-शरद राय
पर्दे की पॉपुलर क...क... किरण जूही चावला जो कभी अपने तरह की अकेली स्टार थी और आज भी उनका अलग अंदाज है, पिछले दिनों अपने एक सोशल मुकदमे को लेकर परेशान थी। अब अदालत से उनको सहूलियत मिली है और उस मामले को लेकर वह फिर मुस्करा पाई हैं।जो लोग बॉलीवुड की छोटी छोटी खबरों में भी रुचि रखते हैं उनको पता होगा कि जूही चावला 5G के इंटरनेट जाल में खुद जाकर उलझ गई थी।दूसरों को रेडिएशन से बचाने की गुहार करनेवाली इस अभिनेत्री को का दंड लगा है 2 लाख रुपए।
है ना हैरान करने जैसी खबर! लेकिन सच खबर के अंदर है और इसका फैसला तय हुआ है अदालत से, जिसे जूही ने भी माना है। पूरा माजरा एक साल पहले का है जब देश मे 4G के बाद 5G के आने की चर्चा शुरू हुई थी। अफवाह फैलनी शुरू हुई थी की 5G का रेडिएशन खतरनाक है।इसका असर मनुष्यों के अलावा पेड़ पौधे, वनस्पति, जीव जंतुओं पर भी घातक असर देगा। पर्यावरण प्रेमी जूही ने भी इस विरोध को सही माना। कहने वाले तो यहां तक अफवाह फैला दिए थे कि कोविड की एक वजह भी दुनिया भर के देशों में 5G के होने का असर है। भारत मे तब 5G टेस्टिंग की प्रक्रिया शुरुवात लेने की चर्चा में ही थी। जूही चावला ने भी इस बात पर यकीन कर लिया और उन्होंने अपने वकील के माध्यम से मामला कोर्ट में पहुचा दिया।
किसी विकास की प्रक्रिया को अफवाहों के चलते रोका जाना एक अपराध है, जूही यह नहीं जानती थी। हालांकि जूही कहती हैं कि वह सिर्फ यह चाहती थी कि हकीकत क्या है लोग जान सकें।सच पता चलना चाहिए। तब उनके आरोप में यह भी था कि उनके पास अपनी बात के सबूत हैं। लेकिन वैसा कुछ था नही। किसी का विरोध दर्ज कराया जाना कोई तकनीकी कारण नही माना जा सकता। अदालत ने तथ्यों का पता करने पर जूही के आरोपों को निराधार पाया। वादी प्रतिवादी वकीलों के द्वारा की गई जिरह में बात जूही के खिलाफ गई। कहा गया कि यह सब स्टार ने पब्लिसिटी हासिल करने के लिए किया था।गत 4 जून 2021 को अदालत ने फैसला देते कहा था कि इसे कानून का 'दुरुपयोग करते हुए प्रचार पाने का कार्य' किया गया माना जाता है। अदालत ने जूही चावला पर इस हरकत के लिए 20 लाख रुपए की पेनाल्टी लगा दिया था। इस फैसले के खिलाफ,इसको निरस्त किए जाने के लिए जूही दिल्ली हाई कोर्ट गयी।
इसी 25 जनवरी को दिल्ली उच्च न्यायालय में माननीय वकील कपिल सिब्बल जी जूही के लिए पेश हुए। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ख्दाई पीठ ने पिछले एकल जज के फैसले पर कोई टिप्पड़ी न करते हुए पेनाल्टी की रकम को कम किया कुछ शर्तों के साथ। पेनाल्टी जो 20 लाख थी, उसे 2 लाख किया यह कहते हुए की जूही चावला एक सेलेब्रिटी हैं, उनका समाज में नाम है। उनको कुछ सामाजिक कार्य करना होगा। वकील कपिल सिब्बल ने समय लिया जूही से अनुमति लेने के लिए, फिर जूही की स्वीकृति पाकर सिब्बल ने माननीय जजों को जूही की सहर्ष स्वीकृति की जानकारी दिया। और, इस तरह जूही चावला 5G की रेडिएशन की चपत से अपने को बाहर निकाल पाई।
बेशक यह एक संदेश है उन सभी के लिए जो बिना सोचे समझे और बिना तथ्य की तहकीकात किए किसी भी मसले में कूद पड़ते हैं। जूही की नियति साफ थी। उनकी याचिका का मतलब जैसा वह अब कह रही हैं-'में तो सिर्फ यह चाहती थी कि लोग खबरें जो चल रही थी, उसमें सच क्या है, इसको जान सकें।'' पर खबरों के पीछे की खबर भी जानना उतना ही ज़रूरी होता है कि कहीं इससे कोई विकास कार्य तो अवरोधित नही हो रहा है? देश का नुकशान तो नही हो रहा, साम्प्रदायिक सौहार्द्य तो नही बिगड़ रहा ? जूही चावला के इस केस से लोगों को सबक लेना चाहिए।