श्रद्धांजलि-संस्मरण: याद आते हैं रवि (टंडन) जी By Mayapuri Desk 12 Feb 2022 in गपशप New Update Follow Us शेयर -शरद राय कैसे वे हमपर गुस्सा हुए थे- जब हम उनकी फिल्म ''खुद्दार'' की शूटिंग पर अमिताभ के लगाए ''प्रेस- बैन'' को तोड़कर सेट पर चले गए थे! स्वर्गीय रवि जी एक ऐसे निर्माता-निर्देशक थे जिनके लिए शायद ही कोई कहे कि वे उसपर गुस्सा भी हुए होंगे! अब जब रवि टंडन जी दुनिया मे नहीं हैं, मेरे पास उनके गुसा होने का एक किस्सा है जो अमिताभ बच्चन से जुड़ा है। रवि टंडन के निर्देशन में बनने वाली फिल्म 'खुद्दार' सेट पर थी। इसे विडम्बना ही कहेंगे कि उनदिनों प्रेस- फोटो ग्रॉफरों और अमिताभ के बीच पंगा होगया था। अमिताभ ने पूरे प्रेस को बैन कर दिया था। न वह फोटो देते थे, ना किसी प्रेसवाले से बात करते थे। उनकी शूटिंग के सेट पर किसी प्रेसवाले को दिखना नही चाहिए, यह हिदायत वह अपने निर्माताओं को दे रखे थे। हालांकि वो दिन प्रिंट मीडिया के जलवे का दौर था। तबतक चैनलों या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की चर्चा नहीं थी। लेकिन अमिताभ तो अमिताभ हैं। उनका प्रतिबंध काफी समय तक चलता रहा। पत्रकार उनके खिलाफ खूब लिखते गए और निगेटिव लिखे जाने से वह स्टार से सुपर स्टार बनते गए। उसी समय की यह घटना है। मैं रवि जी के चहेते पत्रकारों में था। 'मायापुरी' की पत्रकार छाया मेहता और उनके प्रेस फोटोग्राफर भाई दीपक मेहता की हमारी टीम थी। हमलोग दिन भर स्टूडियो टू स्टूडियो घूमा करते थे। बात '81 की है रवि जी के निर्देशन में बननेवाली फिल्म 'खुद्दार' की शूटिंग चल रही थी। हमलोग जब भी जुहू की तरफ किसी बंगले में शूटिंग- कवरेज के लिए होते थे, निर्माता-निर्देशक रवि टंडन के बंगले 'निप्पोन' में चले जाते थे।उनसे परमिशन लेने की जरूरत नहीं थी। रविजी का परिवार बहुत प्यारा परिवार रहा है- शुरू से ही। रवि जी और उनकी पत्नी वीना जी तथा बेटी रवीना ('रवि' और 'वीना' का नाम मिलाकर 'रवीना' को नाम दिया गया था) और उनके बेटे राज सबके साथ घुलमिल जाते थे। रविजी इतने डाउन टू अर्थ थे कि उनको देखकर ऐसा लगता ही नही था कि यह आदमी 'खेल खेल में', 'एक मैं और एक तूं', 'अनहोनी', 'मजबूर', 'वक्त की दीवार', 'खुद्दार' जैसी सफल फिल्मों का निर्देशन किया है। कभी कभी वहां वीना जी के भाई एक्टर मैकमोहन भी हुआ करते थे। उनके घर का माहौल एकदम हल्का फुल्का मनोरंजन भरा होता था। उनके यहां जाकर हमलोग घर का 'फील' पाते थे। ''खुद्दार' में अमिताभ के अलावा संजीव कुमार, परवीन बॉबी, विनोद मेहरा, प्रेम चोपड़ा जैसे दूसरे बड़े स्टार भी थे। एक शाम हमलोग रवि जी के बंगले पर थे, वे बताए कि फिल्मिस्तान स्टूडियो में अगले दिन 'खुद्दार' की शूटिंग कर रहे हैं। सेट पर उसदिन अमिताभ हैं। अमिताभ सेट पर हों तो जाने कि इच्छा बढ़ गई। हमलोग कवर करने जाना चाहते थे वावजूद इसके की अमिताभ बात नहीं करते थे। रवि जी ने मना कर दिया- 'नही, वो नाराज़ हो जाएगा।' रवि टंडन ने हमसे कहा- फिर किसी दिन, जिस दिन अमिताभ सेट पर नहीं हों तब आओ। अगर वो (अमिताभ) नाराज़ होकर चला गया तो प्रोड्यूसर का बड़ा नुकसान हो जाएगा। हम भी जिद किए कीआप इतने बड़े डायरेक्टर हो, आपकी क्यों नहीं चलेगी? रवि जी का व्हिस्की पीने का समय हो गया था, एक पैग बनाकर मेरी और बढाते हुए बोले- 'लो पियो। तुम पत्रकारों के समझ मे नहीँ आएगा फिल्म बनाना क्या होता है। यहीं से गॉसिप लिख लेना।' मैंने कहा- मैं पीता कहां हूं? आती हुई रवीना बोली- ''शरद भाई, आपके लिए मैं अपने हाथ से चाय बनाती हूं।'' रवीना तब फ्रॉक पहनने वाली टीनएज बच्ची ही थी। वह स्टार रवीना टंडन बाद में बनी। खैर, अगले दिन रविजी के मना करने के वावजूद भी हमलोग फिल्मिस्तान स्टूडियो चले ही गए थे। स्टेज नम्बर तीन पर जहां फिल्म 'खुददार' का शूट चल रहा था, गेट पर ही लिखा था - ''PRESS NOT ALLOWED''.रविजी की नज़र हमपर पड़ी तो वह गुस्सा होगए - 'तुमलोगों को मना किया था न? जानते हो तुम लोगों के कारण शूटिंग रुक सकती है निर्माता का नुकशान हो सकता है!'' मैंने पहली बार रविजी को गुस्सा होते देखा था। वे हमें पहले ही कहे थे कि मिलाएंगे नहीं और कि हम अमिताभ के सामने कोई सवाल नहीं करेंगे। उस समय फिल्म के सेट पर गाना फिल्माया जा रहा था- 'अंग्रेजी में कहते हैं आई लव यू और गुजराती में बोले तने प्रेम करूं छू छू''। लंच ब्रेक में हमलोग रविजी के साथ ही एक टेबल पर खाने पर बैठ गए। अमिताभ अलग रूम में रेस्ट करने चले गए थे। परवीन बॉबी के लिए रूम अलग था। तब सितारों के लिए वैन नहीं हुआ करती थी। तभी हमने देखा अमिताभ बच्चन चलते हुए वहां आ गए, उनको रविजी से लंच बाद के किसी सीन के बारे में जानना था। रवि जी ने हमे देखा, हम उनका इशारा समझ गए कि हमें चुप रहना है। अमिताभ बैठ गए एक कुर्सी लेकर और हम अंदर ही अंदर परेशान थे। अमिताभ और रविजी की बात होती रही।कभी रवि टंडन कनखियों से छाया मेहता को देखते, छाया मुझको देखती कि कहीं हम कुछ पूछ ना बैठें। करीब 10 मिनट तक जबतक अमिताभ थे, हम 'प्रतिबंधित जीव' बनकर वहां थे। उनके जाने के बाद हमसब नार्मल हुए। रवि जी ने माहौल को हल्का किया कहकर- ''शुकर है लंबुआ(अमिताभ) ने कुछ पूछा नहीं तुम लोगों से। थैंक्स, तुम लोग भी शांत रहे। सचमुच मुझे उसदिन महसूस हुआ था कि पर्दे के स्टार- पॉवर के सामने करोड़ों लगाकर फिल्म बनाने वाले निर्मात का अपना पॉवर कुछ भी नहीं होता! और, रवि टंडन जी ऐसे निर्देशक थे जो सभी स्टारों के दोस्त थे, मगर कभी अपने निर्माता का नुकशान नहीं होने देते थे। वे हमारे लिए हमसे बड़े होकर भी दोस्त जैसे ही रहते थे। उसदिन... वह हम लोगों को शूटिंग फ्लोर से गेट तक बाहर लेकर आए, फिर हंसते हुए अंदर लौट गए, कहते हुए- 'कल घर पर जरूर आना!' सचमुच दोस्तों के दोस्त थे रवि टंडन जी! #Ravi Tandon #about Ravi Tandon #I miss you Ravi Tandon ji #Ravi Tandon DEATH #Ravi Tandon memoir #Ravi Tandon memory #Ravi Tandon PASS AWAY #Ravi Tandon RIP #Ravi Tandon tribute हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article