Advertisment

गणतंत्र दिवस पर मची इन फिल्मों की धूम

गणतंत्र दिवस पर मची इन फिल्मों की धूम
New Update

सुलेना मजुमदसर अरोरा

फ़िल्म राज़ी, सरबजीत, रंग दे बसंती, 83 और चक दे, इन फिल्मों ने एक बार फिर याद दिला दिया  कि यह भारतीय ही हैं जो भारत को महान बनाते हैं 26 जनवरी वह तारीख है जिस दिन 1950 में भारत का संविधान लागू हुआ था। भारत का शासन दस्तावेज भी लोकतंत्र, समानता, सामाजिक न्याय और भारत के उस विचार का सेलिब्रेशन है जिसका हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और राष्ट्र निर्माताओं ने सपना देखा था। यहां कुछ फिल्मों की सूची दी गई है जिन्हें 26 जनवरी को सब से ज्यादा देखे जाने की बात हो रही है। ये वो फ़िल्में हैं जो हमें याद दिलाती है  कि यह 'साधारण' भारतीय ही हैं जो भारत को महान बनाते हैं और यह भी इंगित करती है कि केवल एकजुटता और बलिदान के मूल्य ही वास्तव में परिभाषित कर सकते हैं कि हम एक राष्ट्र के रूप में कौन हैं, न कि नफरत या विभाजन के।

publive-image

राज़ी: हरिंदर सिक्का के 2008 के उपन्यास 'कॉलिंग सहमत' पर आधारित फिल्म' राज़ी' एक युवा मुस्लिम लड़की की वास्तविक कहानी है, जो अपने पिता के कहने पर एक रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) एजेंट बन जाती है और एक हाई-प्रोफाइल पाकिस्तानी परिवार के सैन्य अधिकारी से शादी कर लेती है,आगे जो होता है वह दिल टूटने और बलिदान की एक अविश्वसनीय कहानी है जिसके परिणामस्वरूप नायिका सहमत ने अपने देश को 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान एक बड़े खतरे से बचाया। 2018 की ये  जासूसी थ्रिलर मेघना गुलज़ार द्वारा निर्देशित और विनीत जैन, करण जौहर, हीरू यश जौहर और अपूर्व मेहता द्वारा निर्मित थी। आलिया भट्ट ने बड़ी ईमानदारी के साथ टाइटैनिक सहमत की भूमिका निभाई और विक्की कौशल, रजित कपूर, शिशिर शर्मा और जयदीप अहलावत ने उनका समर्थन किया।

publive-image

सरबजीत: भारत की स्पिरिट का उदाहरण क्या है? अपने आम नागरिकों की लचीलापन, हम कहेंगे। सरबजीत एक ऐसी वास्तविक जीवन की कहानी है जहां एक बहन ने अपने भाई की खातिर 22 साल से अधिक समय तक बड़ी बड़ी बाधाओं से जूझती रहीं। वो भाई जो कथित जासूसी के आरोप में पाकिस्तान में कैद था। फिल्म ने एक ऐसी महिला के असाधारण साहस को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की, जिसने हर मोड़ पर असफलताओं का सामना करने के बावजूद यह उम्मीद नहीं छोड़ी कि वह एक दिन अपने भाई के लिए आजादी हासिल करने में सक्षम होगी। ऐश्वर्या राय ने दलबीर kaur और रणदीप हुड्डा ने सरबजीत की शानदार प्रदर्शन के साथ इस फिल्म को यादगार बना दिया था। 2016 की य़ह बायोपिक ड्रामा ओमंग कुमार द्वारा निर्देशित और पूजा एंटरटेनमेंट द्वारा निर्मित थी। फिल्म में ऋचा चड्डा और दर्शन कुमार ने भी सहायक भूमिकाओं में अभिनय किया था।

publive-image

रंग दे बसंती: वह क्या जज्बा था जिसने भगत सिंह, अशफाकउल्ला खान, राम प्रसाद बिस्मिल और चंद्रशेखर आजाद जैसे युवा स्वतंत्रता सेनानियों को भारत के लिए अपनी जान जोखिम में डालने के लिए प्रेरित किया था ? यह भारत के प्रति उनका विश्वास था जिसने उन्हें देश की स्वतंत्रता जीतने के लिए सब कुछ जोखिम में डालने को प्रेरित किया था। फिल्म 'रंग दे बसंती' ने हमें आत्मनिरीक्षण करवाया कि स्वतंत्र भारत में वह पहले वाला आदर्शवाद क्यों खत्म होता जा रहा है हो और अगर हम इसे फिर से खोज सकते हैं तो नागरिकों की शक्ति को मोबिलाइज करके, असहमति के अधिकार पर जोर देकर, भ्रष्टाचार के खिलाफ खड़े हो सकते हैं। इस फिल्म ने 2006 में बहुत धूम मचाई थी। यह फिल्म राकेश ओमप्रकाश मेहरा द्वारा निर्मित और निर्देशित की गई और इसमें आमिर खान, सिद्धार्थ, अतुल कुलकर्णी, सोहा अली खान, शरमन जोशी, साइरस साहूकार, कुणाल कपूर और एलिस पैटन ने अभिनय किया।

publive-image

83: एक राष्ट्र को वास्तव में क्या महान बनाता है? सहयोग, तालमेल, और आकांक्षा। इन तीन मूल्यों से एक देश, असंभव से असंभव लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता हैं, यह जगजाहिर हो गया था जब कप्तान कपिल देव के नेतृत्व में भारतीय क्रिकेट टीम ने 1983 में पहली बार विश्व कप जीता था। यह अप लिफ्टिंग फिल्म, कबीर खान निर्देशित एक अनुस्मारक है कि जब हम एक टीम और एक राष्ट्र के रूप में एक साथ खेलते हैं और सपने देखते हैं, तभी हम जीत सकते हैं।  दीपिका पादुकोण, कबीर खान, विष्णु वर्धन इंदुरी, साजिद नाडियाडवाला, रिलायंस एंटरटेनमेंट और 83 फिल्म लिमिटेड द्वारा निर्मित इस फिल्म में रणवीर सिंह कपिल देव के रूप में चमत्कृत करते हैं और उनके साथ हैं एक शानदार कलाकारों की टुकड़ी। यह एक ऐसी फिल्म के रूप में इतिहास में लिखे जाना तय है जो क्रिकेट से भी ज्यादा बहुत कुछ है।

publive-image

चक दे इंडिया: film '83' की तरह, 2007 की ये फिल्म 'चक दे इंडिया', में भी एक  खेल प्रतियोगिता जीतने की जद्दोजहद से और भी ज्यादा बहुत कुछ है। .यह फिल्म कैजुअल सेक्सिज्म, महिला खिलाड़ियों के सामने आने वाली चुनौतियों, टीमों को विभाजित करने वाली क्षुद्र राजनीति, भारत की खेल संस्कृति में हॉकी की स्थिति, कट्टरता तथा हम अकल्पनीय को एकजुटता के साथ कैसे प्राप्त कर सकते हैं, बजाय अलगाव की स्थिति के, इसके बारे में ये फिल्म कहती है। शिमित अमीन द्वारा निर्देशित और आदित्य चोपड़ा द्वारा निर्मित, यह फिल्म एक तरह से पिछले साल के ओलंपिक में हमारी महिला हॉकी खिलाड़ियों के साहस और दृढ़ संकल्प को दर्शाती है और हमें याद दिलाती रहती है कि एक टीम के रूप में आगे बढ़ने का एकमात्र तरीका है कि विविधता, के बावजूद एक रूपता के साथ खेलना।

#Republic Day
Here are a few more articles:
Read the Next Article
Subscribe