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बॉलीवुड में अपने अभिनय के बल पर अपनी एक अलग पहचान रखने वाली अभिनेत्री श्वेता त्रिपाठी शर्मा ने 2008 में कांस में धूम मचाने वाली फिल्म "मसान" से चर्चा में आयी थी. तब से अब तक वह लगभग 14 फिल्में व दस वेब सीरीज में अपने अभिनय का जलवा बिखेर चुकी हैं. इन दिनों वह 24 मार्च से 'जी 5' पर स्ट्रीम होने वाली हास्य फिल्म "कंजूस मक्खीचूस" को लेकर चर्चा में हैं. विपुल मेहता निर्देशित इस फिल्म में श्वेता त्रिपाठी शर्मा की जोड़ी कुणाल केमू के साथ है.
प्रस्तुत है श्वेता त्रिपाठी शर्मा संग हुई बातचीत के खास अंष. . .
फिल्म '6 मसान"से अब तक के आपके आठ वर्ष के कैरियर में टर्निंग प्वाइंट्स क्या रहे?
मेरे कैरियर का पहला टर्निंग प्वाइंट तो फिल्म 'हरामखोर' थी. मैने सबसे पहले इसी फिल्म में अभिनय किया था. यह एक अलग बात है कि यह फिल्म बाद में प्रदर्शित हुई. फिर टर्निंग प्वाइंट्स फिल्म "मसान" रही, जिसने हमें 'कांस इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल' तक पहुँचाया. कांस में अपने देश का प्रतिनिधित्व करना,अपने देश का नाम रोशन करना गर्व की बात होती है. जब आप भारत देश के लिए कोई अवार्ड पाते हैं,तो यह बहुत बड़ी बात होती है. इसके बाद टर्निंग प्वाइंट वेब सीरीज "मिर्जापुर" रही, जिसने मुझे ओटीटी पर स्थापित कर दिया. मिर्जापुर का मेरा गोलू का किरदार तो हर इंसान के जुबां पर है. अब 'कंजूस मक्खीचूस'भी टर्निंग प्वाइंट हो सकती है.
आपने पहली बार कॉमेडी फिल्म "कंजूस मक्खीचूस" की है. कहीं यह अपनी इमेज को बदलने का मसला तो नही है?
मैं किसी की जान लेने के लिए भाग नही रही थी. और न ही कोई मेरी जान लेने के लिए भाग रहा था. मेरे पास काम की कमी नही है. 'मिर्जापुर सीजन 3' व 'कालकूट' सहित काफी कुछ है. मैने अब तक ड्रामा ही ज्यादा किया है. तो मैं अपने दर्शकों को कुछ अलग देना चाहती थी. इसीलिए कॉमेडी फिल्म "कंजूस मक्खीचूस" की है. मैने यह फिल्म जान बूझकर की है. मगर इसकी वजह ईमेज बदलना नही है. मैने इससे पहले कॉमेडी नही की थी,तो जब तक नही करेंगे, तब तक कैसे पता चलेगा कि क्या कठिन है. कॉमेडी करना सबसे अधिक कठिन है. यही सोचकर मैने डुबकी मार दी. मैं कुणाल केमू के काम व उसकी कॉमिक टाइमिंग की फैन रह चुकी हूं. उन्होने बाल कलाकार के रूप में कैरियर की शुरुआत की थी और अभी भी बहुत अच्छा काम कर रहे हैं. वह एक बेहतरीन कलाकार हैं, इससे तो सभी वाकिफ हैं. पर वह एक अच्छे इंसान भी हैं. हर कहानी में मेरी तलाश इमोशनल की होती है और इस फिल्म में इमोशनल भर भर के है. इस फिल्म को करते हुए मैंने काफी एन्जॉय किया.
फिल्म "कंजूस मक्खीचूस" के अपने किरदार पर रोशनी डालेंगी?
मैंने इसमें माधुरी पांडे का किरदार निभाया है. जिनके पति एक नंबर के कंजूस व मक्खीचूस हैं. लेकिन खामियां तो हर इंसान में होती हैं. पर दोस्त, परिवार और जो रिश्ते होते हैं,वहां अनकंडीशनल प्यार की ही जरुरत होती है. अनकंडीशनल प्यार की जब बात होती है,तो हम सोचते हैं कि साथ में सीखेंगे, साथ में बूढ़े होंगे. तो पूरा पांडे परिवार बहुत प्यार से रहता है. बहुत सारी मस्ती करते हैं. हम सभी एक दूसरे के साथ प्यार से रहते हैं.
क्या पति के कंजूस होने के चलते हास्य की स्थ्तियां पैदा होती हैं?
जी हां! सारे घटनाक्रम माधुरी पांडे के पति की कंजूसी के चलते ही घट रही हैं. उनका व्यक्तित्व ही कंजूस का है. वह पूजा करते समय अगरबत्ती भी जलाते हैं,तो भगवान को अगरबत्ती दिखाने के बाद उसे बुझा देते हैं. बची हुई अगरबत्ती दूसरे दिन जलाते हैं. पंखे को लेकर कहते हैं ,'अगर पंखा नहीं घूम रहा है,तो अपना सिर हिलाकर घुमा लो.
फिल्म की शूटिंग के दौरान कोई ऐसा द्रश्य रहा, जिसके लिए आपको काफी मेहनत करनी पड़ी?
मेरे लिए इस फिल्म के सेट पर पहले ही दिन शूटिंग करना सबसे कठिन रहा. क्योंकि मैं जिनके साथ शूटिंग कर रही थी,वह सभी कॉमेडी के महारथी थे और मैं पहली बार कॉमेडी कर रही थी. फिर चाहे वह कुणाल केमू हो या अलका मैम हों या पियूष जी हों. यह सभी बहुत वर्षों से कॉमेडी में छक्का मारते आ रहे हैं. मैं अलका मैम व कुणाल दोनो से सलाह लेकर परफार्म करती थी. तीसरे दिन से मैं एन्जॉय करने लगी थी.
फिल्म के निर्देशक विपुल मेहता के संग काम करने के क्या अनुभव रहे?
निर्देशक विपुल मेहता मस्तमौला इंसान हैं. इंसान से उनसे मेरी पहली मुलाकात कोविड के दौरान जूम पर हुई थी. उनसे बात करके और देखकर मुझे लगा कि इनके साथ फिल्म करनी चाहिए. आप भी देखोगे तो आपको अहसास होगा कि यह इंसान प्यार से फिल्म बनाएगा. निर्देशक के लिए जरुरी होता है कि वह जिस कहानी को सुनाने जा रहा है, उसमे वह कितना तन मन धन लगा रहा है.
अब तक आपके द्वारा निभाए सभी फेमिनिज्म के अलावा जमीन से जुड़े हुए रहे हैं. तो 'कंजूस मक्खीचूस' में यह सब नही होगा?
ऐसा नही है. इस फिल्म में भी फेमिनिज्म,नारी शक्ति है. मेरे सभी किरदार इसी तरह के होते ही हैं. यह सब अब तक सब कामर्शयली होता आया है. मेरे अब तक के किरदार मेरे ही हिस्सा है. जब भी मैं कोई किरदार निभाती हॅूं,तो उसमें कुछ हिस्सा अपना छोड़ देती हूं,तो कुछ हिस्सा उस किरदार का मैं ले लेती हॅूं.
किसी भी किरदार को निभाते समय आप अपनी जिंदगी के अनुभव और कल्पना शक्ति में से किसका कितना उपयोग करती हैं?
मैं कल्पना शक्ति का ही उपयोग करती हॅूं. 'मिर्जापुर' की गजगामिनी यानी कि गोलू गुप्ता का मेरी जिंदगी से कोई मेल ही नही है. गोलू गुप्ता संग कोई तुलना ही नही है. मैं अपनी और अपने किरदारों की जिंदगी को मिक्स नहीं करना चाहती. मेरी निजी जिंदगी के इमोशनलकिसी भी सूरत में गोलू या किसी अन्य किरदार के इमोशनलनही हो सकते. श्वेता त्रिपाठी शर्मा का रिएक्शन गोलू गुप्ता या माधुरी पांडे के रिएक्शन से अलग ही होंगे. क्योंकि हर किसी का व्यक्तित्व अलग होता है. इसलिए मैं कल्पना शक्ति में ही यकीन करती हॅूं.
किसी फिल्म को स्वीकार करते वक्त आप किस बात पर ध्यान देती हैं?
किरदार व कहानी के अलावा यह देखती हॅूं कि निर्माता,सह कलाकार व निर्देशक कौन हैं?' कंजूस मक्खीचूस' को हां करने में कुणाल केमू महत्वपूर्ण हैं.
आपके पापा आईएएस अफसर और आपकी मां शिक्षक रही. तो आपकी जो परवरिश हुई,वह अभिनय में किस तरह से मदद करती है?
बहुत मदद करती है. पहले मैं यह बात नही समझ पा रही थी. पर अब समझ में आ रहा है. मुझे अपने माता पिता से जो संस्कार मिले. मेरे घर मे कला का माहौल रहा. मेरी मां बच्चों को पढ़ाने के साथ ही खुद सितार बजाना सीखती थीं. अब वह पेंटिंग करती हैं. मैंने अब तक जो किरदार निभाए ,उससे खुश हॅूं. मैने एक फिल्म 'गाँन केष' की,तब मुझे पता चला कि 'अल्पेसिया' एक बीमारी है. जिसमें इंसान के सिर से बाल/केष गायब हो जाते हैं.
इन दिनों बॉलीवुड की फिल्में सफल नही हो रही है. क्या वजह आपकी समझ में आ रही है?
मुझे लगता है कि अगर कहानी अच्छी होगी,तो लोग जरुर देखना चाहेंगें. दर्शक काफी समझदार है.
सोशल मीडिया पर कितना व्यस्त रहती हैं?
मैं सोशल मीडिया पर कविताएं और फिटनेस पर लिखती रहती हूं. मैं खुद कविताएं नहीं लिखती,मगर मैं दूसरों की कविताएं पोस्ट करती रहती हॅूं. पर अब मैं कविताएं लिखना शुरू करने जा रही हॅूं,भले ही वह बचपना वाली कविताएं हों.
आपके शौक क्या हैं?
मुझे यात्राएं करना और नई चीजें सीखना बहुत पसंद है. मसलन अभी मैं पालनपुर जा रही हॅूं. मुझे एडवेंचरस स्पोर्ट्स बहुत पंसद हैं. मैने स्कूबा डायविंग की हुई है. मुझे ओसियन से बहुत प्यार है.