा। आलिया ने कहा था कि उनकी परवरिश ने उसे कभी बदतमीज होना नहीं सिखाया, उनके माता पिता ने उसे हमेशा सबके साथ सही तरीके से बरताव करना सिखाया, इसलिए उसे अपने सलीकेदार दायरे से निकलकर असभ्य भाषा और असभ्य बॉडी लैंगवेज का इस्तेमाल करने में कठिनाई बहुत होती है, हालांकि फ़िल्मों के चरित्र में वो ऐसा अभिनय कर भी सकती है लेकिन हकीकत में कभी नहीं कर सकती। अपने दस वर्षों के इस करियर के बारे में बोलते हुए उसने कहा था, 'यह कामयाबी आसानी से नहीं मिली मुझे, मैंने इसे अपने खून, पसीने और आंसुओ से सींचा है। जो लोग नेपोटिज्म का इल्ज़ाम मुझपर लगाकर यह समझते हैं कि यह सफ़लता सोने के चम्मच में डालकर मुझे खिलाया गया है तो यह सोचने वाले की भूल या कहें बेवकूफ़ी है।' जब आलिया से पूछा गया था कि उन्हें लेकर वो कौन सी गलतफ़हमी या वहम है जो वो क्लीअर करना चाहती है तो इसपर वे बोली थी, 'वो जो कुछ लोग सोचते हैं न, कि मुझे मेरी अब तक की सारी फ़िल्में सोने की थाली में सजा कर परोसा गया था, और ये सारी फ़िल्में मेरी ईच्छा अनुसार मुझे मिली, तो मैं बता दूँ कि मैं उन लोगों की ऐसी सोच को सरासर गलत मानती हूँ। ये सिर्फ मैं ही जानती हूँ कि मैंने अपने इन दस सालों के करियर में कितने दर्द सहे हैं, कितनी चोटें खाई, कितना पसीना बहाया, कितने जख्म सहे है, कितनी रातें सोई नहीं, कितने आँसू ज़ाया किए। यह बात जान लीजिए कि बॉलीवुड में कोई दस साल टिका नहीं रह सकता है सिर्फ रिश्तों के बल पर। यहां दस साल टिकने के लिए कड़ी मेहनत की आवश्यकता होती है, भले ही कोई कितना भी प्रतिभाशाली हो। आप चाहे तो कहे कि मैंने अच्छा अभिनय नहीं किया, या मैं सुन्दर नहीं दिखती हूँ, वो एक बार चलेगा लेकिन कोई मुझे ये नहीं कह सकता कि मैंने मेहनत नहीं की है। मेरी मेहनत पर कोई उंगली उठाए यह मैं सहन नहीं कर सकती क्योंकि मैं सचमुच जी जान से मेहनत करती हूँ।' आलिया अपने काम को लेकर स्वस्थ आलोचनाओं से नहीं घबराती, बल्कि वो तो कहती हैं कि उसे झूठमूठ की तारीफें बिल्कुल पसंद नहीं, वो उन लोगों से दूर रहती है जो सामने मीठा मीठा बोलते है और पीठ पीछे निंदा करते है। अपने जीवन में आलिया सिर्फ चंद लोगों पर विश्वास करती है जो उसके काम की या किसी भी बात की स्टीक सलाह देते हैं और खरा खरा बोलते हैं, जिसमें कोई झूठ, फरेब मुलम्मा या लीपा पोती नहीं होती । तो वो लोग कौन है, जिसपर आलिया आँख मूंदकर विश्वास करती है? इस प्रश्न पर आलिया बताती है, 'मुझे मेरी मॉम, पापा, रणबीर कपूर, अयान मुखर्जी, करण जौहर, संजय लीला भंसाली सर और अपनी बहन शाहीन पर पूरा भरोसा है।' आलिया खुद किसी से छल कपट नहीं करती, इसलिए वो ग्लो करती है, इसलिए उसकी सफ़लता को कोई रोक नहीं सकता। आलिया ने रणबीर कपूर के साथ अपने प्रेम संबंध को भी कभी छुपाया नहीं, एक बार जब दोनों ने हमसफ़र बनने का फैसला कर लिया तो जगजाहिर भी कर दिया, लेकिन पर्सनल जीवन को लेकर सवाल ज़वाब उन्हें बिल्कुल पसंद नहीं। शादी को लेकर बार बार उठते सवालों पर आलिया दो टूक कहती हैं कि जब होनी होगी तब हो जाएगी शादी और जितनी गहराई है उन दोनों के प्रेम में, उससे तो उन दोनों के मन का गठ बंधन हो ही गया। आलिया अपने नाम को चरितार्थ करती है, आलिया का मतलब है, बहुत बढ़िया, आसमान छूने वाली, उत्कृष्ट। आलिया अपनी नवीनतम फ़िल्में, 'जी ले ज़रा', 'रॉकी और रानी की प्रेम कहानी', 'ब्रह्मास्त्र', 'आर आर आर', 'डार्लिंंग्स'(आलिया की पहली बतौर निर्मात्री फिल्म जिसमें वो अभिनय भी कर रही है), 'तख्त' के साथ और कितनी ऊँचाई पर उड़ेगी यह सहज अनुमान लगाया जा सकता है, द स्काई इज़ द लिमिट और आलिया की प्रतिभा है लिमिटलेस। #alia bhatt हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article