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टूट रहा 'सोपान' जहां जमती थी महफ़िल कभी 'मधुशाला' की !

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टूट रहा 'सोपान' जहां जमती थी महफ़िल कभी 'मधुशाला' की !

-शरद राय

अमिताभ बच्चन के मुम्बई स्थित बंगले ''प्रतीक्षा'' की दीवार को तोड़ने की मुम्बई मनपा की कोशिशों के बारे में 'मायापुरी' में हम पहले ही बता चुके हैं। अब आइए हम उनके दिल्ली स्थित बंगले ''सोपान'' की खबर लेते हैं। 'सोपान' बच्चन का वो बंगला है जहां उनके पिता श्री हरिवंश राय बच्चन की साहित्यिक मंडली बैठती थी।जहां कविता पाठ होता था और एक समय 'मधुशाला' की महफ़िल जमा करती थी।खबर है बच्चन का यह डेढ़ मंजिला बंगला 'सोपान' भी अब टूटने के कगार पर है।

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दक्षिण दिल्ली स्थित एरिया गुलमोहर पार्क की अपनी वकत है। इसी गुलमोहर पार्क में एक बंगला है ''सोपान'' जो एक पर्यटक पॉइंट की तरह एक रुतबा रखता है और जिसका एक इतिहास है। बंगले के बाहर नाम की टैग हुआ करती थी ''बच्चन'- जो अब इनदिनों हटा दिया गया है। 'सोपान'  के पास की सड़क पर जो बस स्टॉप है उसका नाम है 'अमिताभ बस स्टॉप' अभी यह नाम उस स्टॉप पर बना हुआ है लेकिन समझा जा रहा है कि कुछ दिन बाद यह नाम भी वहां से हट जाएगा। जब बच्चन  का सोपान ही वहां नही रहेगा तो बस स्टॉप का नाम क्यों रह पाएगा। कुछ ऐसा ही झटका मुझे इलाहाबाद जाने पर लगा था जब  मेरे एक मित्र मोहम्मद गुलरेज ने मुझे कॉफी हाउस ले जाकर बड़े गर्व से बताया था कि कभी बच्चन साहब भी यहां काफी पीने आया करते थे! फिर वह मुझे ''अमिताभ बच्चन रोड'' लेकर गए थे जहां सड़क का नाम अब नगरपालिका ने बदल दिया है लेकिन अभी भी वहां के लोग उसे अमिताभ बच्चन रोड ही कहते हैं।

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इलाहाबाद (अब प्रयागराज) और मुम्बई की तर्ज पर अमिताभ बच्चन के बंगले के नाम पर खरोंच दिल्ली की महानगर पालिका ने नहीं, बल्कि स्वयं अमिताभ  ही 'सोपान' को छोड़ने की चर्चा में हैं। कहा जा रहा है कि इस बंगले को वहीं के एक परिवार ने 35 करोड़ में अमिताभ बच्चन से खरीद लिया है। और, जिस परिवार ने इसको खरीदा है वे यहां भव्य भवन नए नाम से बनाने के लिए नगरपालिका से नख्शे भी पास करवा लिए हैं।

'सोपान' का अपना एक इतिहास रहा है। इलाहाबाद छोड़कर जब हरिवंश राय बच्चन दिल्ली रहने आगए थे, उनकी पत्नी तेजी बच्चन - जो उनदिनों आकाशवाणी में काम करती थी,को रियायती रेट पर यह प्लाट आबंटित हुआ था। 500 गज के इस प्लाट पर 1968 में हरिवंश राय बच्चन ने 'सोपान' बनाया था। अमिताभ मुंबई फिल्मों में काम पाने के लिए लगे थे।जब वह दिल्ली आते थे इसी घर मे रहते थे। बाबूजी की साहित्यिक मंडली थी। कन्हैयालाल नंदन, धर्मवीर भारती, कमलेश्वर,अक्षय कुमार जैन जैसे विद्वद जनों की महफ़िल यहां बैठती थी। अमिताभ ने एकबार कहा था कि उनदिनों सोपान में वह बाबूजी की 'मधुशाला' की लाइनें सुनकर गदगद हुआ करते थे। नेहरू परिवार से नज़दीकियाँ थी, राजीव गांधी भी यहां आते थे। तेजी जी भी यहां बैठती थी।वह सभी साहित्यकारों का दिलसे सम्मान करती थी। जब अमिताभ की फिल्म 'जंजीर' हिट हो गई तब उनके साथ रहने के लिए  बच्चन-परिवार मुम्बई आगया।

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'सोपान' में अमिताभ का जाना कम ही हो गया था। वह पिछली बार 2017 मे कुछ देर ही के लिए इस घर मे जाकर रहे थे। जब फिल्म 'कुली' का प्रीमियर ओडियन सिनेमा में हुआ था उस फिल्म की प्रीमियर की कामाई का ढाई लाख रुपया अमिताभ ने गुलमोहर पार्क में कम्युनिटी हाल बनाने के लिए दिया था। वहां के लोग बताते हैं कि कुछ समय पहले तक जया बच्चन जब संसद में भाग लेने के लिए  दिल्ली होती थी इस घर मे ही आकर रहती थी। अभिषेक और  ऐश्वर्या वहां कई बार आये हैं।जया बच्चन छत पर टहलती हुई देखी जाती थी।बताते हैं इधर कुछ समय से बच्चन और 'सोपान' का रिश्ता टूटने लगा था। यह भी मालूम पड़ा है कि बंगले पर अमिताभ का नाम 2016 में चढ़ गया था। आरडब्लूए का रेंट दो तीन सालों से नही भरा गया है। अब स्थिति ये है कि बाबूजी का 'सोपान' कब बुलडोजर की भेंट चढ़ जाएगा कहा नही जा सकता। बंगले के बाहर लगी 'बच्चन' नाम की नेम प्लेट हटा दी गई है बगल में कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है।आज जब 'सोपान' के सो जाने की चर्चा चल रही है मुझे कवि हरिवंशराय बच्चन की लाइन याद आरही है-

  'फिर भी वृद्धों से जब पूछा

   एक यही उत्तर पाया

   अब न रहे वे पीने वाले

   अब न रही वो मधुशाला।'-शरद राय

अमिताभ बच्चन के मुम्बई स्थित बंगले ''प्रतीक्षा'' की दीवार को तोड़ने की मुम्बई मनपा की कोशिशों के बारे में 'मायापुरी' में हम पहले ही बता चुके हैं। अब आइए हम उनके दिल्ली स्थित बंगले ''सोपान'' की खबर लेते हैं। 'सोपान' बच्चन का वो बंगला है जहां उनके पिता श्री हरिवंश राय बच्चन की साहित्यिक मंडली बैठती थी।जहां कविता पाठ होता था और एक समय 'मधुशाला' की महफ़िल जमा करती थी।खबर है बच्चन का यह डेढ़ मंजिला बंगला 'सोपान' भी अब टूटने के कगार पर है।

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दक्षिण दिल्ली स्थित एरिया गुलमोहर पार्क की अपनी वकत है। इसी गुलमोहर पार्क में एक बंगला है ''सोपान'' जो एक पर्यटक पॉइंट की तरह एक रुतबा रखता है और जिसका एक इतिहास है। बंगले के बाहर नाम की टैग हुआ करती थी ''बच्चन'- जो अब इनदिनों हटा दिया गया है। 'सोपान'  के पास की सड़क पर जो बस स्टॉप है उसका नाम है 'अमिताभ बस स्टॉप' अभी यह नाम उस स्टॉप पर बना हुआ है लेकिन समझा जा रहा है कि कुछ दिन बाद यह नाम भी वहां से हट जाएगा। जब बच्चन  का सोपान ही वहां नही रहेगा तो बस स्टॉप का नाम क्यों रह पाएगा। कुछ ऐसा ही झटका मुझे इलाहाबाद जाने पर लगा था जब  मेरे एक मित्र मोहम्मद गुलरेज ने मुझे कॉफी हाउस ले जाकर बड़े गर्व से बताया था कि कभी बच्चन साहब भी यहां काफी पीने आया करते थे! फिर वह मुझे ''अमिताभ बच्चन रोड'' लेकर गए थे जहां सड़क का नाम अब नगरपालिका ने बदल दिया है लेकिन अभी भी वहां के लोग उसे अमिताभ बच्चन रोड ही कहते हैं।

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इलाहाबाद (अब प्रयागराज) और मुम्बई की तर्ज पर अमिताभ बच्चन के बंगले के नाम पर खरोंच दिल्ली की महानगर पालिका ने नहीं, बल्कि स्वयं अमिताभ  ही 'सोपान' को छोड़ने की चर्चा में हैं। कहा जा रहा है कि इस बंगले को वहीं के एक परिवार ने 35 करोड़ में अमिताभ बच्चन से खरीद लिया है। और, जिस परिवार ने इसको खरीदा है वे यहां भव्य भवन नए नाम से बनाने के लिए नगरपालिका से नख्शे भी पास करवा लिए हैं।

'सोपान' का अपना एक इतिहास रहा है। इलाहाबाद छोड़कर जब हरिवंश राय बच्चन दिल्ली रहने आगए थे, उनकी पत्नी तेजी बच्चन - जो उनदिनों आकाशवाणी में काम करती थी,को रियायती रेट पर यह प्लाट आबंटित हुआ था। 500 गज के इस प्लाट पर 1968 में हरिवंश राय बच्चन ने 'सोपान' बनाया था। अमिताभ मुंबई फिल्मों में काम पाने के लिए लगे थे।जब वह दिल्ली आते थे इसी घर मे रहते थे। बाबूजी की साहित्यिक मंडली थी। कन्हैयालाल नंदन, धर्मवीर भारती, कमलेश्वर,अक्षय कुमार जैन जैसे विद्वद जनों की महफ़िल यहां बैठती थी। अमिताभ ने एकबार कहा था कि उनदिनों सोपान में वह बाबूजी की 'मधुशाला' की लाइनें सुनकर गदगद हुआ करते थे। नेहरू परिवार से नज़दीकियाँ थी, राजीव गांधी भी यहां आते थे। तेजी जी भी यहां बैठती थी।वह सभी साहित्यकारों का दिलसे सम्मान करती थी। जब अमिताभ की फिल्म 'जंजीर' हिट हो गई तब उनके साथ रहने के लिए  बच्चन-परिवार मुम्बई आगया।

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'सोपान' में अमिताभ का जाना कम ही हो गया था। वह पिछली बार 2017 मे कुछ देर ही के लिए इस घर मे जाकर रहे थे। जब फिल्म 'कुली' का प्रीमियर ओडियन सिनेमा में हुआ था उस फिल्म की प्रीमियर की कामाई का ढाई लाख रुपया अमिताभ ने गुलमोहर पार्क में कम्युनिटी हाल बनाने के लिए दिया था। वहां के लोग बताते हैं कि कुछ समय पहले तक जया बच्चन जब संसद में भाग लेने के लिए  दिल्ली होती थी इस घर मे ही आकर रहती थी। अभिषेक और  ऐश्वर्या वहां कई बार आये हैं।जया बच्चन छत पर टहलती हुई देखी जाती थी।बताते हैं इधर कुछ समय से बच्चन और 'सोपान' का रिश्ता टूटने लगा था। यह भी मालूम पड़ा है कि बंगले पर अमिताभ का नाम 2016 में चढ़ गया था। आरडब्लूए का रेंट दो तीन सालों से नही भरा गया है। अब स्थिति ये है कि बाबूजी का 'सोपान' कब बुलडोजर की भेंट चढ़ जाएगा कहा नही जा सकता। बंगले के बाहर लगी 'बच्चन' नाम की नेम प्लेट हटा दी गई है बगल में कंस्ट्रक्शन का काम चल रहा है।आज जब 'सोपान' के सो जाने की चर्चा चल रही है मुझे कवि हरिवंशराय बच्चन की लाइन याद आरही है-

  'फिर भी वृद्धों से जब पूछा

   एक यही उत्तर पाया

   अब न रहे वे पीने वाले

   अब न रही वो मधुशाला।'

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