Advertisment

Yagya Bhasin: मुझे हॉलीवुड स्टार बनना है

author-image
By Shanti Swaroop Tripathi
New Update
Yagya Bhasin: मुझे हॉलीवुड स्टार बनना है

तीन वर्ष पहले कंगना रनौट व नीना गुप्ता की फिल्म ’‘पंगा’’ प्रदर्शित हुई थी, जिसमें जस्सी गिल और कंगना रनौट के बेटे आदित्य सचदेवा ने हर किसी अपनी तरफ आकर्षित कर लिया था. आदित्य सचदेवा के किरदार में बाल कलाकार यज्ञ भसीन थे, जिनकी उम्र उस वक्त महज नौ वर्ष थी. अब वह तेरह साल के हो गए हैं. मूलतः उत्तराखंड निवासी यज्ञ भसीन ने इससे पहले सीरियल ‘‘मेरे साई’’ व ‘सीआईडी’ में जरुर अभिनय किया था. मगर बतौर बाल कलाकार ‘पंगा’ यज्ञ भसीन की पहली फिल्म थी. ‘पंगा’ के बाद यज्ञ भसीन ने ‘‘बाल नरेन’’ और ‘’विश्वा’’ फिल्मों में भूमिका निभायी है. यह दोनो फिल्में बहुत जल्द प्रदर्शित होने वाली हैं.

हाल ही में यज्ञ भसीन से मुलाकात होने पर उनसे हुई बातचीत इस प्रकार रही...

आपने बहुत छोटी उम्र में ही अभिनय करना शुरू कर दिया. क्या आपके माता पिता ने आपको अभिनय करने के लिए प्रेरित किया?

जी नही...शायद ईश्वर ने मुझे अभिनेता बनाकर ही भेजा है.

मतलब?

हम लोग मूलतः नैनीताल, उत्तराखंड के रहने वाले हैं. बचपन से ही मुझे फिल्में देखने का शौक रहा है. मेरे पिता जी नैनीताल हाईकोर्ट में ‘सेक्शन आफिसर’ थे और मेरी मम्मी का अपना ब्यूटीपार्लर था, जो कि हमारे घर के ही एक कमरे थे. अब जब माता पिता दोनों व्यस्त हों, तो मुझे टीवी पर भी फिल्में देखने का अवसर मिलता था. मैं ज्यादातर अवेंजर्स जैसी फिल्में देखा करता था. जब मैने स्कूल जाना शुरू किया, तो एक दिन मैने यॅूं ही अपनी टीचर से पूछ दिया कि फिल्मों में जो लोग नजर आते हैं, वह कौन हैं? तो उन्होने बताया कि इन्हे कलाकार कहते हैं और यह जो काम करते हैं, उसे अभिनय करना कहते हैं. इसके बाद मैंने घर आकर सर्च किया कि अवेंजर्स कहां बनायी गयी. इसमें किस कलाकार ने अभिनय किया. वह कहां रहते हैं. पता चला कि यह फिल्में अमरीका के लॉस एंजेंल्स में बन रही है. हॉलीवुड सिनेमा कहा जाता है. हिंदी फिल्में मुंबई में बनती हैं. जिन्हे बौलीवुड कहा जाता है. रिसर्च करते और फिल्में देखते हुए मेरे दिमाग में आया कि क्या मैं भी इनकी तरह टीवी या फिल्म में नजर आ सकता हॅूं. फिर मैने फिल्में देखते हुए उसी तरह से डांस करना व उनकी नकल करने लगा, यानी कि अभिनय करने लगा. और मैने तय कर लिया कि मुझे अभिनय ही करना है. मुझे याद है कि मेरी उम्र सात वर्ष की थी, जब मैंने एक दिन साहस जुटाकर अपने पापा से कहा कि मुझे अभिनेता बनना है. मेरे पापा ने बच्चा समझकर मेरी बात पर ध्यान नहीं दिया. लेकिन मैने हर दिन उनसे कई बार यही बात कने लगा. तब मेरे पापा ने समझाया कि पहले पढ़ाई कर लो, फिर अभिनेता बन जाना. मैने जिद पकड़ ली कि मुझे पढ़ाई के साथ ही अभिनेता बनना है. मेरी हठ को देखकर एक दिन मेरे पापा ने मुझसे पूछ लिया कि अभिनेता बनने के लिए कहां जाना पड़ेगा? यह पता है? मैने तुरंत कह दिया कि हॉ! हम लोग लॉस एंजेंल्स या मुंबई चलते हैं. तब तक मेरे पापा को भी लॉस एजेंल्स के बारे में पता नही था. हम लोगों ने गूगल सर्च में देखा, तो पता चला कि यह तो अमरीका में है. तब यह तय हुआ कि मुंबई जाना पड़ेगा. फिर मेरे साथ ही मेरे पापा ने भी रिसर्च करना शुरू कर दिया कि मुंबई में कैसे क्या होगा? एक दिन बाजार में मेरे हाथ  ‘मायापुरी’ मैगजीन लग गयी. उसमें एक कलाकार का इंटरव्यू पढ़ा, तो पता चला कि उसे ऑडीशन देने के बाद फिल्म करने का मौका मिला. तब मैने ऑडीशन के बारे में सर्च किया. उस वक्त तक मैं मोबाइल का जानकार हो गया था. मेरे जुनून को देखकर मता पिता ने आपस में सलाह मशवरा किया और यह तय हुआ कि हम लोग मुंबई में रहेंगे. फिर पापा ने अपनी 14 साल की पुरानी नौकरी से त्यागपत्र दिया. मम्मी ने ब्यूटीपार्लर को बंद किया. हम लोग मुंबई रहने आ गए. मुंबई में हम भायंदर में रहने लगे.

तो मुंबई पहुॅचते ही आप अभिनय करने लगे?

नहीं..सर...नैनीताल, उत्तराखंड से मुंबई आते समय मुझे जितना सब कुछ आसान लग रहा था, उतना आसान नहीं था. करीबन एक माह तक मेरे पापा अकेले ही मुंबई के  अंधेरी इलाके में घूमते रहे. वह कई निर्माताआें के आफिस गए. फिर पता चला कि कास्टिंग डायरेक्टर से मिलना होगा. तो कास्टिंग डायरेक्टर से मिले. एक दिन एक कास्टिंग डायरेक्टर ने मुझे बुलवाया और मेरा ऑडीशन लिया. पर बात नही बनी. इस बीच मेरे पापा ने भायंदर के ‘सेंट एंग्नेश इंग्लिश हाई स्कूल’ में मेरा एडमीशन भी करवा दिया था. फिर हम हर दिन स्कूल से आने के बाद शाम को पांच बजे अपने पापा के साथ अंधेरी जाकर कास्टिंग डायरेक्टरों, निर्माता व निर्देशकों से मिलते थे. ऑडीशन देते थे. मैं उस वक्त एक डायरी में रोज लिखता था कि किससे मिले और कहां ऑडीशन दिया. हर दिन भायंदर से अंधेरी आने जाने में काफी समय लगता था. लोकल ट्ेन की यात्रा भी काफी तकलीफ देह होती थी. फिर देर रात घर आकर सुबह स्कूल जाने की चिंता भी रहती थी. खैर, मुझे याद है कि 52 ऑडीशन देने के बाद मुझे पहली बार  सीरियल ‘‘मेरे साई’’ में गांव के लड़के का करेक्टर निभाने को मिला था.

तो क्या आपने अभिनय की कोई ट्रेनिंग हासिल की?

जी नहीं..मैने पहले ही कहा कि शायद ईश्वर ने मुझे अभिनेता बनाकर ही भेजा है. मैने अभिनय की कोई ट्रेनिंग नहीं ली. मैने टीवी व फिल्में देखते हुए काफी कुछ सीखा. इसके अलावा सेट पर निर्देशक की आज्ञा का पालन कर सीखता चला जा रहा हॅूं.

सीरियल ‘मेरे साईं’ में अभिनय करने के क्या अनुभव रहे?

बहुत अच्छा अनुभव हुआ था. मैं तो बच्च था, इसलिए मेरे अंदर यह डर नहीं था कि लोग क्या कहेंगे. निर्देशक को भी पता था कि मैं पहली बार सेट पर आया हॅूं, तो उन्होने कुछ ज्यादा ही विस्तार से मुझे दृश्य समझाया था. जिस दिन मेरा पहला एपीसोड आने वाला था, उस दिन मैने जोश में आकर देहरादून व नैनीताल के सभी दोस्तों को बात दिया था. एपीसोड प्रसारित होने के बाद मेरे दोस्तों ने खुश होकर मेरी प्रश्ांसा की थी. मुंबई में मैंने अपने स्कूल के दोस्तों को नहीं बताया था कि मैं अभिनय करता हॅूं. सबसे बड़ी बात यह हुई कि पहले एपीसोड को मिले रिस्पांस के बाद इस सीरियल में मेरे किरदार को बढ़ा दिया गया था.

इसके बाद करियर कैसे आगे बढ़ा?

इसके बाद मुझे टीवी सीरियल ‘सीआईडी’ में भी काम किया. इन दो सीरियलों के बाद मेरे लिए ऑडीशन देना आसान हो गया था. कुछ लोग मुझे आडीशन के लिए बुलाने लगे थे. एक दिन फिल्म ‘पंगा’ के कास्टिंग डायरेक्टर ने मुझे बुलाया और मेरा ऑडीशन लिया. वह ऑडीशन फिल्म की निर्देशक अश्विनी मैम यानीकि अश्विनी अय्यर तिवारी को भी पसंद आया. तो उन्होने मुझे मिलने के लिए बुलाया. अश्विनी मैम ने मुझसे 15 मिनट बात करने के बाद बताया कि फिल्म ‘पंगा’ में ंआदित्य के किरदार के लिए मेरा चयन हो गया है.

फिल्म ‘पंगा’ में कंगना रनौट, जस्सी गिल व नीना गुप्ता के साथ काम करके क्या सीखा था?

फिल्म ‘पंगा’ में कंगना रनौट,जस्सी गिल व नीना गुप्ता के साथ काम करने का मेरा वडंरफुल अनभुव रहा. यह सभी तो लीजेंड हैं. मैने इन सभी से बहुत कुछ सीखा. निर्देशक अश्विनी मैम से भी बहुत कुछ सीखा. किस दृश्य में किस तरह के इमोशंस को किस तरह से करना चाहिए यह सब सीखा. यह सभी कलाकार दृश्य के फिल्मांकन के दौरान मुझे सलाह देते थे,मुझे सिखाते भी थे कि कैसे इमोश्ांन बाहर लेकर आउं.

'पंगा’ की शूटिंग के दौरान हमें कंगना रनौट ने सिखाया था कि जब भी हम किसी सीन कर रहे हो, तो सीन में जिस तरह के इमोश्ेंस को लेकर आना हो, उस तरह के इमोशंस से जुड़े अपनी जिदंगी की घटना को याद कर लेना चाहिए. मसलन-रोने का दृश्य है, तो अपनी जिंदगी की वह बात सोच लो, जिससे रोना आ जाए. हर इंसान की जिंदगी में हर तरह के इमोशन से जुड़ी कोई न कोई घटना होती ही है. तो उसी इंसीडेंट से जुड़े इमोशन को हमें बार बार सोचना चाहिए, जब तक वह इमोशन हमारे चेहरे पर नजर न आने लगे.

‘पंगा’ के बाद क्या करने का अवसर मिला?

इस फिल्म के बाद मैने फिल्म ‘बाल नरेन’ में शीर्षक भूमिका निभायी है. रजनीश दुग्गल, बिदिता बाग, गोविंद नामदेव,विंदू दारा सिंह के साथ मुझे अभिनय करने का अवसर मिला. इसमें मैंने एक ऐसे गांव के लड़के की भूमिका निभायी है, जो अपने पूरे गांव को हमेशा साफ रखता है. कोविड की महामारी के दौरान वह अपने पूरे गांव में इस कदर सफाई रखता है कि उसके गांव में किसी को भी कोविड की बीमारी नहीं हो पाती. यह फिल्म अभी तक रिलीज नही हुई है. बहुत जल्द यह फिल्म ओटीटी पर रिलीज होगी.

गोविंद नामदेव से आपने क्या सीखा?

गोविंद नामदेव सिर्फ एक बेहतरीन अभिनेता ही नहीं, बल्कि वह बेहतरीन अभिनय टीचर भी है. उन्होने भी मुझे सिखाया कि अपने अदंर से इमोशन को कैसे बाहर लाकर प्रोट्ेट किया जाता है. उनसे तो मैं हर दिन अभिनय से जुड़ा कोई न कोई पाठ सीखता रहता था.  

इसके अलावा कोई फिल्म या सीरियल?

इसके अलावा मैने एक ‘विश्वा’ नामक फिल्म की है. इसमें भी टाइटल रोल मैने ही निभाया है. इस फिल्म की कहानी एक अंधे बालक के इर्द गिर्द घूमती है. वह अंधा होते हुए भी किस तरह से अपने सपनों को पूरा करता है. यह फिल्म हर बालक व इंसान को संदेश देती है कि आप किसी भी शारीरिक बाधा के शिकार हों, पर आपको आपके सपने पूरे करने से कोई नहीं रोक सकता. इसमें मैने शारिब हाशमी और उषा जाधव मैम के साथ काम किया है.

अंधे विश्वा के किरदार को निभाने के लिए किस तरह की तैयारी करनी पड़ी थी?

मैने यूट्यूब पर अंधे लोगों के कई वीडियो देखकर उनके चलने,उनकी बौडीलैंगवेज वगैरह को बड़े गौर से देखा था. मैं ब्लाइंड लोगों की संस्था में भी गया था. वहां पर मैं लगातार दो तीन दिन गया था. वहां के लोगों को गौर से देखकर सीखने का प्रयास करता था. जब मैं अंध आश्रम जाता था, तो मैं इस बात को बड़े ध्यान से देखता था कि वह बच्चे अपनी आंखें किस तरह से हिलाते हैं. वह अपने शरीर के दूसरे अंगो का उपयोग किस तरह से कर रहे हैं. वह अपनी आंखे न होने की कमी को किस तरह से दूर करने का प्रयास करते हैं. मसलन,वह अपने हाथ किस तरह से हिलाते हैं. उनकी आंखें किस तरह से रहती हैं. फिल्म के निर्देशक ने भी वर्कशॉप कराया था. मैं फिल्म ‘विश्वा’ की शूटिंग करते करते किरदार में इस कदर घुस गया था कि पुनः नॉर्मल होने में ेमुझे समय लगा था.

तो अब आपका करियर किस दिशा में जा रहा है?

मेरा करियर तो बहुत अमैजिंग दिशा में जा रहा है.

कोई दूसरी फिल्म या सीरियल भी कर रहे हैं?

मुझे दो फिल्में मिली हैं. जिनकी शूटिंग अप्रैल माह के बाद होगी. फिलहाल तीन माह के लिए अभिनय से दूरी बनायी है. मैं आठवीं कक्षा का छात्र हॅूं और अब परीक्षा होने तक सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान दॅूंगा.

आपके स्कूल के दोस्तां के साथ आपका किस तरह का रिश्ता है?

मैं अपने सभी दोस्तों के लिए कलाकार नहीं बल्कि एक आम लड़का ही हॅूं. मैने बहुत दिनों तक उजागर नही होने दिया था कि मैं अभिनय भी करता हॅूं. मगर फिल्म ‘पंगा’ के प्रचार के दौरान लोगों को पता चला था. फिल्म ‘पंगा’ के रिलीज के बाद दूसरे दिन जब मैं स्कूल पहुॅचा, तो मेरे दोस्तां और टीचरां ने आश्चर्य जनक ढंग से मेरा स्वागत किया. मेरी क्लास कुछ अलग ढंग से सजी हुई थी. मेरी कक्षा व स्कूल के दूसरे लड़कां ने मुझसे ऑटोग्राफ मांगा. तब मैने कुछ को ऑटोग्राफ दिया, पर मैने सभी से कहा कि मैं उन्ही की तरह आम लड़का हॅूं. वह स्कूल में मुझे भी अपने जैसा ही समझे. मैं उनके लिए कलाकार या सेलेब्रिटी नही हॅूं. पर उस दिन से मैने पाया कि मेरे प्रति शिक्षकां का व्यवहार काफी बदल गया है. वह अब मुझे ऑनलाइन नोट्स भेज देते हैं. अब शूटिंग के चलते अगर मैं कभी स्कूल नहीं पहुंचा, तो सवाल जवाब नही होते हैं. मैं अपनी टीचरां से कभी भी फोन करके पढ़ाई को लेकर मदद मांग लेता हॅूं.

शूटिंग की वजह से पढ़ाई का नुकसान नही होता?

बिल्कुल नही. मैं अपनी किताबें व नोट्स सेट पर भी लेकर जाता था. जब शूटिंग में मेरे सीन नही होते, तब मेकअप रूम में बैठकर मैं पढ़ाई करता.

जब लोग आपके अभिनय की तारीफ करते हैं, तब कैसा लगता है?

बहुत अच्छा लगता है. मुझे गर्व होता है कि मेरे माता पिता ने मेरे लिए जो  सैक्रीफाई किया, वह बर्बाद नही हुआ.

भविष्य में क्या करना है?

अभिनय जगत में नाम कमाना है. मुझे तो हॉलीवुड स्टार बनना है.

आप बॉलीवुड में किस कलाकार के फैन हैं?

शाहरुह खान, रणबीर कपूर, नवाजुद्दीन सिद्दकी, सलमान खान, जस्सी गिल व कार्तिक आर्यन का फैन हॅूं. मैं स्व. इरफान खान का भी फैन था.

अभिनेत्रियों में किसके फैन हो?

कंगना रनौट, रिचा चड्ढा, आलिया भट्ट, नीना गुप्ता.

किस तरह की फिल्में देखना पसंद है?

‘सुपर हीरो’ और ‘मिस्ट्री’ जॉनर की फिल्में देखना पसंद है.

आपके शौक क्या हैं?

फिल्में देखना, डांस करना, संगीत सुनना, किताबें पढ़ना. मैं कॉमिक्स बुक्स बहुत पढ़ता हॅूं. मैं बचपन से नंदन, चंपक व लोटपोट पत्रिकाएं पढ़ता आया हॅूं. कोविड के बाद से यह पत्रिकाएं नहीं मिल पायी.मगर दोस्तों की मदद से  मुझे ‘लोटपोट’ के डिजिटल एडीशन पढ़ने को मिल जाते हैं.‘लोटपोट’ के  मोटू पटलू कैरेक्टरों का तो मैं दीवाना हॅूं और मैं मोटू पटलू सीरियल काफी देखता हॅूं..  

Advertisment
Latest Stories