इस वैलेंटाइन्स डे पर ये रोमांटिक क्लासिक्स ने फिर याद दिलाई कि प्रेम सिर्फ वेलेंटाइन डे मनाना नहीं है

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इस वैलेंटाइन्स डे पर ये रोमांटिक क्लासिक्स ने फिर याद दिलाई कि प्रेम सिर्फ वेलेंटाइन डे मनाना नहीं है

-सुलेना मजुमदार अरोरा

चाहे आप विवाहित हो या अविवाहित कपल, वैलेंटाइन डे पर रोमांटिक डेट  जरूर एन्जॉय करेंगे। इस दिन कैंडल लाइट डिनर के साथ रोमांटिक फिल्मों का कम्बीनेशन असरदार होता है और ऐसे में प्रेमी कपल्स अक्सर कौन सी बॉलीुडिया फिल्में देखना पसंद करते है पेश है उसकी लिस्ट।

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1) कहो ना प्यार है: यह फिल्मक्राफ्ट प्रोडक्शन कृत ऋतिक रोशन और अमीषा पटेल की पहली फिल्म थी और इसने एक सुपरस्टार के उदय को रेखांकित किया। कहानी के साथ एक प्रेम संबंध की शुरुआत हुई, जो आज भी लव बर्डस के दिल को छूती है, हंसाती है, रुलाती है, गवाती है और नचाती है। राजेश रोशन का दिलकश संगीत स्कोर, खूबसूरत लोकेशंस, राकेश रोशन का स्लीक डायरेक्शन और ऋतिक की शानदार डबल रोल ने फिल्म की सफलता सुनिश्चित की, लेकिन मुख्य तौर पर यह एक नौजवान जोड़े के दिल छू लेने वाला मासूम रोमांस ही था जिसने फिल्म को सबसे यादगार प्रेम कहानियों में से एक बना दिया।

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2) दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे: यश राज प्रोडक्शन और आदित्य चोपड़ा निर्देशित यह आउट एंड आउट रोमांटिक फिल्म, मुंबई, के मराठा मंदिर में 25 से अधिक वर्षों तक हाउसफुल चलने वाली एक शानदार हिट थी और अपने रोमांटिक गीतों, यूरोप के खूबसूरत लोकेशन्स के कारण कई डिकेड्स तक एक कल्ट फिल्म का दर्जा हासिल किया जिसकी यादगार सीन्स, अब पॉप संस्कृति का हिस्सा बन गया हैं। साथ ही, शाहरुख खान तथा काजोल के बीच की जबरदस्त केमिस्ट्री इस फिल्म में राज और सिमरन की प्रेम कहानी को फीकी पड़ने से रोके रखती है जिससे आज भी, नए फिल्म निर्माताओं की पीढ़ियों को आइकोनिक ट्रेन दृश्य और फिल्म के कई अन्य यादगार पलों को फिर से देखने के लिए प्रेरित करती है। 'डीडीएलजे' एक हास्य,  तथा भावुकता से ओतप्रोत,  दिल को छू लेने वाली फिल्मों में से एक है जो  इतने सालों से वेलेंटाइन डे के लिए परफेक्ट मस्ट वॉच बनी हुई है।

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3) रहना है तेरे दिल में: निर्देशक गौतम वसुदेव मेनन की अपनी तमिल फिल्म 'मिन्नाले' की यह पूजा एंटरटेनमेंट रीमेक, समय के साथ, हैरिस जयराज द्वारा अपने एजलेस म्यूज़िक के कारण लोकप्रियता में बाज़ी मार ले गई है। इस फिल्म में दो नवोदित कलाकारों, माधवन और दीया मिर्जा द्वारा चलने वाले चुहल और छेड़छाड़,  सैफ अली खान द्वारा एक आकर्षक कैमियो और एक असामान्य प्रेम कहानी के सभी तत्व मौजूद है। यह फिल्म दो प्रेमियों के पथ का अनुसरण करती है जो एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं, लेकिन फिर भी आपसी आकर्षण के खिंचाव से बच नहीं सकते हैं और फिर यह रिश्ता एक गहरे प्यार में विकसित होता है। यहां तक कि जब वे दोनों कई बाधाओं से जूझ रहे होते हैं, तब भी आप उनके बीच के अचूक केमिस्ट्री को समझ सकते हैं। यह फिल्म अभी भी एक बड़े पैमाने पर प्रेमियों कि पसंदीदा फिल्म है और आज भी उतनी ही फ्रेश महसूस होती है जितनी पहली बार रिलीज होने पर ताजगी से भरपूर लगी थी। मैडी और रीना हर गुजरते साल के साथ नई पीढ़ी के प्रशंसकों का दिल जीतते जा रहे हैं।

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4) क़यामत से क़यामत तक:  यह मंसूर खान निर्देशित और नासिर हुसैन प्रोडक्शन कृत शेक्सपियर की 'रोमियो एंड जूलियट' का एक नया रूप था, जिसने दो स्टार-क्रॉस प्रेमियों की कहानी को बड़ी भावना और करुणा के साथ दोहराया। यह सुपरहिट फिल्म, आमिर खान और जूही चावला के करियर की शुरुआती फिल्म थी, जिसकी कहानी सच्चे प्यार के रास्ते में आने वाले पूर्वाग्रहों और संघर्षों पर एक अंतर्दृष्टिपूर्ण डालने वाली कथा थी। राज और रश्मि राजपूत के बीच का वो अनकहा प्रेम, साथ में आनंद मिलिंद के संगीत की धुन, आज भी वही असर पैदा कर रहा है जिसने 1988 में लाखों प्रशंसकों का दिल जीत लिया था। फिल्म में दो युवा प्रेमी अपने परिवारों से इसलिए अलग हो कर भाग गए क्योंकि उन दोनों के परिवार आपस में कट्टर दुश्मन है। लेकिन जब ये युवा जोड़ा भागकर, ग्रामीण इलाकों में  बचने की कोशिश करते हैं तो यहां भी उनके सामंती परिवार उनका पीछे नहीं छोड़ते हैं, दोनों समान रूप से अपने रिश्ते को रोकने के लिए दृढ़ हैं। यह एक प्रामाणिक क्लासिक फिल्म है जिसने हिंदी सिनेमा में रोमांटिक संगीत शैली को नया रूप दिया है।

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5) आशिकी: महेश भट्ट निर्देशित और टी-सीरीज़ निर्मित यह फिल्म, नदीम श्रवण के मधुर संगीत स्कोर के इर्द-गिर्द बुना गया था, इसमें डब्ड आवाज वाला एक पतला नायक था और एक ऐसी नायिका थी जो बॉलीवुड एक्ट्रेस के सांचे में फिट होने के लिए बहुत ज्यादा लंबी और बहुत सांवली थी, लेकिन फिर, यह कोई पारंपरिक प्रेम कहानी तो थी ही नहीं। राहुल रॉय और अनु अग्रवाल अभिनीत, यह फिल्म एक टूटे हुए घर में पलकर बड़े होने वाले नौजवानों की फीलिंग्स, महत्वाकांक्षा, ईर्ष्या और सह-निर्भरता जैसे आधुनिक प्रेम की जटिलताओं वाले वास्तविक मुद्दों से निपटती है। इसकी कहानी एक पुलिस स्टेशन से शुरू होती है जहां एक लक्ष्यहीन युवक और एक अनाथ लड़की की मुलाकात होती है,  पहले दोनों एक-दूसरे को नजरंदाज करते हैं लेकिन फिर प्यार में पड़ने पर अपने जीवन का अर्थ, सहयोग और कम्फर्ट ढूंढ लेते हैं। इस फिल्म के कई सीक्वेल हो सकते हैं लेकिन ओरिजिनल फिल्म का जादू अपने ओरिजिनल साउंडट्रैक के साथ नायाब रहता है, जो अभी भी आपको अपने पहले प्यार को याद करने और याद रखने के लिए मजबूर करता है।

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