/mayapuri/media/media_files/2025/08/29/birthday-special-leena-chandavarkar-2025-08-29-18-27-44.jpeg)
Birthday Anniversary Leena Chandavarkar: लीना चंदावरकर का विवाह हो गया. वह अपने पिता का घर छोड़कर अपने पति के घर चली गईं. कुछ दिन पहले ही, जब उनकी सगाई की सालगिरह थी, तो लोगों ने पूछा, "अब शादी कब करोगी?" लीना ने मुस्कुराते हुए कहा, "जब समय आएगा." शायद वे शुभ घड़ी का इंतज़ार कर रहे थे. वह शुभ घड़ी (Leena Chandavarkar Man Ka Meet) सोमवार, 8 दिसंबर को शाम पौने छह बजे आ गई.
शहनाई की मधुर ध्वनि के बीच, लीना चंदावरकर और सिद्धार्थ ने ऋग्वेदीय पंडित दिनकर भट्ट द्वारा रचित 'आश्वलायन गृहहाय सूत्र' (Leena Chandavarkar popular 1970s films) के शुभ पाठ के साथ एक-दूसरे के गले में वरमाला डाली. वे हमेशा के लिए जीवनसाथी बन गए.
Leena Chandavarkar Songs...
यह विवाह वैदिक रीति-रिवाज से तेजपाल हॉल में सम्पन्न हुआ. कई रस्में निभाई गईं जो सुबह 9 बजे से ही शुरू हो गईं. मैं ठीक 9 बजे मायापुरी के फोटोग्राफर सुरेश जेठवा के साथ केले के पत्तों और फूलों से सजे हॉल में पहुँच गया. शहनाई बज रही थी. धूपबत्ती की खुशबू से हॉल महक रहा था. लीना के दूल्हे सिद्धार्थ को लाने की पूरी तैयारी हो चुकी थी. एक थाली में नारियल, पान, चावल, कुमकुम, केसर आदि था. एक बड़ी थाली में बेसन, काजू और मूंग के लड्डू थे. एक और थाली में सजी हुई झालरें थीं. लीना के मामा, मामी, उनके भाई अनिल, उनकी भाभी और निर्माता गुलु कोचर उन थालियों के साथ नीचे उतरे और फूलों से सजी एक बड़ी आलीशान कार में बैठ गए. हमारे साथ और भी कई फोटोग्राफर थे.
सिद्धार्थ और उनका परिवार विवाह मंडप से थोड़ी ही दूरी पर नारायण दाभोलकर रोड स्थित अकबर में रुके थे. सबसे पहले, लीना की भाभी ने दूल्हे का तिलक किया और उसके हाथ में नारियल देकर शुकुन संस्कार किया. (Leena Chandavarkar Kishore Kumar marriage) चाचा ने उसे मिठाई खिलाई, भाभी ने इत्र लगाया और फिर महिलाओं को मालाएँ दीं. भाई ने दूल्हे को इत्र लगाया और गले लगाया.
जैसे ही यह 'शुकुन संस्कार' पूरा हुआ, सभी लोग नीचे उतरे और फूलों से सजी गाड़ियों में बैठकर मंडप की ओर चल पड़े. गाड़ियों के पीछे एक पुलिस जीप थी. (Leena Chandavarkar debut film details) गाड़ियों का काफिला धीरे-धीरे और शान से आगे बढ़ रहा था, फूलों की खुशबू बिखेर रहा था. इसे देखने के लिए सड़कों पर काफी लोग जमा हो गए थे.
बारातियों का मंडप में पहुँचते ही प्रेमपूर्वक स्वागत किया गया. लीना के पिता ने दूल्हे पर पान के पत्तों का जल छिड़का. तिलक किया, गाँधी टोपी पहनाई और गले लगाया. भाभी ने दूल्हे के पैर धोए और उसके हाथ में नारियल दिया. लीना की माँ ने दूल्हे की प्रेम शक्ति की पूजा की. पूजा समाप्त होने के बाद, (Leena Chandavarkar filmography list) लीना की भाभी ने दूल्हे की आरती उतारी. इस शुभ पूजा के बाद, सभी मंडप की ओर चल पड़े.
जैसे ही लीना के दूल्हे ने अपनी बड़ी बहन (गोवा की मुख्यमंत्री) शशिकला बंदोदकर और अपनी दो अन्य बहनों उषा बंदोदकर और ज्योति बंदोदकर के साथ मंडप में प्रवेश किया, शहनाई की ध्वनि शुरू हो गई.
मण्डप के प्रवेश द्वार के पास हरे पत्तों से विवाह मंडप सजाया गया था (Leena Chandavarkar Hindi actress Dharwad). वंशी से सुसज्जित मंडप धूपबत्ती की खुशबू से महक रहा था. ऐसा लग रहा था मानो किसी ऋषि की पूजा की सामग्री सजाई गई हो और पंडित जी वहां बैठकर मंत्रोच्चार कर रहे हों.
सिद्धार्थ मंडप में सबसे पहले बैठे. लीना के माता-पिता ने पंडित जी के मंत्रोच्चार के साथ दूल्हे का पूजन किया, उस पर जल छिड़का, तिलक लगाया और पूजन के बाद लीना के पिता ने उसे एक चमकदार हीरे की अंगूठी पहनाई.
दूल्हे के पूजन के बाद, दुल्हन का पूजन संपन्न हुआ. जब लीना के चाचा उसका हाथ थामे उसे मंडप में लाए, तो ऐसा लगा जैसे कोई दिव्य कन्या मंडप में लाई जा रही हो. चमचमाते आभूषणों से सजी, शर्मीली, भावनाओं में डूबी, सपनों में खोई, लीना का आज का सौंदर्य ऐसा था जैसा अब तक परदे पर नहीं देखा गया. गोवा और महाराष्ट्रीयन परिधानों में, वह लीना एक अलग ही लीना लग रही थी. गले में बिजली की तरह चमकता हुआ हार, लटकते मोतियों का हार, (Leena Chandavarkar interviews life story) माथे पर माला, हाथों में कंगन, झुमके... और फिर हाथों में एक नारियल. आज लीना के सौन्दर्य में अनेक दिव्य कन्याओं का सौन्दर्य एक साथ चमक रहा था. जैसे ही वह मंडप में बैठी, शहनाई की ध्वनि और भी मधुर हो गई.
और फिर - सिद्धार्थ की बड़ी बहन शशिकला बंदोदकर, पूरी महाराष्ट्रीयन पोशाक पहने और नाक में नथ पहने, पूजा की थाली लेकर मंडप में आईं. गुलाबी मुस्कान के साथ, उन्होंने दुल्हन लीना को तिलक लगाया, माथे पर गजरा लगाया, माथे पर हरी कांच की चूड़ियाँ पहनाईं, काजल की बिंदी लगाई, लाल साड़ी दी - और कुछ गहने भेंट किए. इसी तरह, सिद्धार्थ की बाकी दोनों बहनों ने भी लीना की विराधवत पूजा की.
पूजा समाप्त होने के बाद, दूल्हा-दुल्हन ने थोड़ा आराम किया. मेहमानों के लिए नाश्ता परोसा गया. (लीना चंदावरकर, 70 के दशक की बॉलीवुड स्टार्स) लीना अपने सहबाला के साथ विवाह मंडप में आई. सबसे पहले दूल्हे के परिवार ने उसका स्वागत किया. बाद में, सिद्धार्थ की बहनों ने 'गृहस्थ सूत्र' में वर्णित रीति-रिवाजों के अनुसार लीना का पूजन किया. उन्होंने उसके माथे पर चावल के दाने रखे, फिर तिलक लगाया और उसे घर की चक्की पर काले चने पीसने को कहा. उन्होंने बार-बार पान के पत्तों से जल छिड़का. उन्होंने आरती उतारी. उन्होंने उसे एक साड़ी और एक कंघी भेंट की. उन्होंने उसके मुँह में दही रखा.
दुल्हन की प्रारंभिक रस्में पूरी होने के बाद, सिद्धार्थ अपने साथी के साथ धोती-कुर्ता और पगड़ी पहने मंडप में आए. सबसे पहले उन्होंने अपनी माँ के चरण छुए, फिर अपनी बहनों के चरण छुए और अपने दिवंगत पिता को प्रणाम करके मंडप में विराजमान हो गए. एक बार फिर शहनाई बजी. इस बार दुल्हन के परिवार ने दूल्हे का विधिवत पूजन किया. उन्होंने आम के पत्तों से जल छिड़का. उनके मुँह में दही रखा और उनकी आरती उतारी. इस आरती में लीना के माता-पिता, भाई, मामा-मामी और रिश्तेदार सभी उपस्थित थे.
इस प्रकार वर-वधू के बीच आपसी संबंधों की रस्म पूरी हुई-
और बाद में, वर-वधू को मंडप में लाया गया. एक कोने में लीना अपने परिवार के साथ बैठी थी, और दूसरी तरफ सिद्धार्थ अपने परिवार के साथ. मंडप में प्रवेश करते ही वर-वधू ने आँखों की कोरों से एक-दूसरे को देखा - जी भरकर देखा - और फिर दोनों आत्मलीन हो गए. दोनों के हाव-भाव से ऐसा लग रहा था मानो मिलन की सुगन्धित आकांक्षाएँ उनमें उमड़ रही हों. लीना की आँखों में मानो सुहाग की लालिमा का सागर उमड़ पड़ा हो. इस बार वर पक्ष के पंडित और वधू पक्ष के पंडित, दोनों ही ज़ोर-ज़ोर से मंत्रोच्चार कर रहे थे. दोनों पक्षों की ओर से उचित संकल्प लिए गए - और साथ ही वर-वधू ने जीवन-पर्यन्त एक-दूसरे के साथ बंधने का संकल्प लिया. शास्त्रों के अनुसार यह विवाह का प्रथम अध्याय था.
उसके बाद दोपहर का भोजन हुआ - और दोपहर के भोजन के बाद आराम.
लेकिन ठीक पाँच बजे, शहनाई के साथ पुलिस बैंड की धुन गूंजी और हॉल में एक नई ताजगी का एहसास हुआ. इस बीच, मंडप का रूप बदल चुका था. जो मंडप पहले हरे पत्तों से सजा था, अब फूलों से महक रहा था. रंग-बिरंगे फूल-फल और मालाओं के बीच टिमटिमाती छोटी-छोटी लाल-पीली बिजली की बत्तियाँ एक नया माहौल बना रही थीं. पृष्ठभूमि में फूलों से बने गणेशजी स्थापित थे, जिनकी सुंदरता बिल्कुल अलग थी. दूल्हा-दुल्हन को एक बार फिर मंडप में लाया गया. इस बार उनके परिधान भी बदल गए थे. दोनों पक्षों के पंडितों ने मंत्रोच्चार किया और मंत्रोच्चार के बीच दोनों के गले में सूत के धागे लपेटे गए. यह दोनों के पवित्र बंधन का प्रतीक था.
इस पवित्र बंधन के बाद दोनों खड़े हो गए. एक तरफ सिद्धार्थ फूलों की माला लिए खड़े थे, तो दूसरी तरफ लीना चंदावरकर स्वयंवर के लिए अपने प्रेम से महकते फूलों का एक बड़ा सा हॉल लिए खड़ी थीं. दोनों के बीच एक पतला सा सफ़ेद पर्दा था. सब खड़े थे. शहनाई बज रही थी, बैंड की आवाज़ तेज़ हो गई थी. पंडितों के मंत्रोच्चार ने भी ज़ोर पकड़ लिया था. हॉल में सभी मेहमान हाथ में चावल के दाने लिए खड़े थे, इसी बीच पंडित की नज़र घड़ी पर पड़ी. पौने छह बज रहे थे - तभी - पंडित ने आखिरी श्लोक के उच्चारण के साथ पर्दा हटाया - और पलक झपकते ही दूल्हा-दुल्हन ने एक-दूसरे के गले में वरमाला डाल दी. हॉल तालियों से गूंज उठा, लोगों ने चावल के दाने बरसाए - और खुशी के माहौल के बीच लीना और सिद्धार्थ एक दूजे के हो गए - हमेशा के लिए...
लेकिन लीना के पिता, माता, भाई और सभी रिश्तेदार बेहद भावुक थे. लीना की आँखें अपने पिता के प्यार के आँसुओं से भर आईं. लीना के पिता खुद को रोक नहीं पाए और दौड़कर लीना को गले लगा लिया.
लीना बाबुल के घर से विदा...
और इस शादी के बाद, अगले दिन शाम को ओबेरॉय होटल में दूल्हा-दुल्हन का स्वागत समारोह हुआ, जो आधी रात तक चला. कई फिल्मी हस्तियाँ दूल्हा-दुल्हन को बधाई देने पहुँचीं, जिनमें दिलीप कुमार, सायरा, हेमा, आत्मा राम, रवि टंडन, सुनील दत्त, नरगिस, सुल्तान अहमद, मुशीर-रियाज़, मुकरी, फ़रीदा जलाल, बिंदु आदि प्रमुख थे. इनसे पहले भी कई कलाकार लीना के घर बधाई देने जा चुके थे. इसी हफ़्ते दूल्हा-दुल्हन मधुरात्रि मनाने गोवा गए थे. लीना ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि वह शादी के बाद फिल्मों में काम करेंगी या नहीं.
FAQ
लीना चंदावरकर के बारे में ताज़ा खबर क्या है?
हाल ही में टाइम्स ऑफ इंडिया के एक लेख में उनका ज़िक्र किया गया था जिसका शीर्षक था, "लीना चंदावरकर की प्रेम और क्षति की कहानी; 37 साल की उम्र में दो बार विधवा" - यह त्रासदी के बीच उनके जीवन की मजबूती और विनोद खन्ना के साथ माँ का मीत (1968) में उनकी पहली फिल्म पर एक नज़र थी।
क्या लीना चंदावरकर अब भी मनोरंजन जगत में सक्रिय हैं?
हालाँकि 1980 के दशक के बाद उन्होंने फिल्मों से दूरी बना ली थी, लेकिन अब वह कभी-कभार रियलिटी टीवी पर दिखाई देती हैं और कार्यक्रमों में उद्योग से जुड़ी रहती हैं।
आज मीडिया में लीना चंदावरकर को कैसे याद किया जाता है?
उन्हें 60 के दशक के अंत और 70 के दशक की शुरुआत की एक खूबसूरत पूर्व नायिका के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने व्यक्तिगत त्रासदी को पार किया और लोकप्रिय संस्कृति में अपनी विरासत को बरकरार रखा। यह हालिया लेख इस बात को पुष्ट करता है।
लीना चंदावरकर की उम्र अब कितनी है और उनका जन्मदिन कब है?
29 अगस्त, 1950 को जन्मी लीना चंदावरकर हाल ही में 75 वर्ष की हुईं।
क्या लीना चंदावरकर सोशल मीडिया या सार्वजनिक कार्यक्रमों में सक्रिय हैं?
साक्षात्कारों और रियल्टी शो में उनके कैमियो से पता चलता है कि वह दुर्लभ लेकिन उल्लेखनीय सार्वजनिक उपस्थितियाँ देती हैं, हालाँकि वह एक निजी और लो-प्रोफाइल जीवन जीती हैं।
Read More
Nagarjuna Akkineni Birthday: साउथ सिनेमा का सितारा, आलीशान लाइफस्टाइल और अरबों की संपत्ति
Tags : leena chandavarkar birthday | leena chandavarkar story | leena chandavarkar wedding