संजय लीला भंसाली की फिल्म गंगुबाई काठियावाडी की गंगा ऊर्फ गंगूबाई उर्फ गंगा मां कौन है! By Mayapuri Desk 25 Feb 2022 in गपशप New Update Follow Us शेयर के.रवि (दादा) मुंबई शहर के अंडरवल्ड पर या मुंबई शहर पर ही क्यो ना हो आज तक कई तरह किं फिल्मे , मालिकाए बनी हैं ,और भी सालो तक बनती रहेगी। क्यों की दुनियां में मशहूर यह शहर किसी ना किसी मशहूर किस्से कहानियों से फिल्मी दुनियां का पेट भरता आया है। जिनमें कुछ मशहूर कहानियां सभी प्रकार के मशहूर शक्शीयतो पर होती है। आज से कुछ साल पहले डॉन हाजी मस्तान मिर्जा पर अजय देवगन को लेकर और एक अक्षय कुमार को लेकर फिल्म बनी थीं। मस्तान बावा को जानने वालों के अनुसार और मस्तान का मुंहबोला बेटा सुंदर ने भी उस फिल्म पर कड़ी आपत्ति जताई थी। और अब आलिया भट्ट अभिनीत फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ विवादों से घिरी थी। मशहूर फिल्म मेकर संजय लीला भंसाली की इस फिल्म पर गंगूबाई के परिवार ने उनके किरदार को लेकर कड़ी आपत्ति दर्ज जताई थी और इस फिल्म को लेकर कई सवाल खड़े किए थे। गंगूबाई के परिवार ने संजय लीला भंसाली की इस फिल्म पर आरोप लगाया था कि उन्होंने फिल्म में सही तथ्यों से छेड़छाड़ की है। फिल्म में गलत तथ्य दिखाए गए हैं। गंगूबाई के बेटे के मुताबिक कि उनकी मां एक समाजसेविका थीं, लेकिन फिल्म के अंदर उन्हें एक वारांगना के तौर पर दिखाया गया है। इस दौरान गंगूबाई की फैमिली ने ये भी कहा था कि संजय लीला भंसाली की इस फिल्म के बनने को लेकर उनसे किसीने कोई इजाजत नहीं ली थी । साथ ही इस पर भी आपत्ति लि जा चुकी है की जब गंगूबाई पर पत्रकार जैदी ने किताब लिखी थी , उस वक्त भी इस परिवार की इजाजत नहीं ली गई। दरअसल, गंगूबाई के परिवार में उनकेमुंह बोले बेटे बाबू रावजी शाह और उनकी पोती भारती इस फिल्म को लेकर बेहद नाराज हैं। पिछले साल, बाबू रावजी शाह ने इस मामले को लेकर अदालत का दरवाज़ा भी खटखटाया था। फिल्म के खिलाफ उन्होंने याचिका दायर की थी। इसके बाद संजय लीला भंसाली और आलिया भट्ट को मुंबई की एक अदालत ने तलब भी किया था। हालांकि बाद में मुंबई हाईकोर्ट ने गंगूबाई काठियावाड़ी के प्रदर्शन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और फिल्म के निर्माताओं के खिलाफ आपराधिक मानहानि की कार्यवाही पर भी अंतरिम रोक लगा दी। अदालत के इस फैसले को लेकर फिल्म के प्रोडक्शन वाले काफ़ी प्रसन्नित हुए होंगे। आखिर कौन हैं गंगूबाई काठियावाड़ी। वैसे गंगूबाई का जन्म 1939 में हुआ। असली नाम था गंगा हरजीवनदास और वो गुजरात के काठीवाड़ के एक संपन्न घराने में पैदा हुई। उनके पिता उनको पढ़ना लिखाना चाहते थे पर वो अभिनेत्री बनाना चाहती थी। वो हेमा मालिनी और आशा पारेख अभिनेत्रियों को पसंद करती थी,और उनकी तरह बॉलीवुड में नाम कमाना चाहती थी, और लगातार उनके ही सपने देखती थी। एक रमणीक लाल नाम का लकड़ा उनके पिता के यहाँ अकाउंटेंट का काम करने आता था और वो पहले मुंबई में रहता था। इसलिए गंगा ने उसके साथ दोस्ती कर ली और दोस्ती कब प्यार में बदल गयी उसको पता ही नहीं चला। घरवालें इस रिश्ते से नाराज़ थे, इसलिए 16 साल की गंगा रमणीक के साथ शादी करके मुंबई भाग गई, जो उसके सपनों का शहर था। कुछ दिनों बाद रमणीक ने धोका दिया। उसने गंगा से कहा के कुछ दिनों के लिए वो उसके मौसी के घर पर रहे और गंगा उनके साथ चली गयी, पर वो रमणीक की मौसी नहीं बल्कि एक दलाल थी, जिसे महज 500/- रुपये के लिए रमणीक ने गंगा को बेचा था। और गंगा मुंबई के सबसे बड़े वेश्यालय ‘कामाठीपुरा’ में पहुंच गयी। गंगा ने वहा बहुत विरोध किया, वो रोई चिल्लाई, पर उसे सुननेवाला वहाँ कोई नहीं था। उसकी जिंदगी अब नरक बन गयी थी। उसने परिस्थिति स्वीकार कर ली। और गंगा हरजीवनदास ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ बन गयी। और वो वही पे रहने लगी। फिर एक दिन शौकत खान नाम पठान आया, लेकिन उसने गंगू से बहुत बुरा बर्ताव किया और बिना पैसे दिए ही वो चला गया। दूसरी बार भी वो आया और फिर से उसने गंगूबाई को मारा पीटा और इस बार तो गंगूबाई को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। गंगूबाई ने भी फिर बदला लेने की ठान ली। गंगूबाई ने उसकी पूरी जानकारी निकाली, तब उसे पता चला के वो डॉन करीम लाला की गैंग का आदमी है। उसके बाद गंगू सीधा करीम लाला से मिलने पहुंच गयी और उसको सब आप बीती बताई, और उनको राखी बांध के भाई बनाया। कुछ दिन बाद फिरसे शौकत खान गंगूबाई के कोठे पर पंहुचा, अब गंगूबाई ने करीम लाला को खबर पहुंचाई। करीम लाला ने वहां आकर सबके सामने उसको खूब मारा और इतना पीटा के वो अर्धमरा हो गया। करीमलाला ने सबको धमकी दी कि अगर किसी ने गंगूबाई को हाथ लगाने की कोशिश की तो उसका अंजाम बुरा होगा। करीम लाला ने गंगूबाई को इंसाफ दिलाया। करीम लाला की मानी हुई बहन होने के कारण कामाठीपुरा की कमान गंगूबाई के हाथ में आ गई। गंगूबाई का आजु बाजु में रहने वाले इलाकों में भी दबदबा था। उन्होंने कभी किसी लड़की को उसकी मर्जी के ख़िलाफ़ कामाठीपुरा में नहीं रखा, किसी लड़की को जाना होता तो उनको वे जाने देती थी। वहा की सब लड़कियों का मेडिकल चेकअप करवाती थी, उनकी सेहत का ध्यान रखती थी। वृद्ध महिलाओं को ख़र्चे के लिए पेंशन देती थी। उनके इसी अच्छे काम के कारण सब लोग उन्हें मानते थे। कोई बड़े से बड़ा माफिया और डॉन उनकी मर्जी के बिना कामाठीपुरा में कदम नहीं रख सकता था। गंगूबाई ने सेक्स वर्कर्स के अधिकारों के लिए और अनाथ बच्चों के लिए बहुत अच्छा काम किया। उन्होंने कई बच्चो को गोद लिया और उनके शिक्षा और परवरिश की पूरी जिम्मेदारी भी ली। वहाँ के बच्चों और लड़कियों के लिए वो ‘गंगूमाँ’ बन गयी थी। सेक्स वर्कर्स के अधिकारों के लिए उन्होंने जी जान लड़ाई थी। साल 2008 में उनकी मृत्यु एक साधारण व्यक्ति की तरह ही हुई थी। पर जब मृत्यु हुई तब भारत के सब कोठों पर मातम छाया हुआ था। गंगा से लेके गंगूबाई फिर मुंबई की माफिया क्वीन बनने की असली कहानी। तो दूसरी और एक रिपोर्ट के मुताबिक, फिल्म के ट्रेलर में 'चाइना' शब्द के इस्तेमाल के खिलाफ एक याचिका दायर की गई है, जहां गंगूबाई एक दांत के डॉक्टर के पास जाती है और कहती है, आप पूरा चाइना मुंह में घुसाओगे क्या? संजय लीला भंसाली की कोई भी फिल्म हो और उसका नाता विवादों से न जुड़े शायद ऐसा अब तो संभव नहीं है। इसकी एक मजबूत वजह भी है कि वो उसी तरह के कंटेंट का चुनाव भी आजकल अपनी फिल्मों के लिए कर रहे हैं, जिसका पहले ही विवादों से नाता रहा है। #Gangubai Kathiawadi हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article