एण्डटीवी के शो 'दूसरी माँ' की अदाकारा प्रीती सहाय ने कामिनी के निगेटिव रोल में प्यार और नफरत की भावनाएं दिखाकर दर्शकों को खुश किया है. एक बेबाक इंटरव्यू में इस प्रतिभाशाली अभिनेत्री ने अपने सफर, एक माँ के रूप में और उन चुनौतियों के बारे में बात की, जिनका सामना उन्होंने निजी और पेशेवर रूप से किया है.
एक एक्टर के तौर पर आपका सफर कैसे शुरू हुआ?
मेरे परिवार में सिर्फ मैं ही एक्टर हूँ. जब मैं आठ साल की थी, तब मैंने लखनऊ में दूरदर्शन के लिये बाल कलाकार के तौर पर काम शुरू किया था. स्कूल के दौरान मैंने कई नाटकों और ड्रामा में भाग लिया, लेकिन मैं पढ़ाई में भी अच्छी थी. बाल कलाकार के रूप में मेरा कॅरियर आसान रहा, लेकिन असली संघर्ष तब शुरू हुआ, जब मैं मुंबई आई और फिल्मों और टीवी शोज के लिये आॅडिशन दिये. वह एक मुश्किल सफर था, क्योंकि मैं यहाँ किसी को जानती नहीं थी और इंडस्ट्री में मेरा कोई मेंटर नहीं था. मैंने थियेटर के अपने कुछ पुराने परिचित लोगों से बात की और दिनेश ठाकुर के साथ एक प्ले किया. उसके बाद मैंने टेलीविजन शोज के लिये आॅडिशन दिये और कई सीरियलों में कैमियो और एपिसोडिक रोल्स किये. और सालों तक संघर्ष करने के बाद मुझे "बालिका वधू" में एक बड़ा रोल मिला, जो कि मैंने करीब छह साल तक किया. हालांकि, मैंने अपना पहला निगेटिव किरदार "दहलीज़" नाम के शो में किया था, जो दो साल चला और जिससे मुझे टीवी की दुनिया में पहचान मिली. पिछले तीन साल में मेरे पैरेंट्स गुजर गये, लेकिन मैं जानती हूँ कि वे हर वक्त मेरे साथ हैं, मुझे मागदर्शन और सहयोग दे रहे हैं.
आपको इस इंडस्ट्री में अपना जीवनसाथी भी मिला. हमें इसके बारे में और बताइये.
मैंने कभी एक एक्टर से शादी करने की कल्पना नहीं की थी. मेरे एक शो के दौरान, मैं कुलदीप से मिली. वह भी उसी शो में एक्टिंग कर रहे थे, जहाँ हमें एक-दूसरे से प्यार हो गया और आखिरकार हमने शादी करने का फैसला कर लिया. जब मैं प्रेग्नैंट हुई, तब मैंने काम और इंडस्ट्री से ब्रेक ले लिया, ताकि अपने बेटे की देखभाल कर सकूं और मदरहुड के इस खूबसूरत दौर का मजा ले सकूं. मेरे पति ने मेरे फैसले का समर्थन किया. अब चूंकि मेरा बच्चा बड़ा हो गया है और चीजों को समझता है, इसलिये मैंने अपने कॅरियर को दोबारा शुरू करने का फैसला किया है.
तेजी से भागती इस दुनिया में एक्टर के तौर पर अपने कॅरियर को दोबारा शुरू करना क्या आपके लिये आसान था?
बिलकुल भी आसान नहीं था. ब्रेक के कारण, मुझे जो रोल मिल रहा था, वह रोमांचक नहीं था. तेजी से भागती दुनिया में सही भूमिका पाना चुनौती से भरा था. लेकिन मैंने कोशिश बंद नहीं की. कई आॅडिशंस और मीटिंग्स के बाद आखिरकार मुझे बाॅलीवुड के लेजेंड श्री अमिताभ बच्चन के साथ एक टीवी विज्ञापन मिला. उन्होंने मेरी एक्टिंग की तारीफ की और अपने बेटे अभिषेक बच्चन को उनके अगले टीवी विज्ञापन के लिये मेरा नाम सुझाया. बिग बी की नजर में आना मेरी जिन्दगी के सबसे खुशनुमा पलों में से एक था. इससे मुझे इंडस्ट्री में दोबारा सफर शुरू करने का आत्मविश्वास भी मिला. और मैं यहाँ हूँ, 'दूसरी माँ' में टेलीविजन के सबसे मनोरंजक किरदारों में से एक 'कामिनी' का रोल कर रही हूँ.
आपको 'दूसरी माँ' कैसे मिला?
करीब दस साल पहले मैंने एक शो में एपिसोडिक रोल किया था, जहाँ मेरी मुलाकात हमारे शो के डायरेक्टर इम्तियाज़ जी से हुई थी. मैंने कभी सोचा नहीं था कि एक दशक के बाद मैं उनके साथ फिर से काम करूंगी और वह भी इतने बेहतरीन किरदार के लिये. मुझे खुशी है कि उन्होंने इस रोल के लिये मुझे चुना. हालांकि, जब मुझे कामिनी का किरदार निभाने के लिये काॅल आया, तब मैं 'हाँ' नहीं कर सकी थी. मैं लंबे वक्त तक अपने परिवार से दूर नहीं रहना चाहती थी, क्योंकि सेट जयपुर में है. लेकिन मेरे बेटे ने मुझे इसके लिये मना लिया. उसने कहा कि मैं बड़ा हो गया हूँ और आपकी गैर-मौजूदगी में अपने पापा की देखभाल भी कर सकता हूँ. उसकी बात ने मेरे दिल को छू लिया और मैं कुछ वक्त के लिये जयपुर आने को राजी हो गई.
जयपुर में शूटिंग का अनुभव कैसा रहा और अपने साथी कलाकारों के साथ आपका रिश्ता कैसा है?
जयपुर में 'दूसरी माँ' के लिये शूटिंग बेहतरीन रही है. इस टीम के साथ काम करना बहुत शानदार है और चूंकि हम अपने परिवारों से दूर हैं, इसलिये एक-दूसरे के लिये परिवार बन जाते हैं. हर गुजरते दिन के साथ हमारा रिश्ता मजबूत होता है, क्योंकि हम ज़ी स्टूडियोज के पास रहते हैं, जहाँ हम साथ मिलकर खाते हैं और सारी खुशियाँ मनाते हैं. जब हम शूटिंग नहीं कर रहे होते हैं, तब इस खूबसूरत शहर में घूमने निकल जाते हैं और यहाँ की स्वादिष्ट चीजों पर टूट पड़ते हैं. मुझे परिवार की याद आती है और मैं लगातार अपने बेटे के संपर्क में रहने और रोज अपने पति से बात करने के लिये वक्त निकालती हूँ. लेकिन यहाँ लोग बहुत सहयोगी और प्यारे हैं, जिससे मुझे कभी भी उदासी नहीं होती है.
कामिनी एक निगेटिव किरदार है और दर्शक उससे नफरत करना पसंद करते हैं. आप इसे कैसे लेती हैं?
एक कलाकार के तौर पर मुझे चुनौती वाली भूमिकाएं करना पसंद है. कामिनी जैसा निगेटिव रोल करना मेरे लिये बड़ी चुनौती वाला है, क्योंकि यह मेरी शख्सियत के विपरीत है. सोशल मीडिया पर कामिनी को जो नफरत और प्यार मिलता है, उसका मैं खूब आनंद उठाती हूं सच कहूं, तो कामिनी 'दूसरी माँ' में असली कमीनी है (हंसती हैं). वह चिढ़ाती है, लेकिन हंसाती भी है. जब मुझे कामिनी का किरदार समझाया गया, तब मुझे उसकी शख्सियत पसंद आई, खासकर उसका ताने से भरा तकिया कलाम 'आदत तो नहीं हमारी इश्यू बनाने की'. इस तकिया कलाम को दर्शकों से बहुत तारीफ मिलती है. आसान शब्दों में कहूं, तो दर्शकों को कामिनी से नफरत करना पसंद है और हम इस किरदार से यही चाहते हैं. मुझे खुशी होती है कि मेरे काम को पहचान और तारीफ मिलती है. मुझे एक तरह का संतोष होता है और एक्टर के तौर पर बढ़ने में मदद मिलती है; हमेशा नई सीख मिलती है.