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मनपा के बुलडोजर की जुबानी: अमिताभ बच्चन के बंगले "प्रतीक्षा" की कहानी!

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मनपा के बुलडोजर की जुबानी: अमिताभ बच्चन के बंगले "प्रतीक्षा" की कहानी!

-शरद राय

मैं मनपा का बुलडोजर हूं!

बृहन मुम्बई महानगरपालिका (मनपा) के तोड़क दस्ते में मेरे जैसे कई मशीनी हैवान तैनात हैं जो इस इंतेज़ार में होते हैं कि कब आदेश मिलेऔर हम कब जाकर किसी का घर ढहा आएं। मुम्बई में घर बनाना कितना मुश्किल है, यह जानते हुए भी किसी का घर ढहाने में हमे परवाह नहीं।हम अपनी ड्यूटी करते हैं और हमारी ड्यूटी के निर्वहन करने के पीछे किसकी जिंदगी भर की कमाई छीन गई/ किसको कितने आंसू निकले, इन सब बातों की हमें परवाह नही होती... क्योंकि हम आदेश का पालन करने वाले कर्तव्यनिष्ठ मशीनी यंत्र हैं, हम बुलडोजर हैं!

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मैं मुंबई उपनगर में तैनात उस एरिया का बुलडोजर हूं जिसका इलाका 'के' वार्ड (जुहू) और 'एच' वेस्ट वार्ड (बांद्रा पॉलिहिल) के बीच मनपा का दमखम बनाए रखना है। इस एरिया में फिल्म वाले रहते हैं। हम जितने मजबूत हैं वो बेचारे उतने ही कमजोर होते हैं। मैं और मेरे ही दूसरे दोस्तों ने कई सितारों के घरों की दीवारों को रौंदा है। एक समय हमने  दिलीप कुमार के बंगले को छांटा था, सुनील दत्त के 'अजंता' और राजेंद्र कुमार के 'डिंपल' बंगले की दीवारों को नोचा था।

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शाहरुख खान के बंगले 'मन्नत' की दीवारें भी हमने काटी है। राजेश खन्ना के बंगले 'आशीर्वाद' की दीवार को छांटते समय हमें वापस हो जाने का आदेश मिला था। हमारे कटकटाते दांतों को जब वापस जबडों में जाना पड़ा था तब हमने महसूस किया था कि 'स्टार पावर' क्या होता है! इंसानी फितरती ताकत के सामने हम बुलडोजर की कोई औकात नही! उस समय तक फ्लॉप स्टार हो गए थे राजेश खन्ना, वावजूद इसके वह मनपा में बैठे मेरे आकाओं को कैसे पटा लिये थे, हमे नही मालूम...  आखिर, हम मशीनी औजार जो ठहरे! मशीन होकर भी हमें थोड़ा नागवार गुजरा था जब हमको आदेश दिया गया - सोनू सूद के होटल पर अपना दांत फैलाने के लिए। कोरोना की डरावनी लहर में उसने मुम्बई के प्रवासियों को घर भेजने में मदत जो किया था! और हमें हंसी आयी थी जब हमारे आकाओं ने मसखरे कपिल शर्मा का ऑफिस बिगाड़ने का आदेश हमें सौप दिया था।

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मैं ठहरा बुलडोजर! अब मैं बताउँग उस बंगले के बारे में जिसको देखने के लिए न सिर्फ आम आदमी लालायित रहता है बल्कि बॉलीवुड के बड़े से बड़े सितारे भी वैसे बंगले में रहने की इच्छा मन मे संजोते हैं। जीहां, मैं बात कर रहा हूँ मुम्बई के जुहू में स्थित बिग बी के बंगले 'प्रतीक्षा' की।वैसे तो अमिताभ के पास चार बंगलें हैं लेकिन हम तो ठहरे बुलडोजर! हम उसी की बात करेंगे जिसको तोड़ा जा है। 'प्रतीक्षा' की सिर्फ एक दीवार हमे छांटना है और हम पिछले 4 साल से कदमताल कर रहे हैं कि हमें कब आदेश मिले और हम पर्दे के सबसे बड़े 'डॉन' की 'दीवार' ढहा दें।निश्चय ही अमिताभ की यह दीवार सलीम जावेद की कलम की स्याही से सींचकर खड़ी हुई दीवार नही है बल्कि सीमेंट और रेत से खड़ी की गई यह दीवार तब खड़ी हुई थी जब अमिताभ हुआ करते थे- 'लम्बू' और उनकी पत्नी हुआ करती थी- सिर्फ 'जया भादुड़ी'।

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दोनो नई नई शादी करके अपनी अपनी आइडेंटिटी के साथ खार में एक किराए के घर मे रहते थे। पूना इंस्टिट्यूट से लौट कर मुम्बई (तब बम्बई) आयी तारिका भादुड़ी को बंगाली निर्देशक पसंद करते थे और जया अपने लंबुआ पति बच्चन की उनसे सिफारिश किया करती थी। उस समय राजेश खन्ना के साथ उनकी फिल्मों में काम करने वाले (जो भोजपुरी फिल्मों के सुपर स्टार भी थे) सुजीत कुमार अमिताभ के भी बड़े दोस्त थे। सुजीत अमिताभ को 'लंबुआ' ही बुलाते थे। तब किसी को भी नही पता था कि वही लंबुआ हिंदी सिनेमा का बहुत बड़ा स्टार बनकर चमकेगा। हां, मैं जो एक बुलडोजर हूं... वर्षो पहले हमे तब भी लंबुआ का घर बनाने के लिए एक झोपड़ा तोड़ने का आदेश मिला था। हमारा काम है तोड़ना।वर्षो पहले सबका घर तोड़नेवाले इस मशीनी हैवान ने बिग बी का घर बसाने के लिए एक डांसर लड़की के 'कुटीर' पर अपने दांत गाड़ा था। उस समय जुहू में बिल्डिंगों और बंगलों के बीच मे कई जगह कुटीर (झोपड़े) होते थे जैसे- जानकी कुटीर, कैफ़ी आज़मी कुटीर, पृथ्वी कुटीर (इनदिनों का पृथ्वी थियएटर)।ऐसा ही एक कुटीर वहां था- जहां आज 'प्रतीक्षा' खड़ा है।

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सुजीत कुमार को मालूम था कि खार मे जिस किराए के घर मे नव दम्पति बच्चन और भादुड़ी रहते थे, वहां बच्चे झांका करते थे। सुजीत कुमार ने कहा- 'अमिताभ मेरे बंगले से लगा हुआ एक कॉटेज है जिसमे एक लड़की रहती है-डांसर है। उसमें रहोगे?' अमिताभ हैरान! सुजीत ने कहा कि वो कॉटेज उनके बंगले से लगा हुआ है जिसका असली मालिक कोई पटेल हैं। पटेल अपना कॉटेज उनको बेंचना चाहते हैं। सुजीत ने अमिताभ से कहा- 'तुमलोग उसको खरीद लो।' जुहू में झोपड़ा लेना भी महंगा था। अमिताभ ने कहा- 'पैसे कहाँ हैं?' खैर, कुछ अमिताभ ने किया, कुछ जया ने किया, ले लेवाकर वह कॉटेज सुजीत कुमार ने अमिताभ को दिलवा ही दिया। पहली बार उस जगह (जहां प्रतीक्षा खड़ा है) पर बुलडोजर चला था- घर बनाने के लिए। जिस घर को नाम दिया गया 'प्रतीक्षा'। बाद में बाबूजी (हरिबंश राय बच्चन) वहां आगए रहने। उसके पहले वे इलाहाबाद से जाकर दिल्ली में रहते थे। पूरा परिवार मुम्बई रहने आगया। तब 'प्रतीक्षा' का पता बताने के लिए कहा जाता था 'सुजीत कुमार के बंगले के पीछे'। बादमे सुजीत कुमार अपने बंगले का पता बताने के लिए कहने लगे- 'प्रतीक्षा के बगल में'। फिर तो कईं बार प्रतीक्षा की छाती पर बुलडोजर चलाया गया उसको स्टाइलिश बनाने के लिए- जो आज का 'प्रतीक्षा' है।

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आज भी... 'प्रतीक्षा' को बुलडोजर आने की धुक धुकी लगी रहती है। 2017 से अबतक 4 बार बीएमसी के तोड़क दस्ते ने अमिताभ को नोटिस भेजा है।बंगले की दीवार  सड़क विस्तार में आरही है। प्रतीक्षा से लगी सड़क संत ज्ञानेश्वर रोड का विस्तार हो रहा है। हरे कृष्णा मंदिर की तरफ जानेवाली सड़क पर ट्रॉफिक जाम लगता है, वर्षात में वहां पानी भर जाता है।सड़क को 40 फिट से 60 फिट चौड़ी करने के रास्ते मे 'प्रतीक्षा' की दीवार आरही है। अगल बगल के सभी घर और चारदीवारें तोड़ी जा चुकी हैं मगर सुपर स्टार के बंगले की बाउंड्री को मनपा नही टच कर पा रही है। पिछले महीने से, मामला दो बार लोकायुक्त के पास स्वयमसेवी संस्थाएं ले गयी हैं। मनपा का सड़क विस्तार विभाग कभी कुछ बहाने देता है कभी कुछ। गत दिनों लोकायुक्त ने कहा है कि महानगरपालिका के लोग प्रतीक्षा ना तोड़ने के बहाने बेहद बचकाने दे रहे हैं और एक साल फिर उसको ना तोड़े जाने की वजह देना चाहते हैं।

मैं बुलडोजर हूं! जनता हूं कि मुझे 'प्रतीक्षा' तोड़ने के लिए तैयार रहना है। लेकिन, मैं इस बंगले के साथ अमिताभ बच्चन के सेंटिमेंट को भी जनता हूं और यह भी जनता हूं कि यह बंगला मुम्बई का छवि-द्वार है। सच कहूं तो प्रतीक्षा की दीवार ढहाने की चाहत मुझमें भी नहीं है।

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