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Vicky Kaushal: फिल्म ‘गोविंदा नाम मेरा’ के नाम में फिल्म का फ्लेवर झलकता है

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By Shanti Swaroop Tripathi
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Vicky Kaushal: फिल्म ‘गोविंदा नाम मेरा’ के नाम में फिल्म का फ्लेवर झलकता है

2015 में प्रदर्शित फिल्म ''मसान'' में रिचा चड्ढा के साथ अभिनय कर अभिनेता विक्की कौशल ने बॉलीवुड में कदम रखा था. इस फिल्म ने Cannes सहित कई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में धमाल मचाया था और विक्की कौशल ने खुद को बतौर अभिनेता स्थापित कर लिया था. तब से सात वर्ष के अंतराल में वह फिल्म दर फिल्म खुद को बेहतरीन अभिनेता साबित करते आए हैं. फिर चाहे 'राजी' हो या' 'लस्ट स्टोरीज' हो या 'संजू' हो या 'उरीः द सर्जिकल स्ट्राइक' हो 'सरदार उधम ' हो. इन दिनों 16 दिसंबर को 'डिज्नी हॉटस्टार' पर प्रदर्शित हो रही शशांक खेतान निर्देशित फिल्म ''गोविंदा नाम मेरा'' को लेकर अति उत्साहित हैं. उनका दावा है कि इस तरह का किरदार उन्होने पहली बार निभाया है.  

प्रस्तुत है विक्की कौशल संग हुई बातचीत के अंश...

अपने अब तक कैरियर में आप टर्निंग प्वाइंट किसे मानते हैं?

मेरा पहला टर्निंग प्वाइंट हर हाल में फिल्म 'मसान' थी. 'मसान' ने ही मेरे लिए फिल्म इंडस्ट्री के दरवाजे खोले. उससे पहले मैं सहायक निर्देशक के रूप में काम कर रहा था. ऑडिशन भी दे रहा था. 'मसान' के रिलीज से पहले मैं कास्टिंग डायरेक्टर से ही मिल पाता था. निर्देशक से नहीं मिल पाता था. 'मसान' के प्रदर्शन के बाद निर्देशकों से मिलना संभव हो पाया. दूसरा टर्निंग प्वाइंट फिल्म 'संजू' का प्रदर्शित होना रहा. पहली बार मेरे साथ एक घटना घटी थी. जब 'संजू' प्रदर्शित हुई, उस वक्त मैं मुंबई में नहीं साईबेरिया में 'उरी' की शूटिंग कर रहा था. उस वक्त मैने इंटरनेट पर रिस्पोंस देख लिया था कि उसका रिस्पांस अच्छा आ रहा है. कमली को लोग पसंद कर रहे हैं, यह मुझे इंटरनेट से पता चल रहा था. साईबेरिया से जब मैं भारत आ रहा था, तो दोहा एअरपोर्ट स्टॉप हुआ था. दोहा से भारत के लिए मेरी दूसरी फ्लाइट थी. दोहा एअरपोर्ट पर पहली बार मुझे किसी ने पीछे से 'कमली' के नाम से आवाज देकर बुलाया था. पहली बार किसी ने मुझे मेरे किरदार के नाम से पुकारा था. यह मेरे लिए बहुत खास अहसास था. फिर अगला टर्निंग प्वाइंट तो 'उरीः द सर्जिकल स्ट्राइक' ही रही. इस फिल्म की वजह से मुझे हीरो के तौर पर स्वीकृति मिली. उस वक्त मुझे आर्मी और आम लोगो से ढेर सारा प्यार मिला.फिल्म को आर्थिक व भावनात्मक प्यार मिला. जिस तरह से 'हाउ इज द जोश' को लोगो ने इमोशन ही बना दिया, उसने मुझे एक अलग अहसास दिलाया. उसके बाद निर्माताओं का मुझ पर पैसे लगाने का जिगरा मिल गया. फिल्मकारों को लगा कि विक्की को लेकर महंगी फिल्म बनायी जा सकती है. अब 'गोविंदा नाम मेरा' भी मेरे कैरियर का टर्निंग प्वाइंट हो सकता है.

फिल्म ''गोविंदा नाम मेरा'' को लेकर तो आप कुछ ज्यादा ही उत्साहित हैं?

मेरे लिए 'गोविंदा नाम मेरा' मेरी पहली फिल्म की तरह है. क्योंकि इसमें मैने कुछ ऐसा काम किया है, जो कि मैंने पहले कभी नहीं किया.  वैसे मेरे कैरियर को अभी सिर्फ सात वर्ष ही हुए हैं, फिर भी मैंने अब तक ऐसा कुछ नहीं किया था. इस कारण यह फिल्म मेरे लिए एक बड़ी परीक्षा है. मेरी पहली फिल्म 'मसान' की ही तरह 'गोविंदा नाम मेरा' भी मेरे लिए बड़ी परीक्षा है. मैं इस फिल्म को लेकर अति उत्साहित हूँ. क्योंकि मुझे उम्मीद है कि यह फिल्म अभिनेता के तौर पर मेरे कैरियर में कुछ नया कमाल कर सकती है. मैं जितना 'मसान' को लेकर उत्साहित था, उससे कहीं अधिक इस फिल्म को लेकर उत्साहित हूँ.

फिल्म 'गोविंदा नाम मेरा'' से जुड़ने की कोई खास वजह?

'उरीः द सर्जिकल स्ट्राइक' और 'सरदार उधम सिंह' के बाद मैं कुछ हल्का फुल्का निभाने की सोच रहा था . मैं सोच रहा था कि अब कॉमेडी या कुछ रंगीन सा करने का अवसर मिल जाए. जिसमें रोना धोना न हो. पर मुझे पता नही था कि ऐसा कुछ मेरे पास आएगा या नहीं... ऐसे वक्त में एक दिन शशांक ने मुझे बुलाया और बताया कि वह कुछ ऐसा लिख रहे हैं, जिस पर बनी फिल्म देखते हुए दो घंटे के लिए दर्शक अपने टेंशन को भूल जाएगा. मैने कहा कि यह विचार तो बहुत अच्छा है. शशांक ने लिखने के बाद मुझे सुनाने का वादा किया. लेखन पूरा होने के बाद जब उन्होने मुझे सुनाया, तो मुझे कमाल की स्क्रिप्ट लगी. कन्फ्यूजन से जो ह्यूमर पैदा होता है, उसे दर्शक की हैसियत से भी देखने में मजा आता है. मैने तुरंत हामी भर दी.

फिल्म 'गोविंदा नाम मेरा' को लेकर क्या कहेंगें?

फिल्म 'गोविंदा नाम मेरा' में अलग अलग तरह के किरदारों की भरमार है. यह सारे किरदार किस तरह एक दूसरे से भिड़ते हैं और बीच में मर्डर हो जाता है. फिर हास्य के साथ क्या खिचड़ी पकती है, वही इस फिल्म की कहानी है. इसमें कुछ भी गंभीरता से लेने वाली बात नही है. इसमें न सीख है और न ही सबक है. 

फिल्म का नाम 'गोविंदा नाम मेरा' क्यों?

इसका जवाब लेखक व निर्देशक शशांक खेतान ही बेहतर दे पाएंगे. पर फिल्म में किरदार का नाम शुरू से ही गोविंदा वाघमारे ही था. पर लंबे समय तक हमें फिल्म का टाइटल मिला ही नहीं था. फिर 'गोविंदा नाम मेरा' नाम मिल गया. यह कैची शब्द है. क्योंकि हम सभी ने गोविंदा की फिल्में देखी हैं. इस नाम से फिल्म का फ्लेवर झलकता है. वैसे फिल्म में कोई भी उसे गोविंदा नहीं बुलाता. कोई उसे गोपी, कोई उसे गोगू,तो कोई कुछ बुलाता है. हर किसी ने उसके नाम को भुलाकर अपनी अपनी तरफ से एक नाम रख लिया है. वह सभी से कहता रहता है कि 'गोविंदा नाम है मेरा' .कोई मेरे नाम से तो बुला लो. इस हिसाब से फिल्म का नाम सटीक है.

इसके अलावा मैं और शशांक नब्बे के दर्शक की फिल्में देखकर बड़े हुए हैं. जो कि गोविंदा या अक्षय कुमार सर की फिल्में रही है. तो कहीं न कहीं यह फिल्म उन्हे ट्ब्यिूट भी है. पहले एक ही फिल्म में नाच गाना, एक्षन,कॉमेडी,रोना धोना, हंसी सब कुछ होता था.अब अलग जॉनर की और नाच गाना वाली अलग जॉनर की, कॉमेडी वाली अलग जॉनर की फिल्में बनने लगी हैं.

आपने राज कुमार हिरानी  व सुजीत सहित कई दिग्गज निर्देशकों के साथ काम किया है. अब आपने शशांक खेतान के निर्देशन में काम किया है. आपने शशांक खेतान में क्या खास बात पायी?

वह हमेशा सकारात्मक फिल्में बनाते हैं. वह हमेशा ठंडे दिमाग से काम करना पसंद करते हैं. वह सेट पर भी शर्त रहकर ही काम करते हैं. वह कभी भी टेंशन में नही आते. शशांक का सिनेमा का ग्रामर बहुत सरल है. वह कॉम्पलीकेटेड नही है. यह बात मेरे लिए नई थी. राज कुमार हिरानी या सुजीत सर के किरदार में लेअर काफी होते हैं. उनके किरदार जो बात कर रहे होते हैं, उसके अंदर भी बात हो रही होती है. उनकी सोच यह है कि हमें सीख नही देना,सिर्फ मनोरंजन करना है.

फिल्म में किआरा आडवाणी संग आपके स्टीमी व बोल्ड द्रश्यों की काफी चर्चा है?

फिल्म में किआरा आडवाणी ने गोविंदा वाघमारे की प्रेमिका का किरदार निभाया है. दोनों के रिश्ते हैं. दोनो डांसर हैं और जीशु डांस अकादमी चलाते हैं. दोनों को मशहूर कोरियोग्राफर बनना है. दोनों के बड़े बड़े सपने हैं. टेंडर लव स्टोरी है, पर स्टीमी सीन तो नही है. दोनों किरदारों के माध्यम से लव स्टोरी आती है. मुझे कियारा के साथ काम करके मजा आया. हमने पहले एक साथ 'लस्ट स्टोरीज' की थी. अब हमने दूसरी बार इस फिल्म में काम किया है. वह वंडरफुल कलाकार है. मुझे लगता है कि वह हर जॉनर में अच्छा अभिनय करने में माहिर है. वह भी लंबे समय से गंभीर किरदार निभा रही थी, तो वह भी कुछ हल्का फुल्का करना चाहती थीं.

अब किस निर्देशक के संग काम करने की इच्छा है?

एक नही कई हैं. मैं जोया अख्तर, मणिरत्नम, विक्रमादित्य मोटवाने, विशाल भारद्वाज सहित कई निर्देशकों के साथ काम करना चाहता हूं.

सफलता के चलते आपके अंदर कितना बदलाव आया?

कोई बदलाव नही आया. क्योंकि मैं किसी भी चीज को हल्के में नहीं लेता. मुझे पता है कि सफलता और असफलता इस खेल का हिस्सा है. मैने सीखा है कि इंसान के तौर पर हमें सफलता मिलने पर न इतराना चाहिए और असफलता मिलने पर दुखी भी नही होना चाहिए. सात वर्ष का कैरियर हो गया. पर सच यह है कि मैंने अभी चलना सीखना शुरू किया है. मैं दौड़ सकता हूं, मैं उड़ सकता हूं, मैं गिर सकता हूं. लेकिन मेरे लिए सबसे जरूरी इस यात्रा का लुत्फ उठाना है. यह सब चलता रहेगा. लेकिन जिस दिन मैं इस प्रक्रिया का आनंद नहीं ले पाउंगा, तब चिंता की बात होगी. देखिए,हर  फिल्म की अपनी नियति होती है, लेकिन मैं अभिनय की प्रक्रिया का आनंद लेना चाहता हूं.

इसके अलावा क्या कर रहे हैं?

फिल्म 'सैम बहादुर' की शूटिंग चल रही है.मेघना गुलजार के साथ दोबारा काम करने का अवसर मिलेगा. यह मेरे कैरियर की पहली बायोपिक फिल्म हैं, जो पूरी तरह से डाक्यूमेंटेड है. तो उनकी तरह का लुक बनाना,उनके जीवन को जीना आसान नहीं होगा. उनका जीवन काफी ऐतिहासिक रहा है. 1971 के युद्ध की जीत में उनकी अहम भूमिका थी.उनके जरिए भारत देश में कैसे बदलाव आया, यह भी देखने को मिलेगा.कुछ दो तीन फिल्मों की शूटिंग खत्म की है,जो कि जल्द आएंगी.

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