छोटी उम्र से ही नृत्य के स्टेज शो करती आ रही गंगा ममगाई सफल नृत्यांगना,अभिनेत्री,शायरी लेखक व बिजनेस ओमन हैं. वह कई म्यूजिक वीडियो में अभिनय कर चुकी हैं. नृत्य के सेकड़ों शो कर चुकी हैं. वह गार्मेंट डिजायनर हैं. अब उन्होने हॉरर फिल्म 'वष' का निर्माण करने के साथ ही इसमें मुख्य भूमिका भी निभायी है. यह फिल्म 21 जुलाई को सिनेमाघरों में पहुँच गई है.
पेश है गंगा ममगाई से हुई बातचीत के अंष...
क्या आपकी परवरिश कला के माहौल में हुई है?
हमारे घर में कला का माहौल बिल्कुल नहीं रहा. हम लोग उत्तराखंड के निवासी हैं. मेरे पिता जगदीशचंद्र ममगाई जी 'हाॅकिंस प्रेशर कूकर' कंपनी में नौकरी करते थे. पर बचपन से मेरी रूचि नृत्य, लेखन, स्केच करना व अभिनय में रही है. मैं अभी भी लेखन करती हॅूं. मेरे लेखन की अपनी एक अलग स्टाइल है. मेरे माता पिता बहुत ही ज्यादा सपोर्टिब हैं. उन्होने मुझे कभी कोई काम करने से नही रोका. मेरे पिता जी बताते हैं कि बचपन मे मैं टीवी देखते हुए उनसे पूछा करती थी कि टीवी में आने के लिए क्या करना होता है? जबकि तब तक हमें टीवी पर सिर्फ समाचार देखने की छूट थी.
तो क्या आपने अभिनय की कोई ट्रेनिंग ली?
जी नहीं... पर डांस के लिए मैने सरोज जी और रानी खान जी से कत्थक सीखा है. मैने डांस के कई फार्म सीखे हैं. पर अभिनय की कोई ट्रेनिंग नही ली. मुझे लगता है कि अभिनय के गुण मेरे अंदर इश्वर प्रदत्त हैं. मुझे नहीं लगता कि अभिनय कहीं से सीखा जा सकता है.
तो अभिनय की शुरुआत कहां से हुई?
मैंने राजस्थान सहित कई राज्यों में डांस के कई बड़े बड़े स्टेज शो किए हैं. कई म्यूजिक वीडियो में अभिनय किया है. इसके अलावा मैं पेशे से गार्मेंट डिजायनर हॅूं. आप सरल भाषा में फैशन डिजायनर भी कह सकते हैं. देखिए, क्रिएटिब के कई आयाम हैं. लेखन, डांस, गार्मेंट डिजायनिंग, अभिनय यह सब क्रिएटीविटी ही है. आप यह कह सकते है कि क्रिएटीविटी में मेरी रूचि कुछ ज्यादा है. मैं युनिवर्सल पॉवर में यकीन करती हॅूं. मेरा मानना है कि युनिवर्स में हर तरह की तरंगे एक साथ उठती हैं, अब उन्हे कैच करने की जरुरत होती है. मैं खुद को लक्की समझती हॅूं कि मैं एक साथ कई तरह के क्रिएटिब काम कर पा रही हूँ. मेरे डांस के टैलेंट का अहसास फिल्म 'वष' के गीत 'देसी मुंडे' में किया जा सकता है.
फिल्म 'वष' में अभिनय करने के साथ ही इसका निर्माण करने की जरुरत क्यों महसूस की?
सब कुछ अपने आप हुआ. मैं फिल्म निर्माण के क्षेत्र में कदम रखना चाह रही थी. इसके लिए मुझे एक अच्छी कहानी की तलाश थी. पर मैं भागमभाग नही करती. मैं मानती हूं कि हर काम अपने समय पर होगा. एक दिन जगमीत सिंह समुद्री ने मुझे एक कहानी सुनाई,जिसे सुनते ही मैंने उनसे कहा कि आप इस पर फिल्म बनाने की तैयारी कीजिए, मैं इस फिल्म का निर्माण करुंगी. जब लेखक व निर्देशक समुद्री जी मुझे कहानी सुना रहे थे, तो मेरे दिमाग में घूम रहा था कि आंचल तो मैं ही हॅूं. इसलिए मैने इसमें अभिनय करने का भी मन बना लिया.
फिल्म ''वष'' क्या है?
इसमें रोमांस, हॉरर, अच्छे गाने व अच्छी लोकेशन का समावेश है. कहानी का ताना बाना अच्छा है. फिल्म अंधविष्वास नही फैलाती.
आंचल क्या है?
आंचल नेक व साधारण लड़की है. बहुत ही रियालिस्टिक है. मैं फिल्म की निर्माता भी हॅूं, इसके बावजूद कहानी व पटकथा में मैंने कोई बदलाव नहीं कराया. मैने आंचल के किरदार को बढ़वाया भी नही है. निर्देशक ने सबसे पहले जो कहानी सुनायी थी,वही अब भी है.
फिल्म में नवोदित अभिनेता विवेक जेटली को ब्रेक देने के पीछे क्या सोच रही ?
मैं खुद को भी नया ही मानती हूं. ऐसे में विवेक को फिल्म में हीरो बनाने से मुझे क्यों आपत्ति होती. वास्तव में हमें ऐसे कलाकार की तलाश थी, जिसमें प्रतिभा हो. उसकी कोई ईमेज न हो और फिल्म में रक्षित के किरदार में फिट बैठता हो. यह सब निर्देशक को विवेक जेटली में नजर आयीं.
फिल्म को कहां पर फिल्माया है?
हमने इसे हिमाचल प्रदेश में फिल्माया है. पहले एक शख्स की सलाह पर हम इसे लंदन में फिल्माने वाले थे. पर फिर हमें सद्बुद्धि आ गयी. हमें अहसास हुआ कि हमारी फिल्म पूरी तरह से देसी है,जिसके लिए हमें अपने देश की ही खूबसूरत लोकेशन चाहिए. उसके बाद हम खुद निर्देशक के साथ लोकेशन की रेकी करने गयी. और शिमला,मनाली व उसके आस पास के इलाके में इसे फिल्माया है. इस फिल्म में एक कई सौ साल पुराना पेड़ है,जो कि हमारी फिल्म में एक पात्र है. इस पेड़ के पुराने होने के साथ ही उसके आस पास बड़ी जगह चाहिए थी, क्योकि वहीं पर हमने अपनी फिल्म के बीस मिनट के क्लायमेक्स को फिल्माया है. क्लायमेक्स में काफी एक्षन भी है.
फिल्म में कितने गाने हैं?
फिल्म में चार गाने हैं, जिन्हें अजय के गर्ग ने लिखा है. अजय बहुत अच्छे गीतकार हैं.