GADAR-2 Simrat Kaur: फिल्म 'गदर 2' का हिस्सा बनना मेरी सबसे बड़ी खुशनसीबी है

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By Shanti Swaroop Tripathi
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GADAR-2 Simrat Kaur: फिल्म 'गदर 2' का हिस्सा बनना मेरी सबसे बड़ी खुशनसीबी है

2001 में प्रदर्शित अनिल शर्मा निर्देशित देशभक्ति से पूर्ण फिल्म "गदरः एक प्रेम कथा" ने इतिहास रच दिया था. उस वक्त इस फिल्म ने हर देशवासी के मन में देशभक्ति की एक नई लय पैदा कर दी थी. अब उसी फिल्म का सिक्वअल "गदर 2" लेकर आ रहे हैं. कहानी 22 वर्ष आगे बढ़ चुकी है. अनिल शर्मा. जिसमें वह तारा सिंह, सकीना व उनके बेटे जीते के साथ एक नए किरदार मुस्कान को भी लेकर आ रहे हैं. इस मुस्कान के किरदार को सिमरत कौर निभा रही हैं. सिमरत कौर का जन्म व परवरिश मुंबई में हुई है. पर वह मूलतः पंजाबी है.  सिमरत कौर की 'गदर 2' पहली हिंदी फिल्म है. मगर इससे पहले वह "प्रेमाथु मी कार्थिक" सहित तीन तेलुगु फिल्में कर चुकी हैं.

प्रस्तुत है मायापुरी के लिए सिमरत कौर से हुई बातचीत के खास अंष...

आपने अभिनय को कैरियर बनाने का निर्णय कब लिया?

वैसे तो सभी का बचपन से ही अभिनय करने का शौक रहता है. मगर मेरा अभिनय करने का शौक कभी नहीं रहा. मेरा शौक तो स्पोटर्स रहा और सात वर्ष की उम्र से ही मैने कराटे सीखना शुरू कर दिया था. मैने कभी नही सोचा था कि मुझे बड़े होकर फिल्मों में हीरोईन बनना है. स्पोर्ट्स करते करते मुझे सबसे पहले इंस्टाग्राम के माध्यम से कैडबरी के एक पोस्टर एड करने का आफर आया था. उस वक्त वह किसी नए चेहरे की तलाश में थे. मैने इस एड को इसलिए किया था कि मुझे कालेज की पॉकेट मनी मिल जाएगी. कैडबरी एड के लिए मुझे अभिनय नहीं करना पड़ा था. यह सिर्फ फोटो शूट था,जो कि पोस्टर के लिए था. 12वीं की पढ़ाई पूरी होते ही मेरे पास फिल्मों में अभिनय करने के लिए कास्टिंग एजंसी से फोन आने लगे. पर मुझे तो अभिनय नही करना था. इसलिए मैं लगातार मना कर रही थी. फिर एक दिन दक्षिण भारत से तेलुगु फिल्म "प्रेमाथु मी कार्थिक" का आफर आया. फिल्म में दिग्गज कलाकार थे. पर मैने मना कर दिया कि मुझे फिल्मों में अभिनय नही करना है. मगर वह कास्टिंग डायरेक्टर मेरे पीछे पड़ गया. कहने लगा कि फिल्म के किरदार के साथ मेरा चेहरा काफी मिलता है. मैने अपनी मम्मी से कहा कि आप इन्हें समझा कर मना कर दीजिए. अन्यथा यह तो बात सुन ही नही रहे हैं. पहले तो मेरी  मां ने उसे मना कर दिया. लेकिन फिर उस बंदे ने मेरी मां को कैसे क्या समझा दिया पता नही, मगर मेरी मां तैयार हो गयीं. उस वक्त मेरी उम्र 17 वर्ष थी. मेरी मां खुद मुझ लेकर हैदराबाद गयी. हैदराबाद में मेरा ऑडिशन लिया गया. तब तक मुझे बिलकुल अहसास नही था कि मेरे अंदर अभिनय के गुण हैं. मगर मैने ऑडिशन दिया और उस फिल्म के लिए मेरा चयन हो गया. पर जब मुझे बताया गया कि मुझे तेलुगु के संवाद बोलने हैं,तो मैने उनसे कह दिया कि मेरे वष की बात नही है. मैं उत्तर भारतीय लड़की हॅूं, मुंबई में पली बढ़ी हॅूं. इसलिए हिंदी,पंजाबी और मराठी ही बोल सकती हॅूं. पर उन्होने मुझे सिखाने की बात की. मेरे लिए तेलुगु बोलना बहुत कठिन था. मैने एक माह तक रोते हुए शूटिंग की. मैं बार बार कह रही थी कि मुझे मुंबई अपने घर जाना है. खैर, इस एक माह के दौरान मुझे कैमरे के सामने पहुँचने पर मजा आने लगा. पहले मैं कैमरे से ही घबराती थी. पर अब मैं कैमरे के सामने जाने पर घबराती नही थी. जबकि इसकी स्क्रिप्ट व संवाद को लेकर मेरी काफी समस्याएं थीं. मैं तेलुगु के संवाद रट रट कर बोल रही थी. इस फिल्म की शूटिंग पूरी होने में एक वर्ष लगा और तब मुझे अहसास हुआ कि मेरे अंदर अभिनय के गुण थे, जिन्हे मैं समझ नहीं पा रही थी. फिर तो तय हो गया कि मुझे अभिनय ही करना है. बाद में मैने कुछ पंजाबी म्यूजिक वीडियो भी किए. मैने पहले ही कहा कि मैं गैर फिल्मी परिवार से हॅूं, तो मेरे लिए संघर्ष ज्यादा था. मेरे लिए जरुरी था कि मैं कुछ काम करते रहूं और लोगों की नजरों में आती रहॅूं. उस वक्त हमने म्यूजिक वीडियो यह सोचकर किए थे कि दस जगह काम करेंगे, तो दस अलग तरह के लोगों की नजर में आएंगे. मुझे यहां तक पहुँचने के लिए बहुत संघर्ष किया. मुकेश छाबड़ा सर ने भी मुझे किसी म्यूजिक वीडियो या कहीं और दखा होगा, तभी उन्होने मुझसे संपर्क कर 'गदर 2' के लिए ऑडिशन देने को कहा.

आपकी पहली तेलुगु फिल्म 'प्रेमाथु मी कार्थिक' को क्या रिस्पांस मिला था?

इस फिल्म का नाम का मतलब वही है जो कि हर पत्र के नीचे हम लिखते हैं-"आपका प्यारा..'इसमें तेलुगु के दिग्गज कलाकार थे. फिल्म को जबरदस्त सफलता मिली. पर मुझे तो कुछ पता ही नहीं था कि अब कैसे आगे बढ़ा जाए. फिर भी इस फिल्म की सफलता के बाद मुझे दो दूसरी तेलुगु फिल्में करने का अवसर मिला. अब मैंने हिंदी फिल्म "गदर 2" की है. जिसके निर्देशक अनिल शर्मा हैं.

फिल्म 'गदर 2' से जुड़ना कैसे हुआ?

सच कहॅूं तो मैने सपने में भी नही सोचा था कि मैं कभी बॉलीवुड फिल्म में अभिनय करुंगी. मेरे अंदर आत्म विश्वास ही नहीं था कि मैं बॉलीवुड फिल्मों में हीरोईन बन सकती हॅूं. मेरे पास 'गदर 2' के लिए ऑडिशन भेजने का सन्देश आया था, पर मैने इसीलिए नही भेजा कि मुझे 'गदर 2' जैसी फिल्म कहां से मिलने वाली. मगर जब कास्टिंग डायरेक्टर मुकेश छाबड़ा ने मुझसे कहा कि मैं निर्देशक अनिल शर्मा से मिलु और  'गदर 2' के लिए ऑडिशन दे दूं, तब मैने प्रयास किया. मेरे सात आठ ऑडिशन हुए, 'गदर 2' के लिए. मेरा पहला ऑडिशन मोबाइल से हुआ था. तो मैं मोबाइल ऑडिशन से 'गदर 2' तक पहुंची हॅूं. पूरे दो माह का वक्त लगा.और मुझे सफलता मिल गयी. पर जब अनिल शर्मा सर ने मुझे बताया कि मेरा चयन हो गया है, तो तीन दिन लगे मुझे इस बात को समझने के लिए कि मैं बॉलीवुड का हिस्सा बनने जा रही हॅूं. तीन दिन के बाद मैं खुशी के आंसू रोई हॅूं और हंसी भी हॅूं..

तीन तेलुगु फिल्में करने के बाद अब आपने पहली बॉलीवुड फिल्म 'गदर 2' भी कर ली. आपने कहां क्या सीखा?

कलाकार के तौर पर दक्षिण में तेलुगु भाषा को समझने में ही काफी वक्त लग गया. अब तो मैं थोड़ा बहुत समझ लेती हॅूं और थोड़ी तेलुगु बोल भी लेती हॅूं. जब आप भाषा न समझते हो तो अभिनय पर असर पड़ना स्वाभाविक है. सामने वाला कलाकार क्या कह रहा है, वह भी मेरी समझ में नहीं आ रहा था. जबकि उसके संवाद पर कलाकार के तौर पर हमें भी रिएक्ट करना होता है. तो सेट पर निर्देशक कहते कि हंस दो, तो हंस देती थी. वह कहते कि रो दो तो रो देती थी. पर उसमें नेच्युरलपना नही था. ऐसे में मैने यह समझा कि यदि भाषा समझ में न आए, तो सामने वाले के चेहरे के हाव भाव से हमें उसकी बात को समझना चाहिए. और उसी के अनुरूप मुझे प्रतिक्रिया भी देनी चाहिए. जब हमने बॉलीवुड फिल्म की तो भाषा की समस्या रही नही. हिंदी व पंजाबी तो मेरी अपनी भाषा है. अब स्क्रिप्ट,किरदार को अच्छी तरह से समझने के साथ ही मुझे संवाद के भाव भी समझ में आ रहे थे. तो यहां पर मैने सीखा कि संवाद अदायगी के समय कब पांच देना है, कब उंची आवाज में बात करनी है, कब धीमी आवाज में बात करनी है. बहुत कुछ सीखा. मैने दो तीन तेलुगु फिल्में की थीं, मगर जब 'गदर 2' के लिए पहले दिन कैमरे के सामने पहुंची तो ऐसा लगा कि मैं पहली बार कैमरे का सामना कर रही हॅूं. वजह नही पता पर पहले दिन ज्यादा नर्वस थी.

'गदर 2' से जुड़ने की मूल वजह क्या रही? 'गदर' बहुत चर्चित फिल्म रही है अथवा अनिल शर्मा व सनी देओल जैसे निर्देशक के साथ काम करने का अवसर मिल रहा था अथवा बॉलीवुड से जुड़ने का अवसर मिल रहा था?

सच कहॅूं तो 'गदर 2' इतनी बड़ी फिल्म है कि इसमें यदि साइड करेक्टर भी मिल जाए तो मैं करना चाहती. यह एक ऐतिहासिक फिल्म है. निर्देशक अनिल शर्मा के अलावा सनी देओल जैसे अभिनेता की फिल्म से बॉलीवुड में कैरियर शुरू होना बहुत अहम बात थी. यदि मुझे इस फिल्म में छोटा किरदार मिलता, तो दुःख होता, पर मैं कर लेती. लेकिन मेरी खुशनसीबी कि मुझे हीरोईन का किरदार मिल गया. 'जब गदर' आयी थी, तो हिंदुस्तान के हर बंदे ने देखी थी. इस फिल्म को तो आज की पीढ़ी ने भी देखा है. या सुना है.  मेरा जन्म तो 'गदर' के प्रदर्शन के बाद हुआ, पर मुझे पता है कि 'गदर' का के्रज उस वक्त क्या था. मैं उस फिल्म के गाने आज भी गाती हॅूं. इसके अलावा कहानी व किरदार पसंद आया. ऐसे में मना करने का सवाल ही नहीं था. मैने अनिल शर्मा जी से कहा कि सर जी आपको प्रणाम है कि आपने मुझे चुना. मै अपनी तरफ से बेहतरीन परफार्मेंस देने के लिए पूरी जी जान लगा दूँगी.

फिल्म के किरदार के बारे में बताएं?

मैने इसमें मुस्कान का किरदार निभाया है. जो हमेशा मुस्कुराती रहती है. अपने माता पिता की प्यारी है. मैं इससे अधिक अभी नही बता सकती. मगर मुस्कान 'गदर 2' की नई सदस्य है. इस फिल्म के तारा सिंह, सकीना व जीते से तो सभी परिचित हैं. इन किरदारों से भारत की जनता को बहुत पर है. मगर अब 'गदर 2' में एक नई लड़की मुस्कान आ रही है. इसे भी लोगों का प्यार मिलेगा. ऐसी मुझे उम्मीद है. मुस्कान का किरदार फिल्म में बहुत महत्वपूर्ण है.

सनी देओल और अमीषा पटेल के साथ काम करके क्या सीखा?

सनी देओल सर के साथ मेरा महला सीन था, तब मुझे बड़ा अजीब सा लग रहा था. मैं उनकी बहुत इज्जत करती थी. उनकी फिल्में देखते हुए बड़ी हुई थी. इसलिए उनके साथ बराबरी से खड़ा होना भी गलत लग रहा था. इसलिए उनके पास खड़े होने पर मैं कांप रही थी. कांपते कांपते मैने उने कहा-'ससरी काल सर..'उन्होने मुझसे कहा कि नर्वस मत हो. वह अभिनय में शिखर पर थे और मैं एकदम नयी. मैं उनके सामने क्या अभिनय करती. उन्होने मुझसे कहा, 'एक्टिंग ऐसे नही आती कि रोने का सीन है, तो आप रो देंगे. जब आप दिल से अहसास करेंगे, तब आप उस भावना को व्यक्त कर सकती हैं. उस वक्त वह भाव आपके चेहरे व आंखों पर आ जाएगा. तुम्हे उसे व्यक्त करने के लिए प्रयास नही करना पड़ेगा. उसके बाद उनकी इस सीख के चलते मेरा सीन इतनी सहजता से हो गया कि मुझे खुद को यकीन नहीं हुआ. सनी सर ने बताया कि जब हम द्रश्य की सिच्युएशन का अहसास नही करते हैं, तब हम कोशिश करके जो कुछ अभिनय करते हैं, वह दर्शक को नकली लगता है. सनी सर ने मुझे इतनी बडी बात बता दी, जिसे शायद मैं अभिनय स्कूल में भी नहीं सीख सकती थी.

फिल्म 'गदर 2' के निर्देशक अनिल शर्मा के साथ काम करके क्या नई बात सीखी?

अनिल शर्मा सर के साथ काम करना बहुत आसान है. वह हमेशा शांत रहते हैं. सेट पर कलाकार को पूरी छूट देते हैं. वह सीन समझाने के बाद कलाकार से कहते है कि अब इसे तुम अपने हिसाब से करो. क्योंकि अब तुम खुद अपने किरदार मे घुस चुके हो. किरदार के इमोशन तो आपको ही निकालने है. हां! अगर वह ठीक नही लगेगा, तो मैं उसे गाइड करुंगा. यदि कभी किसी कलााकर न 12 से 15 रीटेक दे दिए, तो भी अनिल सर को गुस्सा नहीं आता था. वह कहते थे कि एक दो रीटेक और कर ले.

'गदर 2' का कौन सा किरदार आसान या कठिन रहा?

एक द्रश्य काफी कठिन था, अभिनय के लिहाज से नहीं, बल्कि उस वक्त हवा चलायी जा रही थी, जिसमें सूखे पत्ते उड़ रहे थे. एक पत्ते का तिनका मेरी आंख में चला गया. हम आंख बंद नही कर सकते थे. आंख झपका भी नही सकते थे. सीन काफी महत्वपूर्ण नहीं था. हम लखनउ में पचास डिग्री के तापमान पर शूटिंग कर रहे थे. पर दिखाना था कि ठंड है, इसलिए हमने स्वेटर पहनने के अलावा शाल ओढ़ रखी थी. उस वक्त काफी तकलीफ हुई थी.

आपके शौक क्या हैं?

मैं पेंटिंग्स बनाती हूं. मगर इंसानो की नही बल्कि प्रकृति की. स्टिल पेंटिंग करती हूं. पियानो व कैसिनो बजाना पसंद है. गाना सुनना पसंद है. मेरा पसंदीदा गाना-'आ जा पिया..' और ' ये रातें ये मौसम..'हैं. इसके अलावा लिखने का भी शौक है.

आपको गाने का शौक रहा है. तो आप गाती भी होंगी?

नहीं..मेरी आवाज सुरीली नही है.

इसके अलावा कुछ कर रही हैं?

जी नहीं..फिलहाल तो "गदर 2" के प्रमोशन में व्यस्त हॅूं. इसके अलावा इस फिल्म के प्रदर्श का इंतजार कर रही हॅूं. दर्शकों का बेशुमार प्यार मिलने के बाद तो मेरा कैरियर सरपट दौड़ने लगेगा.

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