World Music Day: मशीनों ने ली ऑर्केस्ट्रा की जगह

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By Pankaj Namdev
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World Music Day: मशीनों ने ली ऑर्केस्ट्रा की जगह

चाहे आप खुश हो या दुखी, संगीत आपके मूड के हिसाब से काम करता है। ये आपका ऐसा दोस्त है जो आपके तनाव को दूर करके आपके मूड को बेहतर बनाने का काम करता है। आज पूरा विश्व वर्ल्ड योगा डे के साथ-साथ वर्ल्ड म्यूजिक डे भी मना रहा है। ऐसे में जानते हैं आखिर क्यों 21 जून को ही मनाया जाता है 'वर्ल्ड म्यूजिक डे' और क्या है इस दिन कि खासियत और ये शुरू कहाँ से हुआ? और बॉलीवुड में इसकी शुरुआत कैसे हुई?

फ्रांस में हुआ पहला म्यूजिक जलसा...

इस आयोजन की पहल फ्रांस में हुई थी. अब संगीत प्रेमी तो इस बात को ज्यादा अच्छी तरह समझ सकते हैं कि फ्रांस किस तरह अपनी संस्कृति और परंपरा को आगे बढ़ाता है.. फ्रांस में यह साल 1982 में मनाया गया और तब से यह सिलसिला जारी है. फ्रांस में इस जलसे को 'Fete de la Musique' के नाम से जाना जाता है. इस जलसे से जुड़ी दूसरी थ्योरी भी है...publive-image

संगीत को बेहतर बनाने के लिए वेस्टर्न इंस्ट्रूमेंट्स को इस्तेमाल

'आलम आरा' फिल्म का वो पहला गीत था,'दे दे खुदा के नाम पे प्यारे' जो मात्र हारमोनियम और तबले पर  कंपोज किया गया था और एक दशक भी नहीं गुजरा होगा की बॉलीवुड के संगीतज्ञों ने संगीत को बेहतर बनाने के लिए वेस्टर्न इंस्ट्रूमेंट्स को इस्तेमाल करना शुरू कर दिया जैसे सितार, बांसुरी, तानपुरा, मृदंग और सारंगी जैसे हिन्दुस्तानी वाद्यों के साथ साथ सैक्सोफोन, अकॉर्डियन, पियानो, वायलिन, ड्रमसेट और गिटार का फ्यूजन ऐसा हुआ की बॉलीवुड ने ऐसा संगीत बनाया जो आज भी अमर है। नौशाद साहब और सी रामचंद्र ने भारतीय रागों पर बेस्ड गीतों में पाश्चात्य वाद्ययंत्रों की जुगलबंदी की शुरुआत की, नौशाद साहब तो अपने साजिंदों के साथ रेगुलर ही जैम करते थे ताकि उनका हाथ साफ हो जाए, और यही कारण है की वर्ल्ड म्यूजिक का असर बॉलीवुड संगीत पर शुरुआती दिनों से ही दिखता था।publive-image

जब हर फिल्म में प्ले होता था पियानो

न केवल गीतों में इन यंत्रों का इस्तेमाल हुआ बल्कि ऑनस्क्रीन भी हमने एक्टर्स को इन यंत्रों को बजाते हुए देखा, एक समय तो ऐसा भी आया की लगभग हर फिल्म में आपको पियानो बजाता हुआ हीरो या हिरोइन दिख ही जाता था, कहना गलत नहीं होगा की लोगों ने इन वाद्ययंत्रों को बजाना इसलिए सीखना चाहा क्योंकि फिल्मों में ऐसा दिखाया जाता था, कुछ इंस्ट्रूमेंट्स को भारत में पॉपुलर लिए मिली क्योंकि उनको किसी न किसी एक्टर से जोड़ा जाने लगा। जैसे की अकोर्डियन का नाम आते ही पहली छवि जो दिमाग में आती थी वो राजकपूर की आती है, पियानो और ड्रमसेट से शम्मी कपूर की इमेज जुड़ गई, और गिटार को फेमस बनाने का पूरा क्रेडिट ऋषि कपूर को जाता है। कहना गलत नहीं होगा की इंटरनेशनल म्यूजिक को बॉलीवुड ने घर घर पहुंचाया।publive-image

इन सिंगर्स ने पश्चिमी संगीत को किया इंडियनाइज

इतना ही नहीं , कुछ संगीतज्ञों ने पश्चिम की धुनों को भी इंडियनाइज करके उनके बॉलीवुड वर्सन बनाए और पश्चिमी फोक और पोपुलर धुनों पर बने ये गीत भारत में खूब प्रचलित हुए। किसी ने इन्हें इंस्पिरेशन कहा तो किसी ने कॉपी पर कहना गलत नहीं होगा की ये गीत खूब चलाए, एक समय ऐसा भी आया की बॉलीवुड के गीत, भारत में ही नहीं बल्कि बाहर भी खूब पोपुलर हुए, जैसे की शंकर जयकिशन का ‘आवारा’ का पूरा एल्बम रूस और चीन में दशकों तक पसंदीदा अल्बम्स की लिस्ट में बना रहा। जैसे जैसे समय गुज़रा सिर्फ इंस्ट्रूमेंट्स ही नहीं तकनीकें भी इस्तेमाल की जाने लगीं। एक वक्त ऐसा था की नौशाद साहब ने इको इफ़ेक्ट के लिए मुग़ल ए आजम का गीत प्यार किया तो डरना क्या, तकनीकों के अभाव में एक बाथरूम में रिकॉर्ड किया था, वहीँ कुछ सालो के अंतर में ही पहला फाइव वन साउंड का गीत फिल्म ‘जल बिन मछली, नृत्य बिन बिजली’ का टाइटल गीत लता जी को ले जाकर लंदन में रिकॉर्ड किया। ये अपनी तरह का पहला प्रयोग था। पंचम ने इसी पहल में लाइव म्यूजिक के साथ रिकॉर्ड करने की प्रथा को धीरे धीरे ख़त्म करना शुरू किया, ताकि संगीत आसानी से बन सके, सही भी था, लाइव म्यूजिक के साथ रिकॉर्ड करने का एक बहुत बड़ा माइनस पॉइंट था की बहुत रिहर्सल लगती थी, और कई कच्ची पक्की रिकॉर्डिंग्स के बाद एक इस्तेमाल करने लायक गीत बन पाता था। आर डी ने सबसे ज्यादा गीतों के करीओके बनाए और मिक्सिंग की तकनीक को खूब इस्तेमाल किया।publive-image

ऐसे शुरुआत हुई रॉक म्यूजिक की

ये तो बात हुई तकनीकों की, फिल्मों ने ही अलग अलग किस्म की म्यूजिक स्ट्रीम्स को भी भारत में पोपुलर बनाया,  पंचम ने रॉक म्यूजिक का अपने गीतों में खूब इस्तेमाल किया, रवि ने जेज़ म्यूजिक को पॉपुलर किया, आगे चलते बप्पी लहरी ने डिस्को और रॉक न रोल जैसी कई म्यूजिकल स्ट्रीम्स को बॉलीवुड में इस्तेमाल किया, शंकर जयकिशन ने कंट्री म्यूजिक को बढ़ावा दिया और इसका इम्पैक्ट आज भी आपको बॉलीवुड में दिख जाएगा।publive-image

मशीनों ने ली ऑस्केस्ट्रा की जगह

इन सबने जो बीज बोये उसकी वजह से आप इंटरनेशनल म्यूजिक का सीधा-सीधा असर देख सकते हैं, एक से बढ़ कर एक और अलग अलग रिकॉर्डिंग टेक्निक का इस्तेमाल बॉलीवुड म्यूजिक बनाने के लिए हो रहा है, जो काम पहले 100 लोगों की ऑर्क्रेट्रा करती थी वो काम आज मशीनें कर लेती हैं, आज के संगीत में आप हिप हॉप, रैप और भी न जाने कितने तरह की स्ट्रीम्स को बॉलीवुड में देख सकते हैं, न केवल स्ट्रीम्स बल्कि देश विदेशों की अलग अलग भाषाओँ का इस्तेमाल साथ अन्तरराष्ट्रीय सिंगर्स ने भी बॉलीवुड के साथ कोलैबोरेशन करना शुरू कर दिया है, अकोन और कैली मिनोग ने तो फिल्मों में गीत भी गाये हैं।publive-image

ऐआर रहमान ने संगीत को दीं नई ऊंचाइयां

आज की तारिख में बॉलीवुड और विश्व संगीत का सबसे बड़ा कनेक्टिंग पॉइंट खुद संगीतज्ञ ऐआर रहमान हैं, उनहोंने न जाने कितने अंतर्राष्ट्रीय सिंगर्स के साथ काम किया है, और आज भी वो फुल ऑर्केस्ट्रा के साथ म्यूजिक रिकॉर्ड करते हैं, उनकी टीम में एक से बढ़ कर वर्ल्ड म्यूजिक आर्टिस्ट हैं और शायद इसी जुगलबंदी के कारण ही वो हॉलीवुड के भी चहीते हैं, और उन्हें अपने इसी वर्ल्ड म्यूजिक सेन्स की वजह से ऑस्कर से भी नवाजा गया है।publive-image

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