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 विवेक मुशरान ने बेहतरीन कलाकारों और दमदार सहयोगी किरदारों के महत्‍व पर बात की

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 विवेक मुशरान ने बेहतरीन कलाकारों और दमदार सहयोगी किरदारों के महत्‍व पर बात की

नेटफ्लिक्‍स इंडिया के आगामी क्राइम ड्रामा थ्रिलर ‘माई’ के रोमांचक ट्रेलर ने दर्शकों को मंत्रमुग्‍ध कर दिया है। ‘माई’ में लोकप्रिय अभिनेत्री साक्षी तंवर ‘शील’ का मुख्‍य किरदार निभा रही हैं, जबकि बहुमुखी प्रतिभा के धनी अभिनेता विवेक मुशरान उनके पति ‘यशपाल चौधरी’ बने हैं।

‘माई’ में बड़ी ही खूबसूरती से दिखाया गया है कि अपने बच्‍चे की मौत के बाद एक कपल का दुख कितना अलग-अलग होता है। इसकी कहानी एक मध्‍यम-वर्गीय माँ ‘शील’ के इर्द-गिर्द है, जो अपनी बेटी की चौंकाने वाली और जघन्‍य हत्‍या के बाद अपने दुख को न्‍याय पाने का हथियार बनाती है। इस शो में विवेक मुशरान उस बेटी के उतने ही दुखी पिता का किरदार निभा रहे हैं, जो अपनी बेटी सुप्रिया की मौत के ग़म से अपना ध्‍यान हटाने के लिये अलग हटकर काम करने लगता है, वह अपनी पत्‍नी से बिल्‍कुल अलग है जो किसी भी कीमत पर अपनी बेटी की मौत का बदला लेना चाहती है।

विवेक का मानना है कि लेखकों और फिल्‍मकारों ने अब ऐसे कलाकारों को जन्‍म दिया है, जिन्‍हें ‘मुख्‍य’ किरदार तो नहीं कहा जाएगा, लेकिन वे अपने बेजोड़ परफॉर्मेंस से सीरीज में चार-चांद लगा देंगे। जैसे ‘गुंजन सक्‍सेना’ में पंकज त्रिपाठी, ‘द फेम गेम’ में मानव कौल या ‘पगलैट’ में आशुतोष राणा।

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इस पर रोशनी डालते हुए, अभिनेता विवेक मुशरान ने कहा, “ओटीटी ने खेल को बदल दिया है। इसने कलाकारों के लिये ऐसे रास्‍ते खोले हैं, जो पहले कभी नहीं थे। अब निर्देशक और पटकथा लेखक कहानी को केवल मुख्‍य कलाकारों के इर्द-गिर्द नहीं रखते हैं, बल्कि उनकी दुनिया और कथानक  बनाने की प्रक्रिया में एक दमदार परिदृश्‍य तैयार करने के लिये सहयोगी किरदारों का इस्‍तेमाल भी करते हैं। मैं सोचता हूँ कि इसका श्रेय दर्शकों को भी दिया जाना चाहिये, क्‍योंकि वे परफॉर्मेंस की बारीकी को पसंद करते हैं और इसलिये हमारे फिल्‍मकार भी सभी कलाकारों के लिये मजबूत और अच्‍छी तरह से उकेरे हुए भाग लिख रहे हैं, क्‍योंकि जैसा कि हम सभी जानते हैं, कहानियाँ खुद आगे नहीं बढ़ती हैं, बल्कि किरदार उन्‍हें आगे बढ़ाते हैं।”

उनकी भूमिका कैसे इस कहानी का वजन बढ़ाती है, इस पर विवेक मुशरान ने कहा, “सतही तौर पर ‘यश’ एक दुखी पिता है, जो अपनी बेटी के खो जाने के शोक में डूबा है, लेकिन कहानी आगे बढ़ने के साथ ऐसा लगता है कि उसकी परेशानियाँ और उसकी शख्सियत की बारीकियाँ असल में कहानी के थीम की अचेतन शक्ति को बढ़ा देती हैं।”

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सहयोगी भूमिकाएं किस तरह कहानी को बदल रही हैं,यह जानने के लिए देखिये माईमें विवेक मुशरान को,15 अप्रैल को सिर्फ नेटफ्लिक्‍स पर

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