'बाहुबली' फेम निर्देशक एसएस राजामौली की सभी फ़िल्मों का दुनिया भर के दर्शक बेसब्री से इंतजार क्यों करते हैं? इस प्रश्न का उत्तर देते हुए हुए खुद राजामौली सर ने बताया, 'दरअसल मैं अपनी प्रत्येक फ़िल्मों में इमोशन को प्राथमिकता देता हूं, सभी निर्देशकों का अलग अलग अपना अपना स्टाइल होता है, कोई अपनी फ़िल्मों को एक्शन प्रधान बनाता है तो कोई डांस म्युजिक प्रधान, लेकिन मैं अपनी फ़िल्मों को भावना प्रधान बनाने पर जोर देता हूं, और मेरा फोकस रहता है कि मैं अपनी फ़िल्मों के द्वारा किस तरह मैक्सिमम दर्शकों तक पहुंच पाऊँ। ऐसे में मेरी कहानी जितना स्ट्रॉन्ग इमोशंस को व्यक्त करेगा मेरे दर्शक उतने ही मेरी फ़िल्मों की कहानी के साथ जुड़ते है। इमोशन से अलग मुझे कुछ समझ में नहीं आता है, मुझे जब सिनेमा के ग्लोबल मार्केट के डायनामिक बदलाव के संबंध में पूछा जाता है तो उसका ज़वाब मेरे पास एक ही होता है, मुझे मालूम नहीं।'
जब राजामौली जी से पूछा गया कि वे ज्यादातर बड़े बजट की फ़िल्में ही क्यों बनाते हैं और वे कब कोई छोटे बजट की रियलिस्टिक फिल्म बनाने वाले हैं? तो इसपर वे बोले, 'लोग मुझसे अक्सर पूछते हैं कि मैं कश्मीर फाइल्स की तरह देशभक्ति की फिल्म कब बनाऊँगा, कब मैं कोई रियलिस्टिक फिल्म बनाऊँगा लेकिन इसका मैं कोई कैलकुलेटिव जवाब नहीं दे सकता क्योंकि मैं कोई भी फिल्म कैलकुलेट करके नहीं बनाता, ऐसा नहीं कि अचानक एक दिन बोल दूँ कि चलो एक बड़ा फिल्म बनाते हैं, या चलो छोटे बजट की फिल्म बनाते हैं, मुझे जब कोई कहानी पसंद आती है और जो मेरे इमोशन को छू लेती है और मुझे लगता है कि यह कहानी दर्शकों के दिल को छू सकती है तो मैं उसपर फिल्म बनाना शुरू करता हूं, प्रत्येक फिल्म मेकर का अलग अलग सोच और तरीका है।'
राजामौली जी से जब हमने पूछा कि आलिया जैसी दिग्गज अभिनेत्री को उनकी फिल्म में छोटा सा रोल क्यों दिया गया? तो इस पर वे बोले, 'कहानी के हिसाब से सीता का कैरेक्टर भले ही छोटा हो लेंथ वाइस, लेकिन वो बहुत इंपोर्टेन्ट भूमिका है, दरअसल दो हीरोज ( जूनियर एनटीआर तथा राम चरण ) की स्ट्रॉन्ग भूमिका (आग और पानी जैसे ) में मुझे एक कमसिन, नाज़ुक मासूम सी नायिका चाहिए थी, जिसकी खामोशी भी शक्तिशाली हो, मुझे पूरा विश्वास था कि साइलेंट स्ट्रेंथ और आँखों से इमोशन जाहिर करने में आलिया से बेहतर कोई और हो ही नहीं सकती। आलिया बेहद खूबसूरत, मासूम, नाज़ुक लेकिन स्ट्रॉन्ग इमोशन जाहिर करने वाली अभिनेत्री है और जब आप फिल्म देखेंगी तो आपको पता चलेगा कि आलिया की भूमिका इस फिल्म में क्या अहमियत रखती है।'
राजामौली जी से पूछा गया कि आपको साउथ के दो दिग्गज नायकों के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा तो वे बोले, 'वे दोनों बहुत अच्छे कलाकार है, बिल्कुल मेरे मन माफिक काम किया दोनों ने, बस इतना बोल सकता हूँ कि वे दोनों बड़े मस्ती करने वाले नटखट युवक है और उन्हें सेट पर कंट्रोल करने का काम मेरे लिए सबसे चैलेंजिन्ग काम था।'
इतना सुनते ही पास बैठे दोनों हीरो जोर से हंस पड़े और एनटीआर जूनियर ने अपनी शिकायत भी जाहिर करते हुए कहा,'और मेरे लिए सबसे चैलेंजिन्ग था अपने ऐक्टिंग से राजामौली जी को खुश करना, वे आसानी से हमारी ऐक्टिंग से संतुष्ट ही नहीं होते। दूसरे कई निर्देशक हैं जो हमारे 99% मेहनत से खुश हो जाते हैं और संतुष्ट भी लेकिन राजा मौली जी को सौ प्रतिशत कुशलता चाहिए हमारे काम मे, वर्ना वे संतुष्ट ही नहीं होते.'
यह सुनकर राम चरण ने भी जूनियर एनटीआर का साथ देते हुए कहा,' एकदम सही कहा। ' बातें खत्म हो गई तो हंसते हुए सबने फिल्म के नाचो नाचो डांस पर खूब हुक स्टेप्स के जलवे बिखेरे।