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-शरद राय
स्वर कोकिला लाता मंगेशकर के पार्थिव शरीर की अस्थियों का भी विसर्जन हो गया।अबतो बस उनकी ही लाइन 'रहे ना रहे हम महका करेंगे...'' के शब्दों में हम उनके गाये हुए गीत सुनते हुए ही उनको याद कर सकते हैं। महाराष्ट्र के नासिक शहर में जैसे ही खबर लगी कि लता दीदी की अस्थियां विसर्जन के लिए लायी जा रही हैं, शहर से लगे गोदावरी नदी के रामकुंड पर उनके चाहने वालों का तांता लग गया।इसी स्थान पर दीदी की अस्थियां विसर्जित की गई। नासिक पुरोहित संघ ने घाट पर पूरी व्यवस्था कर रखा था। विसर्ज करने के लिए मुम्बई से लता मंगेशकर की छोटी बहन उषा मंगेशकर, भतीजे आदित्य मंगेशकर और परिवार के अन्य कई सदस्य पहुंचे थे।
रामकुंड घाटपर जब नासिक पुरोहित संघ की तरफ से जब पंडित सतीश शुक्ला और दूसरे पुरोहितों ने उषा मंगेशकर को अस्थियों को विसर्जित करने के लिए कहा, वह विलख पड़ी- 'यह मेरी बहन की नहीं, माँ की अस्थियां हैं!' उस पल आदित्य मंगेशकर सहित वहां उपस्थित सभी लोग भावद्रवित हो उठे थे। अस्थियों को लेकर उषा मंगेशकर और परिवार के लोग मुम्बई से फ्लाइट द्वारा नासिक एअरपोर्ट गए थे फिर रोड से वे लोग नर्मदा नदी के तट पर गए थे। शहर के कमिश्नर कैलाश जाधव और अस्थानीय नेता तथा लताजी के चाहने वाले बड़े गंभीर मन से दीदी के शरीर के आखिरी टुकड़ों को जाते हुए देख रहे थे। उसपल याद आरहे थे उनके हज़ारों गाए हुए गाने।कहीं पास में ही ऊंची आवाज में स्पीकर का वॉल्यूम था-'रहे ना रहे हम महका करेंगे...।'