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हिंदी भाषा को लेकर नार्थ साउथ की फिल्मों के बीच हिंदी-गैर हिंदी का युद्ध क्यों?

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हिंदी भाषा को लेकर नार्थ साउथ की फिल्मों के बीच हिंदी-गैर हिंदी का युद्ध क्यों?

-शरद राय

कुछ वर्ष पहले एक मूक फिल्म पूरे भारत मे रिलीज़ हुई थी- 'पुष्पक'। कमल हासन-आमला अभिनीत इस फिल्म की कोई भाषा नहीं थी। पूरी फिल्म में कोई संवाद नही था।  दक्षिण में बनी इस बेजुबान फिल्म को सबने सराहा था और यह साबित हो गया था कि सिनेमा किसी भाषा का मुहताज नहीं, सम्प्रेषण का माध्यम है। इनदिनों उसी दक्षिण की छोर से आई कुछ फिल्मों के चल पड़ने से नार्थ-साउथ का भाषाई घमासान शुरू हो गया है।साउथ के स्टार अपनी डब फिल्मों की कामयाबी पर इतराए हुए अपनी फिल्मों पर पैन इंडिया की मुहर चस्पा कर रहे हैं तो हिंदी भाषा को समग्र राष्ट्र की अगुवाई मानने वाला बॉलीवुड चुपचाप कैसे रह सकता है! नतीजतन नार्थ साउथ की फिल्मों के बीच हिंदी भाषी युद्ध का शंखनाद बज गया है।

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हम फिर जिक्र करेंगे फिल्म 'पुष्पक' की, बिना भाषा की इस साउथ फिल्म को भारत भर के दर्शक वैसे ही पसंद किए थे जैसे इन दिनों हिंदी में आवाज दान के बाद अलू अर्जुन की फिल्म 'पुष्पा पार्ट 1', राजामौली की फिल्म 'RRR' और कन्नड़ स्टार यश की फिल्म 'KGF चैप्टर 2' ने पूरे भारत में  विजय का डंका बजा दिया है। दरअसल इन फिल्मों को कामयाबी उनके कन्टेंट पर मिली है, उनकी मौलिक भाषा के बल पर नही। बल्कि, कहना चाहिए कि हिंदी भाषा के विस्तार की बैसाखी ने ही उनको कामयाबी की ऊंचाई दिया है। वावजूद इसके साउथ के स्टार किच्चा सुदीप अपनी भाषा कन्नड़ की फिल्म 'KGF 2' की 1500 करोड़ की कमाई का कलेक्शन देखकर इतरा पड़े- 'अब हमारी फिल्मों को क्षेत्रीय नही कहा जाना चाहिए, वो पूरे देश मे धूम मचा रही हैं और हिंदी पर भारी हैं।अब साउथ की फिल्में पैन इंडिया की फ़िल्मों का रुतवा हासिल कर चुकी हैं।'  किच्चा सुदीप की टिप्पड़ी पर अजय देवगन और नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने अपनी रूखी प्रतिक्रिया जाहिर किया। हालांकि दक्षिण के दूसरे स्टार इस विवाद में पड़ने की बजाय चुप ही हैं लेकिन सोशल मीडिया पर साउथ vs नार्थ का भाषायी जंग शुरू हो गया है। लोग मान रहे हैं कि साउथ की फिल्में हिंदी में रीमेक की जाती हैं, उनकी डब फिल्में हिट होती हैं तो जरूर ये फिल्में अखिल भारतीय स्तर पर सर्वश्रेष्ठ हैं। अजय देवगन और नवाज ने कहा है कि 'यह एक दौर है।एक फ्लूक है।' और, यह भी सच है कि इस फ्लूक कामयाबी को सपोर्ट हिंदी भाषा ने ही दिया है।

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दरअसल साउथ बनाम नार्थ का विवाद भाषायी नहीं बल्कि कन्टेंट का है।साउथ का कन्टेंट सशक्त होता है जो बॉलीवुड को डरा रहा है। जबकि बॉलीवुड फिल्मों की भाषायी पहुंच बहुत बड़ी है जिसके सहारे के बिना साउथ भाषा की फिल्मों की पहुंच अधूरी है। ज़रूरत है दोनो इंडस्ट्री के लोग इस बात को समझ पाएंL और मिलकर काम करें तभी पैन इंडिया का सपना सार्थक होता है।

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